बिहार के लाखों मतदाताओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। भारत निर्वाचन आयोग ने 7 अक्टूबर 2025 को जारी अधिसूचना में घोषणा की है कि जिन मतदाताओं के पास मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नहीं है, वे 12 वैकल्पिक फोटो पहचान पत्रों में से किसी एक को दिखाकर 6 नवंबर 2025 को विधानसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं। यह फैसला न सिर्फ लोकतंत्र की शामिलकरण की भावना को मजबूत करता है, बल्कि उन लाखों लोगों के लिए एक जीवन बदलने वाला बदलाव है जिनके पास ईपीआईसी नहीं है — ना तो उन्हें बनवाने का समय मिला, ना ही दस्तावेजों की कमी के कारण।
कौन-कौन से दस्तावेज मान्य होंगे?
आयोग ने जिन 12 दस्तावेजों को मान्यता दी है, उनमें सिर्फ आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं, बल्कि ऐसे दस्तावेज भी शामिल हैं जिन्हें अक्सर लोग अपने लिए जरूरी मानते हैं। ये हैं: आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक या डाकघर का फोटोयुक्त पासबुक, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, एनपीआर के तहत जारी स्मार्ट कार्ड, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केंद्रीय/राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र कंपनियों का सेवा पहचान पत्र, सांसद/विधायकों का आधिकारिक पहचान पत्र, और सामाजिक न्याय मंत्रालय का यूनिक डिसएबिलिटी आईडी कार्ड.
यह लिस्ट सिर्फ दस्तावेजों की नहीं, बल्कि भारत के सामाजिक विविधता की भी झलक है। एक मजदूर जिसके पास सिर्फ मनरेगा कार्ड है, एक बूढ़ा व्यक्ति जिसके पास पेंशन पासबुक है, या एक दिव्यांग नागरिक जिसके पास डिसएबिलिटी कार्ड है — सभी के लिए अब वोट डालने का रास्ता खुल गया है।
100% ईपीआईसी कवरेज? असली हकीकत
आयोग का दावा है कि बिहार के आठ विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 100% मतदाताओं को ईपीआईसी जारी कर दिया गया है। लेकिन असली बात यह है कि जिन लोगों के नाम सूची में हैं, उनमें से कई के पास कार्ड नहीं है — या तो खो गया, या बनवाने के लिए जानकारी नहीं थी, या फिर दस्तावेजों की कमी के कारण बन नहीं पाया।
एक बिहार के गांव के एक मतदाता, जिसका नाम रामलाल है, ने हमसे कहा: "मैंने तीन बार ईपीआईसी के लिए आवेदन किया, लेकिन हर बार नाम नहीं आया। मेरे पास आधार कार्ड है, बैंक पासबुक है, लेकिन पहले तो मैं वोट नहीं डाल सकता था। अब तो लगता है जैसे मेरा अधिकार वापस मिल गया।"
तेजस्वी यादव के मामले में जांच: नियमों की सख्ती
इसी बीच, तेजस्वी यादव के मामले में भी आयोग ने जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके पास दो अलग-अलग वोटर आईडी कार्ड होने की जानकारी सामने आई है। यह गैरकानूनी है — चाहे गलती से हो या जानबूझकर। आयोग के नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के पास एक ही वोटर आईडी हो सकती है। अगर यह साबित हो गया, तो इसका असर न सिर्फ उनके ऊपर पड़ेगा, बल्कि चुनाव की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाएगा।
नए मतदाता कैसे बनें?
18 साल की उम्र पूरी करने वाले युवाओं के लिए अब ईपीआईसी बनवाना आसान हो गया है। ऑनलाइन आवेदन के लिए फॉर्म-6 भरना होता है, जिसमें जन्म प्रमाणपत्र और निवास प्रमाण अपलोड करने होते हैं। ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) द्वारा जांच के बाद कार्ड घर पर भेज दिया जाता है। आयोग ने निर्देश दिया है कि नए मतदाताओं को नामावली के अंतिम प्रकाशन से 15 दिनों के भीतर ईपीआईसी उपलब्ध कराया जाए।
क्यों यह बदलाव महत्वपूर्ण है?
ईपीआईसी को सिर्फ एक पहचान पत्र नहीं माना जाना चाहिए। यह लोकतंत्र का एक अंग है — एक ऐसा दस्तावेज जो बताता है कि आप इस देश के हिस्से हैं। अगर कोई व्यक्ति अपना वोट नहीं डाल सकता, तो उसकी आवाज़ नहीं सुनी जाती। अब यह बाधा हट गई है। यह बदलाव सिर्फ बिहार के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय, बिहार (Office of the Chief Electoral Officer, Bihar) की वेबसाइट ceoelection.bihar.gov.in पर फॉर्म-6, वोटर लिस्ट चेक करने का लिंक, और वैकल्पिक पहचान पत्रों की पूरी सूची उपलब्ध है। यह वेबसाइट अब सिर्फ जानकारी देने का नहीं, बल्कि नागरिकों के साथ संवाद करने का भी एक मंच बन गई है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या ईपीआईसी न होने पर वोट डालने की अनुमति बिहार में ही है या पूरे भारत में?
यह व्यवस्था पूरे भारत में लागू है। भारत निर्वाचन आयोग ने 2023 से ही देश भर में 12 वैकल्पिक पहचान पत्रों की अनुमति दे दी है। बिहार के चुनाव में इसका अनुप्रयोग नया नहीं, बल्कि एक लागू नियम का अनुपालन है। इससे देश के ग्रामीण और कमजोर वर्गों की भागीदारी बढ़ेगी।
क्या आधार कार्ड के बिना वोट डाल सकते हैं?
हां, आधार कार्ड के बिना भी वोट डाला जा सकता है। आप ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, मनरेगा कार्ड या यहां तक कि आयुष्मान भारत स्मार्ट कार्ड भी दिखा सकते हैं। जरूरी बात यह है कि दस्तावेज में आपका फोटो और नाम हो। अगर नाम मतदाता सूची में है, तो वोट डालने का अधिकार बरकरार रहेगा।
क्या नए मतदाता चुनाव में वोट डाल सकते हैं?
हां, अगर आपका नाम 6 नवंबर 2025 को अंतिम मतदाता सूची में शामिल है, तो आप वोट डाल सकते हैं — चाहे आपका ईपीआईसी अभी तक न मिला हो। आयोग ने निर्देश दिया है कि नए मतदाताओं को नामावली के प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर ईपीआईसी जारी किया जाए। इस अवधि के बाद भी, वैकल्पिक पहचान पत्र से वोट डाला जा सकता है।
तेजस्वी यादव के मामले में क्या हो सकता है?
अगर जांच साबित करती है कि तेजस्वी यादव के पास दो वोटर आईडी हैं, तो उन पर चुनाव अधिनियम की धारा 125 के तहत आरोप लग सकते हैं — जिसमें जेल या जुर्माना हो सकता है। यह मामला न सिर्फ उनके लिए बल्कि राजनीति में वोटर फ्रॉड के खिलाफ एक संकेत है। आयोग का इरादा स्पष्ट है: नियमों के खिलाफ कोई भी नहीं है।
क्या वैकल्पिक पहचान पत्रों की सूची में कोई नया दस्तावेज जोड़ा जा सकता है?
हां, आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह सूची लचीली है। अगर कोई नया सरकारी या निजी दस्तावेज फोटोयुक्त है, तो उसे भी मान्यता दी जा सकती है। यह व्यवस्था तकनीकी और सामाजिक बदलावों के साथ अपडेट होती रहेगी। अगले चुनाव में डिजिटल वोटर पहचान या आधार-आधारित बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन भी शामिल हो सकते हैं।
मतदाता सूची में नाम नहीं है तो क्या करें?
अगर आपका नाम सूची में नहीं है, तो आपको फॉर्म-6 भरकर नाम जोड़वाना होगा। यह आवेदन 31 अक्टूबर 2025 तक किया जा सकता है। अगर आप इस तारीख के बाद आवेदन करते हैं, तो आप इस चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे। इसलिए, जल्द से जल्द अपना नाम जोड़वाएं। आयोग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन का विकल्प उपलब्ध है।