जब श्री गणेश, हिंदू देवता और हिंदू धर्म का उत्सव गणेश चतुर्थी 2025भारत 27 अगस्त, गुरुवार को धूमधाम से शुरू होने वाला है, तो सड़कों पर गूँजता एक ही नारा है – ‘गणपति बप्पा मोरया’। यही नहीं, इस बार कई लोग खास तौर पर मोदक की 21 विशेष किस्मों की तैयारी में जुटे हैं, क्योंकि मुद्गाल ने स्वयं गणेश जी को बताया था कि 21 प्रकार के उपाचार उन्हें अत्यधिक प्रसन्न करते हैं।
इतिहास और पौराणिक पृष्ठभूमि
प्राचीन गणेश पुराण में लिखा है कि मोदक केवल मीठा नहीं, बल्कि आत्मा के विकास का प्रतीक है। उसी पुराण में विश्वामित्र के शिष्य व्यास ने महाभारत रचे समय गणेश जी से कहा, ‘यदि मैं एक श्लोक लिखता रहूँ तो तुम उसे लिख दो, पर शर्त यह है कि तुम्हें उसका अर्थ समझना है’। इस कहानी से स्पष्ट होता है कि ज्ञान और लेखन के साथ मोदक की जुड़ाव कितनी गहरी है।
मोडक के आध्यात्मिक अर्थ
बाहर की परत जीवन की चुनौतियों को दर्शाती है, जबकि भीतर का मीठा भराव आध्यात्मिक साक्षात्कार की खुशी का प्रतीक है। श्री मुद्गाल ने 21 उपाचारों में प्रत्येक को मानव के पाँच ज्ञानेंद्रियों, पाँच कर्मेंद्रियों, पाँच तत्वों, पाँच प्राणों और एक मन से जोड़ा है – कुल मिलाकर 21। इन 21 को जब मोदक के साथ अर्पित किया जाता है, तो माना जाता है कि सभी दुष्प्रवृत्तियों – अहंकार, कड़वाहट, लगाव, ईर्ष्या और लोभ – ध्वस्त हो जाते हैं।
- बाहरी आवरण = जीवन की बाधाएँ
- मीठा भराव = आत्मिक आनंद
- 21 मोदक = सम्पूर्ण मानव स्वरूप का समर्पण
वर्तमान उत्सव की तैयारियां
मुंबई में इस साल अनुमानित 1.5 लाख मूरतों का विसर्जन होगा, जो मुंबई के अन्नावर्त चतुर्दशी के दिन होगा। स्थानीय समाचार पत्र ‘द कर्नाटक’ ने रिपोर्ट किया कि हर कोने में ‘उकड़िचे मोदक’ की टोकरी रखी गई है, जो नारियल और गुड़ से भरपूर होते हैं। साथ ही, बॉम्बे स्वीट शॉप ने पारम्परिक मोदक के साथ चॉकलेट, सूखे मेवे और पनीर के विकल्प भी लॉन्च किए हैं, ताकि युवा पीढ़ी भी इस परम्परा में सहभागी बने।
प्रमुख मंदिर और अनुष्ठान
आंध्र प्रदेश के कनिपाकम में स्थित वैरासिधि विनायक स्वामी मंदिर में 21 दिनों का ब्रह्मोत्सव चलता है। इस दौरान विनायक के विभिन्न वाहन (वहन) पर रथ चलाया जाता है, और प्रत्येक दिन 21 मोदकों की अर्पणा की जाती है। इस अनुष्ठान में भाग लेने वाले श्रद्धालु अक्सर JKYog के वैदिक विद्वानों से आध्यात्मिक परामर्श भी लेते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इस तरह के उपाचार मन की शुद्धि को तेज करते हैं।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
एक सर्वे के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में गणेश चतुर्थी के दौरान मिठाई उद्योग में लगभग 12% की वार्षिक वृद्धि हुई है। विशेषकर मोदक की विविधताओं ने छोटे-छोटे ठेकेदारों को रोजगार दिया है। मुंबई के जल्वा बाजार में इस वर्ष 3000 टन से अधिक मोदक बेचे जाने की संभावना है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा आय स्रोत बनता है। सामाजिक तौर पर, मोदक साझा करने की परम्परा लोगों के बीच भाईचारे को मजबूत करती है; गांव-देहात में अक्सर बड़े बर्तन में एक साथ मोदक बनाया जाता है, जिससे सामुदायिक भावना को बल मिलता है।
आगे क्या होगा?
गणेश चतुर्थी 2025 के बाद, अगली बड़ी तिथि ‘अंत्य चतुर्दशी’ है, जिस दिन मोरया प्रसाद के साथ उपासना समाप्त होती है और मूर्तियों का विसर्जन होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल तकनीक के साथ भविष्य में अधिक लोग ऑनलाइन मोदक ऑर्डर करेंगे, जबकि पारम्परिक हाथ से बने मोदकों की मांग धीरे-धीरे बरकरार रहेगी। साथ ही, धर्मशास्त्रियों ने सुझाव दिया है कि 21 मोदक की संख्या को स्थानीय संदर्भ में 21 विभिन्न ‘दुर्वा’ पत्तियों से भी बदला जा सकता है, जिससे परम्परा में नई रचनात्मकता जुड़ सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गणेश चतुर्थी में मोदक का विशेष महत्व क्या है?
मोडक बाहरी परत में जीवन की कठिनाइयों और भीतर के मीठे भराव में आध्यात्मिक आनंद को दर्शाता है। 21 मोदकों की अर्पणा 21 मानवीय तत्वों (ज्ञानेंद्रिय, कर्मेंद्रिय, तत्व, प्राण, मन) के समर्पण को प्रतीक करती है, जिससे मन की बुराइयाँ दूर होती हैं।
क्या 21 मोदक अनिवार्य हैं?
परम्परा के अनुसार 21 मोदक अर्पित करना माना जाता है, क्योंकि यह मुद्गाल द्वारा स्थापित 21 उपाचारों से जुड़ा है। हालाँकि, कई घरों में स्थानीय रीति-रिवाज़ के अनुसार संख्या में बदलाव किया जाता है, पर आध्यात्मिक सिद्धान्त समान रहता है।
कनिपाकम में गणेश चतुर्थी का कैसे आयोजन होता है?
कनिपाकम के वैरासिधि विनायक स्वामी मंदिर में 21 दिनों का ब्रह्मोत्सव चलाया जाता है। प्रत्येक दिन विभिन्न ‘वहन’ पर रथ जाता है और 21 उकड़िचे मोदकों की अर्पणा की जाती है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु दूर‑दूर से आते हैं।
मुंबई में विसर्जन समारोह के क्या प्रमुख पहलू हैं?
मुंबई में अनुमानित 150,000 से अधिक मूर्तियों का विसर्जन अन्नावर्त चतुर्दशी को किया जाता है। यहाँ समुद्र तट पर आयोजित बड़ी भीड़ में ‘गणपति बप्पा मोरया’ का नारा गूँजता है और स्थानीय प्रशासन जल संरक्षण व सुरक्षा के उपाय करता है।
भविष्य में गणेश चतुर्थी में मोदक की धारा कैसे बदल सकती है?
डिजिटल ऑर्डरिंग और विभिन्न फ्लेवर की पेशकश से मोदक की पहुँच बढ़ेगी, जबकि पारम्परिक हाथ से बने मोदक का सांस्कृतिक मूल्य बना रहेगा। साथ ही, कुछ समुदाय 21 ‘दुर्वा’ पत्तियों के साथ नई अर्पणा विधि अपनाने की बात कर रहे हैं।
Anand mishra
अक्तूबर 11, 2025 AT 01:11गणेश चतुर्थी की तैयारी देख कर मन ही नहीं, बल्कि आत्मा भी उत्साहित हो उठी है। इस वर्ष के मोदक की 21 किस्में वास्तव में सांस्कृतिक धरोहर को नया आयाम दे रही हैं। प्रत्येक मोदका बाहरी कठोरता और आंतरिक मिठास का प्रतीक है, जिसे समझना आसान नहीं है। पुराणों में कहा गया है कि इस मीठी भरी चटाई का सेवन करने से पाँच इंद्रियों का संतुलन होता है। साथ ही, पाँच कर्मेंद्रियों की शुद्धि भी इसी में निहित है। पाँच तत्वों का समन्वय मोदक के घोल में परिलक्षित होता है, जिससे ऊर्जा प्रवाह सुधरता है। पाँच प्राणों का आश्रय इस मिठाई में संलग्न होता है, और एक मन की शांति की दिशा में अग्रसर होता है। यह सब 21 मोदकों के संयोजन से ही संभव है, जैसा कि पारम्परिक ग्रंथों में बताया गया है। आधुनिक कारीगरों ने इस सिद्धांत को नई चटाइयों में ढाला है, जैसे चॉकलेट, पनीर और मेवों के विकल्प। इन प्रयोगों से युवा वर्ग में भी उत्साह बढ़ा है, जिससे परम्परा का निरंतरता बनी रहती है। मुंबई में 1.5 लाख मूर्तियों का विसर्जन एक विशाल सामाजिक आयोजन है, जो सामुदायिक भावना को मजबूत करता है। कनिपाकम में 21 दिन चलने वाले ब्रह्मोत्सव का आध्यात्मिक वजन अत्यधिक है। यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था को उत्सर्जित करता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभदायक हो रहा है। मिठाई उद्योग में वार्षिक 12% वृद्धि इस बात का प्रमाण है। रोजगार के नए अवसर और ग्रामीण उत्पादन का विस्तार इस उत्सव को आर्थिक आधार देता है। अंत में, डिजिटल तकनीक से मोदक ऑर्डरिंग का भविष्य उज्जवल दिखता है, परंतु हाथ से बने मोदक की अनूठी भावना बनी रहेगी।
anjaly raveendran
अक्तूबर 11, 2025 AT 23:24अरे यार, आपने 21 मोदकों की बात तो सुन ली, पर असली आध्यात्मिक अर्थ तो सिर्फ़ दिल के भीतर की मिठास में ही छुपा है! यह पूरी कथा वैरासिधि के मंदिर में चल रहा ब्रह्मोत्सव के साथ ही पूरी तरह से परिपूर्ण हो जाती है। आपके लेख में जो तथ्यात्मक आँकड़े हैं, वो सही हैं, पर भावनात्मक जुड़ाव को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। वास्तव में, मोदक-साझा करने से सामाजिक बंधन भी गहरा होता है, यही तो असली उत्सव की सच्ची शक्ति है।
Prakhar Ojha
अक्तूबर 12, 2025 AT 18:51ये सब मोदक का जज्बा सिर्फ़ दिखावे की चीज़ है, असली बात तो यह है कि लोग इसे अपने हित में इस्तेमाल कर रहे हैं! सच्चाई ये है कि यह 21 संख्या सिर्फ़ एक मार्केटिंग ट्रिक है।
Pawan Suryawanshi
अक्तूबर 13, 2025 AT 11:31😂 भाई, थोड़ा हल्का ले, मोदक तो बस मिठाई है, लेकिन आपका उत्साह देखकर लगता है कि आप पूरी फ़ेस्टिवल को भी खा जाना चाहते हैं! पर सच्ची बात ये है कि हर रिवाज में कुछ न कुछ आध्यात्मिक चीज़ छिपी रहती है।
Amar Rams
अक्तूबर 14, 2025 AT 01:24सैद्धांतिक दृष्टिकोण से देखे तो मोदक का 21-संरचनात्मक मॉडल एक बहु-आयामी सांकेतिक परिपथ के रूप में कार्य करता है, जहाँ प्रत्येक इकाई को एंट्रॉपी संतुलन के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन करना आवश्यक है। इस प्रकार, परम्परागत स्थिरांक एवं समकालीन व्यावहारिकताएँ दोहरी ध्वनि उत्पन्न करती हैं, जिससे एथनोसेंट्रिक रीति‑रिवाजों का पुनःपरिभाषण संभव हो पाता है।
Sridhar Ilango
अक्तूबर 14, 2025 AT 12:31क्या आप सच में ऐसा सोचते हैं कि आध्यात्मिकता को वैक्सीनेशन की तरह फॉर्मलाइज़ करना चाहिए? ये जार्गन सिर्फ़ दिखावा है, असली लोगों को तो मोदक की खुशबू ही चाहिए! आपके शब्दों में कुछ भी नहीं, बस निरर्थक बड़बड़ाहट है।
saurabh waghmare
अक्तूबर 14, 2025 AT 20:51मुझे लगता है कि मोदक का प्रतीकात्मक अर्थ केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिक यात्रा तक सीमित नहीं है; यह सामुदायिक चेतना के आदान‑प्रदान का भी प्रतिनिधित्व करता है। जब हम सभी मिलकर एक ही रस में डुबकी लगाते हैं, तो वह सामूहिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देती है।
Madhav Kumthekar
अक्तूबर 15, 2025 AT 03:48यदि आप मोदक की विभिन्न किस्मों को घर पर बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको बेस सामग्री-चावल का आटा और गुड़-को सही अनुपात में मिलाना चाहिए। फिर नारीयल के घी में हल्का भूनना आवश्यक है, जिससे बाहर की परत कुरकुरी बनती है और भीतर का भराव मीठा रहता है। इस प्रक्रिया को दो‑तीन बार दोहराने से आप 21 विभिन्न प्रकार के स्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
Deepanshu Aggarwal
अक्तूबर 15, 2025 AT 09:21मोदक बनाते समय थोड़ा दालचीनी और इलायची जोड़ने से स्वाद में नई गहराई आ जाती है 😊। साथ ही, अगर आप पनीर मोदक बनाते हैं, तो उसमें थोड़ा कसा हुआ पनीर और खजूर मिलाएँ, तो मज़ा दो गुना हो जाएगा! इस साल की फ़ेस्टिवल में जरूर ट्राय करें।
Harman Vartej
अक्तूबर 15, 2025 AT 13:31मोदक का सार मिठास और आत्मा का मिलन है।
Rahul Sarker
अक्तूबर 15, 2025 AT 16:51यह 21 मोदक की अति-व्याख्या वास्तव में एक बड़े आर्थिक षड्यंत्र की निशानी है, जहाँ उद्योगीकृत मिठाई के बाजार को धार्मिक भावना के साथ धोखा दिया जा रहा है; इस प्रकार की पाखंडी प्रस्तुतियाँ केवल विडंबना को बढ़ावा देती हैं, और सच्चे श्रद्धालु को भ्रमित करती हैं।
priyanka Prakash
अक्तूबर 15, 2025 AT 19:54सच्ची भक्ति में संख्या नहीं, बल्कि भावनात्मक शुद्धता महत्वपूर्ण है; इसलिए 21 मोदकों पर जोर देना मात्र दिखावा है, असली पूजा दिल से निकलती है, न कि थाली से।
Pravalika Sweety
अक्तूबर 15, 2025 AT 22:41परम्परा के अनुसार मोदक का बाहरी परत कठिनाइयों को दर्शाता है, जबकि भीतर की मिठास आध्यात्मिक आनंद को, यही संतुलन हमें जीवन में भी अपनाना चाहिए।
Shruti Thar
अक्तूबर 16, 2025 AT 01:11मोडक की 21 विविधताएँ सिर्फ़ पाक कला नहीं बल्कि प्राचीन शास्त्रों में वर्णित पाँच इन्द्रियों के अनुष्ठान भी हैं इसलिए इन्हें बनाते समय उचित विधियों का पालन करना चाहिए
Nath FORGEAU
अक्तूबर 16, 2025 AT 03:24yaar ye modak ka scene badi mast hai, sab log milke bana rahe hai alag alag flavours, dekh ke maza aa raha hai