CT Group के पूर्व छात्र ने 88 लाख की पैकेज हासिल की, हजारों छात्रों के लिए प्रेरणा बनें

CT Group के पूर्व छात्र ने 88 लाख की पैकेज हासिल की, हजारों छात्रों के लिए प्रेरणा बनें

उपलब्धि की पृष्ठभूमि

जालंधर स्थित CT Group of Institutions ने हाल ही में एक अभूतपूर्व सफलता देखी – एक छात्र को 88 लाख रुपये वार्षिक वेतन की औफ़र मिली। यह रकम न सिर्फ संस्थान के इतिहास में सबसे बड़ी है, बल्कि क्षेत्र में छात्र‑उपलब्धियों के मानक को भी नया मोड़ देती है। जहाँ पहले औसत पैकेज 5 लाख के आसपास रहता था, वहीं अब इस एक केस ने सबका ध्यान आकर्षित कर लिया है।

इस छात्र ने अपनी पढ़ाई के अंतिम साल में अपने प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप के दौरान कई तकनीकी कौशल सिखे, जो सीधे ही इस बड़े पैकेज के पीछे कारक रहे। उसकी कहानी अब कई छात्रों के बीच एक प्रेरक किस्सा बन चुकी है, जो कठिन परिश्रम और सही दिशानिर्देशों से क्या हासिल किया जा सकता है, यह दिखाती है।

CT Group की प्लेसमेंट रणनीति और उद्योग संबंध

CT Group की प्लेसमेंट रणनीति और उद्योग संबंध

CT Group के प्लेसमेंट सेल ने हमेशा से छात्रों को एंट्रप्रेन्योरियल और कॉर्पोरेट दोनों दुनियाओं के लिए तैयार करने पर फोकस किया है। उन्होंने 88 लाख पैकेज जैसी ऊँची लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने के लिये कई कार्य किए हैं:

  • इन्फ़ोसिस, विप्रो, टीसीएस, आईबीएम और टेक महिंद्रा जैसी टॉप कंपनियों के साथ निरंतर कनेक्शन बनाए रखा।
  • साल‑दर‑साल कैंपस रिक्रूटमेंट ड्राइव आयोजित कर, छात्रों को सीधे साक्षात्कार के मौके दिलवाए।
  • सॉफ्ट स्किल्स पर विशेष वर्कशॉप चलाए, जिसमें कम्युनिकेशन, पिचिंग और रिज्यूमे बिल्डिंग शामिल थे।
  • इंडस्ट्री एक्सपोज़र के लिये इंटर्नशिप, लाइव प्रोजेक्ट और केस स्टडी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया।
  • स्थानीय उद्यमियों और स्टार्ट‑अप्स को कैंपस में आमंत्रित कर, विविध करियर विकल्प दिखाए।

इन पहलुओं ने छात्रों को न सिर्फ तकनीकी रूप से तैयार किया, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास भी दिया, जिससे वे बड़े पैकेज सुनने में हिचकिचाते नहीं। 2024 में, कई छात्रों ने इन कंपनियों में सीधे चयनित होकर इस समृद्ध वातावरण का लाभ उठाया।

अब CT Group इस बड़ी उपलब्धि को अपने प्रचार‑प्रसार का एक महत्वपूर्ण बिंदु बना रहा है, ताकि भविष्य के aspirants को यह भरोसा हो कि सही मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत से ऊँचे लक्ष्य भी प्राप्त किए जा सकते हैं। यह खबर न केवल संस्थान को, बल्कि पूरे जालंधर क्षेत्र को गर्व से भर देती है।

18 Comments

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    Narendra chourasia

    सितंबर 27, 2025 AT 17:08
    88 लाख? अरे भाई, ये सिर्फ एक छात्र की कहानी है... बाकी 95% लोगों को 3 लाख भी नहीं मिलता! ये लोग सिर्फ टॉपर्स को ही दिखाते हैं, बाकी के लिए कोई नहीं सोचता। क्या ये न्याय है?!!!
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    Mohit Parjapat

    सितंबर 28, 2025 AT 13:42
    भारत के छात्र अब दुनिया के टॉप कंपनियों में जा रहे हैं! 🇮🇳🔥 ये जालंधर की कहानी है... लेकिन ये हमारी पूरी नेशनल इंडिया की जीत है! बस एक छात्र ने 88 लाख कमाए, अब देखो कैसे हम दुनिया को दिखाते हैं! 💪🚀
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    vishal kumar

    सितंबर 29, 2025 AT 09:50
    उपलब्धि का मानक व्यक्तिगत प्रयास पर आधारित होना चाहिए, न कि वित्तीय परिणाम पर। यह वेतन एक सूचक है, लेकिन शिक्षा का उद्देश्य नहीं।
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    Oviyaa Ilango

    सितंबर 30, 2025 AT 05:16
    88 लाख वाला छात्र शायद आईआईटी से है और इसे CT Group का श्रेय दे रहे हैं। इन संस्थानों का असली योगदान क्या है?
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    Aditi Dhekle

    अक्तूबर 1, 2025 AT 21:37
    The placement ecosystem here is shifting from volume-based hiring to value-driven outcomes. The 88L package isn't an outlier-it's a signal of market recalibration. Skills like system design, async communication, and stakeholder alignment are now premium assets.
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    Aditya Tyagi

    अक्तूबर 2, 2025 AT 21:34
    अरे यार, ये सब बकवास है। इन लोगों को पैसे देने के लिए कंपनियाँ अपने बजट बढ़ा रही हैं, लेकिन आम छात्रों को तो 1.5 लाख में भी नहीं रखते। ये सब फेक न्यूज है, बस अपनी फीस बढ़ाने के लिए बनाई गई है।
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    pradipa Amanta

    अक्तूबर 3, 2025 AT 18:34
    ये सब गर्व करने की बात नहीं है। ये तो सिर्फ एक छात्र की कहानी है। बाकी छात्रों को तो फैलो भी नहीं मिल रहा। इन संस्थानों की नीतियाँ बदलनी चाहिए, न कि एक छात्र को फेम करना चाहिए
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    chandra rizky

    अक्तूबर 4, 2025 AT 00:06
    अच्छी खबर है। इस तरह की सफलताएँ दूसरों को प्रेरित करती हैं। बस ये नहीं भूलना कि हर किसी का रास्ता अलग होता है। ये छात्र ने मेहनत की, और उसका फल मिला। बहुत बढ़िया। 😊
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    Rohit Roshan

    अक्तूबर 5, 2025 AT 21:19
    इस छात्र की कहानी बहुत प्रेरक है। मैंने भी अपने छोटे भाई को ये आर्टिकल भेजा। उसका दिमाग बदल गया। अब वो डेटा साइंस में डीप लर्निंग पर फोकस कर रहा है। बस एक बात-कभी नहीं हारना। 🙌
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    arun surya teja

    अक्तूबर 7, 2025 AT 04:48
    एक छात्र की सफलता को संस्थान की सफलता के रूप में देखना उचित नहीं है। शिक्षा का मापदंड व्यापक होना चाहिए।
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    Jyotijeenu Jamdagni

    अक्तूबर 8, 2025 AT 16:29
    ये बात सच है कि एक छात्र के सफल होने से पूरे संस्थान का नाम चमकता है। लेकिन अगर इस तरह के बड़े पैकेज्स का आँकड़ा अपने रिपोर्ट्स में लगाते रहे, तो दूसरे छात्र तो बस बेचारे बन जाएंगे। असली समस्या ये है कि नियमित छात्रों के लिए कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं है।
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    navin srivastava

    अक्तूबर 9, 2025 AT 20:02
    88 लाख? अरे यार ये लोग सिर्फ डेटा साइंटिस्ट हैं जो बाहर जा रहे हैं। हमारे देश में तो एमई से ग्रैजुएट्स को 2.5 लाख भी नहीं मिलता। ये सब बहुत बड़ा झूठ है। इन संस्थानों के पास तो खुद के लिए भी बजट नहीं है।
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    Aravind Anna

    अक्तूबर 10, 2025 AT 14:01
    ये छात्र ने बस एक बार अच्छा किया और अब पूरा देश उसे देख रहा है। लेकिन ये नहीं भूलना कि उसके पीछे दिन-रात का परिश्रम था। अगर तुम भी चाहते हो कि कोई तुम्हें याद करे, तो बस शुरू कर दो। कोई नहीं बताता कि कैसे शुरू करें-तुम्हें खुद जानना होगा। अगर तुम नहीं जानते, तो वहीं रहो। लेकिन अगर तुम चाहते हो तो जानो।
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    Rajendra Mahajan

    अक्तूबर 12, 2025 AT 13:20
    उपलब्धि के आधार पर शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन नहीं किया जा सकता। यह एक व्यक्तिगत प्रयास है, जिसे संस्थान के व्यापक प्रदर्शन के रूप में नहीं देखा जा सकता।
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    ANIL KUMAR THOTA

    अक्तूबर 12, 2025 AT 14:11
    ये बात अच्छी है लेकिन अगर ये सिर्फ एक छात्र के लिए है तो इसका क्या मतलब है। बाकी सबके लिए क्या हो रहा है।
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    VIJAY KUMAR

    अक्तूबर 14, 2025 AT 02:18
    88 लाख का पैकेज? बस एक फेक न्यूज है जो इन इंस्टीट्यूट्स के बॉस के लिए एक एडवरटाइजिंग ट्रिक है। असल में ये सब कंपनियाँ ऑफशोर टीम बना रही हैं और इन छात्रों को बाहर भेज रही हैं। भारत का विकास? नहीं भाई, ये तो बस एक ब्रांडिंग गेम है। 🤡
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    Manohar Chakradhar

    अक्तूबर 14, 2025 AT 02:21
    ये छात्र ने बस एक बात सीखी-कभी नहीं रुकना। उसने प्रोजेक्ट्स बनाए, इंटर्नशिप की, अपने रिज्यूमे को बार-बार रिवाइज किया। ये नहीं कि उसे किसी ने दिया, ये उसने खुद बनाया। अगर तुम भी चाहते हो कि कोई तुम्हारी कहानी लिखे, तो अपनी कहानी शुरू करो। आज से। अभी।
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    Rohit Roshan

    अक्तूबर 15, 2025 AT 02:52
    मैंने अपने भाई को ये आर्टिकल भेजा था। अब वो रोज 5 घंटे कोडिंग कर रहा है। अगर ये एक छात्र की कहानी से एक और छात्र का जीवन बदल गया, तो ये वाकई बहुत बड़ी बात है। 🙏

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