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गणेश चतुर्थी 2025: मोदक के 21 रहस्य और उनका आध्यात्मिक अर्थ

गणेश चतुर्थी 2025: मोदक के 21 रहस्य और उनका आध्यात्मिक अर्थ
  • अक्तू॰ 11, 2025
  • Partha Dowara
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जब श्री गणेश, हिंदू देवता और हिंदू धर्म का उत्सव गणेश चतुर्थी 2025भारत 27 अगस्त, गुरुवार को धूमधाम से शुरू होने वाला है, तो सड़कों पर गूँजता एक ही नारा है – ‘गणपति बप्पा मोरया’। यही नहीं, इस बार कई लोग खास तौर पर मोदक की 21 विशेष किस्मों की तैयारी में जुटे हैं, क्योंकि मुद्गाल ने स्वयं गणेश जी को बताया था कि 21 प्रकार के उपाचार उन्हें अत्यधिक प्रसन्न करते हैं।

इतिहास और पौराणिक पृष्ठभूमि

प्राचीन गणेश पुराण में लिखा है कि मोदक केवल मीठा नहीं, बल्कि आत्मा के विकास का प्रतीक है। उसी पुराण में विश्वामित्र के शिष्‍य व्यास ने महाभारत रचे समय गणेश जी से कहा, ‘यदि मैं एक श्लोक लिखता रहूँ तो तुम उसे लिख दो, पर शर्त यह है कि तुम्हें उसका अर्थ समझना है’। इस कहानी से स्पष्ट होता है कि ज्ञान और लेखन के साथ मोदक की जुड़ाव कितनी गहरी है।

मोडक के आध्यात्मिक अर्थ

बाहर की परत जीवन की चुनौतियों को दर्शाती है, जबकि भीतर का मीठा भराव आध्यात्मिक साक्षात्कार की खुशी का प्रतीक है। श्री मुद्गाल ने 21 उपाचारों में प्रत्येक को मानव के पाँच ज्ञानेंद्रियों, पाँच कर्मेंद्रियों, पाँच तत्वों, पाँच प्राणों और एक मन से जोड़ा है – कुल मिलाकर 21। इन 21 को जब मोदक के साथ अर्पित किया जाता है, तो माना जाता है कि सभी दुष्प्रवृत्तियों – अहंकार, कड़वाहट, लगाव, ईर्ष्या और लोभ – ध्वस्त हो जाते हैं।

  • बाहरी आवरण = जीवन की बाधाएँ
  • मीठा भराव = आत्मिक आनंद
  • 21 मोदक = सम्पूर्ण मानव स्वरूप का समर्पण

वर्तमान उत्सव की तैयारियां

मुंबई में इस साल अनुमानित 1.5 लाख मूरतों का विसर्जन होगा, जो मुंबई के अन्नावर्त चतुर्दशी के दिन होगा। स्थानीय समाचार पत्र ‘द कर्नाटक’ ने रिपोर्ट किया कि हर कोने में ‘उकड़िचे मोदक’ की टोकरी रखी गई है, जो नारियल और गुड़ से भरपूर होते हैं। साथ ही, बॉम्बे स्वीट शॉप ने पारम्परिक मोदक के साथ चॉकलेट, सूखे मेवे और पनीर के विकल्प भी लॉन्च किए हैं, ताकि युवा पीढ़ी भी इस परम्परा में सहभागी बने।

प्रमुख मंदिर और अनुष्ठान

आंध्र प्रदेश के कनिपाकम में स्थित वैरासिधि विनायक स्वामी मंदिर में 21 दिनों का ब्रह्मोत्सव चलता है। इस दौरान विनायक के विभिन्न वाहन (वहन) पर रथ चलाया जाता है, और प्रत्येक दिन 21 मोदकों की अर्पणा की जाती है। इस अनुष्ठान में भाग लेने वाले श्रद्धालु अक्सर JKYog के वैदिक विद्वानों से आध्यात्मिक परामर्श भी लेते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इस तरह के उपाचार मन की शुद्धि को तेज करते हैं।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

एक सर्वे के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में गणेश चतुर्थी के दौरान मिठाई उद्योग में लगभग 12% की वार्षिक वृद्धि हुई है। विशेषकर मोदक की विविधताओं ने छोटे-छोटे ठेकेदारों को रोजगार दिया है। मुंबई के जल्वा बाजार में इस वर्ष 3000 टन से अधिक मोदक बेचे जाने की संभावना है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा आय स्रोत बनता है। सामाजिक तौर पर, मोदक साझा करने की परम्परा लोगों के बीच भाईचारे को मजबूत करती है; गांव-देहात में अक्सर बड़े बर्तन में एक साथ मोदक बनाया जाता है, जिससे सामुदायिक भावना को बल मिलता है।

आगे क्या होगा?

गणेश चतुर्थी 2025 के बाद, अगली बड़ी तिथि ‘अंत्य चतुर्दशी’ है, जिस दिन मोरया प्रसाद के साथ उपासना समाप्त होती है और मूर्तियों का विसर्जन होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल तकनीक के साथ भविष्य में अधिक लोग ऑनलाइन मोदक ऑर्डर करेंगे, जबकि पारम्परिक हाथ से बने मोदकों की मांग धीरे-धीरे बरकरार रहेगी। साथ ही, धर्मशास्त्रियों ने सुझाव दिया है कि 21 मोदक की संख्या को स्थानीय संदर्भ में 21 विभिन्न ‘दुर्वा’ पत्तियों से भी बदला जा सकता है, जिससे परम्परा में नई रचनात्मकता जुड़ सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गणेश चतुर्थी में मोदक का विशेष महत्व क्या है?

मोडक बाहरी परत में जीवन की कठिनाइयों और भीतर के मीठे भराव में आध्यात्मिक आनंद को दर्शाता है। 21 मोदकों की अर्पणा 21 मानवीय तत्वों (ज्‍ञानेंद्रिय, कर्मेंद्रिय, तत्व, प्राण, मन) के समर्पण को प्रतीक करती है, जिससे मन की बुराइयाँ दूर होती हैं।

क्या 21 मोदक अनिवार्य हैं?

परम्परा के अनुसार 21 मोदक अर्पित करना माना जाता है, क्योंकि यह मुद्गाल द्वारा स्थापित 21 उपाचारों से जुड़ा है। हालाँकि, कई घरों में स्थानीय रीति-रिवाज़ के अनुसार संख्या में बदलाव किया जाता है, पर आध्यात्मिक सिद्धान्त समान रहता है।

कनिपाकम में गणेश चतुर्थी का कैसे आयोजन होता है?

कनिपाकम के वैरासिधि विनायक स्वामी मंदिर में 21 दिनों का ब्रह्मोत्सव चलाया जाता है। प्रत्येक दिन विभिन्न ‘वहन’ पर रथ जाता है और 21 उकड़िचे मोदकों की अर्पणा की जाती है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु दूर‑दूर से आते हैं।

मुंबई में विसर्जन समारोह के क्या प्रमुख पहलू हैं?

मुंबई में अनुमानित 150,000 से अधिक मूर्तियों का विसर्जन अन्नावर्त चतुर्दशी को किया जाता है। यहाँ समुद्र तट पर आयोजित बड़ी भीड़ में ‘गणपति बप्पा मोरया’ का नारा गूँजता है और स्थानीय प्रशासन जल संरक्षण व सुरक्षा के उपाय करता है।

भविष्य में गणेश चतुर्थी में मोदक की धारा कैसे बदल सकती है?

डिजिटल ऑर्डरिंग और विभिन्न फ्लेवर की पेशकश से मोदक की पहुँच बढ़ेगी, जबकि पारम्परिक हाथ से बने मोदक का सांस्कृतिक मूल्य बना रहेगा। साथ ही, कुछ समुदाय 21 ‘दुर्वा’ पत्तियों के साथ नई अर्पणा विधि अपनाने की बात कर रहे हैं।

1 Comments

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    Anand mishra

    अक्तूबर 11, 2025 AT 01:11

    गणेश चतुर्थी की तैयारी देख कर मन ही नहीं, बल्कि आत्मा भी उत्साहित हो उठी है। इस वर्ष के मोदक की 21 किस्में वास्तव में सांस्कृतिक धरोहर को नया आयाम दे रही हैं। प्रत्येक मोदका बाहरी कठोरता और आंतरिक मिठास का प्रतीक है, जिसे समझना आसान नहीं है। पुराणों में कहा गया है कि इस मीठी भरी चटाई का सेवन करने से पाँच इंद्रियों का संतुलन होता है। साथ ही, पाँच कर्मेंद्रियों की शुद्धि भी इसी में निहित है। पाँच तत्वों का समन्वय मोदक के घोल में परिलक्षित होता है, जिससे ऊर्जा प्रवाह सुधरता है। पाँच प्राणों का आश्रय इस मिठाई में संलग्न होता है, और एक मन की शांति की दिशा में अग्रसर होता है। यह सब 21 मोदकों के संयोजन से ही संभव है, जैसा कि पारम्परिक ग्रंथों में बताया गया है। आधुनिक कारीगरों ने इस सिद्धांत को नई चटाइयों में ढाला है, जैसे चॉकलेट, पनीर और मेवों के विकल्प। इन प्रयोगों से युवा वर्ग में भी उत्साह बढ़ा है, जिससे परम्परा का निरंतरता बनी रहती है। मुंबई में 1.5 लाख मूर्तियों का विसर्जन एक विशाल सामाजिक आयोजन है, जो सामुदायिक भावना को मजबूत करता है। कनिपाकम में 21 दिन चलने वाले ब्रह्मोत्सव का आध्यात्मिक वजन अत्यधिक है। यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था को उत्सर्जित करता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभदायक हो रहा है। मिठाई उद्योग में वार्षिक 12% वृद्धि इस बात का प्रमाण है। रोजगार के नए अवसर और ग्रामीण उत्पादन का विस्तार इस उत्सव को आर्थिक आधार देता है। अंत में, डिजिटल तकनीक से मोदक ऑर्डरिंग का भविष्य उज्जवल दिखता है, परंतु हाथ से बने मोदक की अनूठी भावना बनी रहेगी।

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