लाड़ली बहना योजना से महिलाओं की आर्थिक आज़ादी को नया सहारा
मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर महिलाओं के आर्थिक हालात बदलने की तरफ मजबूती से कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना के तहत 1.26 करोड़ से ज्यादा महिलाओं के बैंक खातों में 1859 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए हैं। यही नहीं, इस बार सभी लाभार्थी महिलाओं को रक्षाबंधन के मौके पर लाड़ली बहना योजना के तहत 250 रुपये का स्पेशल बोनस भी मिलेगा। त्योहारों के मौके पर यह अतिरिक्त मदद महिलाओं को छोटे-छोटे खर्चों के लिए स्वतंत्र बनाती है।
योजना की शुरुआत 5 मार्च 2023 को हुई थी। तब महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये मिलते थे, जिसे बाद में बढ़ाकर 1250 रुपये कर दिया गया। हर महीने की 10 तारीख को यह रकम डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सीधे खातों में जाती है। रक्षाबंधन के बोनस के अलावा, सरकार ने ऐलान किया है कि अगले साल भाई दूज 2025 से यह सहायता बढ़ाकर 1500 रुपये महीने की जाएगी। इस योजना के लिए सरकार ने करीब 60,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है।
कौन हैं योजना की पात्र महिलाएं और कैसे मिलती है मदद?
लाड़ली बहना योजना का मकसद है महिलाओं की आर्थिक स्थिति, सेहत और उनके पोषण स्तर को बढ़ाना। राज्य की रहने वाली 21 से 60 साल की शादीशुदा, विधवा, तलाकशुदा या छोड़ी गई महिलाएं, जिनकी सालाना पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, इस योजना के लिए आवेदन कर सकती हैं। शर्त ये है कि उनके या परिवार के नाम से कोई चार पहिया गाड़ी नहीं होनी चाहिए, ना ही थापा आयकरदाता या कोई सरकारी नौकरी होनी चाहिए।
आवेदन के लिए ज़रूरी दस्तावेज भी तय हैं— समाजरा आईडी, आधार कार्ड, पासपोर्ट फोटो, राशन कार्ड, मध्यप्रदेश का निवासी प्रमाण, मोबाइल नंबर, आय प्रमाण पत्र और बैंक अकाउंट डिटेल्स चाहिए। पहला आवेदन फेज 20 अगस्त 2023 तक था, लेकिन सरकार गांवों, पंचायतों और नगर निगमों में कैंप लगा कर अब भी आवेदन ले रही है, ताकि कोई महिला वंचित ना रहे।
योजना का असर हर घर में दिखने लगा है— महिलाओं के हाथ में सीधे पैसा आना उनके आत्मविश्वास और घरेलू खर्चों में भागीदारी बढ़ा रहा है। खासकर कमजोर आय वर्ग की महिलाएं अब छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए दूसरों पर कम निर्भर हो रही हैं। यही बदलाव सरकार की नीति-नियत को सही ठहराता है।
रक्षाबंधन के त्योहार पर 250 रुपये का बोनस न सिर्फ खुशी का मौका है, बल्कि यह याद दिलाता है कि सरकार महिलाओं की जरूरतों और उनके जज़्बात को समझती है। त्योहार खर्चों में मिल रही यह अतिरिक्त रकम भले छोटी हो, लेकिन महिला सशक्तिकरण के सफर में इसका असर बड़ा है।
Imran khan
अगस्त 8, 2025 AT 23:40ये योजना असली में काम कर रही है। मेरी बहन को महीने के 1250 रुपये मिल रहे हैं, और अब वो अपने बच्चों के लिए दूध, अंडे और किताबें खुद खरीदती है। कोई बोलता है ये बर्बादी है, पर जब तुम्हारी माँ खुद की चीज़ें खरीद पाए, तो ये जिंदगी बदल देता है।
Abhishek gautam
अगस्त 9, 2025 AT 09:08हमारी सभ्यता के इतिहास में कभी एक राज्य ने महिलाओं को इतनी सीधी आर्थिक शक्ति नहीं दी। ये केवल धन नहीं, ये एक नए अधिकार का संकेत है - जहाँ एक महिला अपने जीवन के निर्णय खुद ले सके। ये नीति ने न केवल गरीबी को कम किया, बल्कि पुरुषों के अहंकार को भी चुनौती दी है। यहाँ तक कि मैं अपनी बहन को बताता हूँ - अब तुम्हारा पैसा तुम्हारा है, और ये बात दुनिया भर में बहुत कम लोग समझते हैं।
Neelam Dadhwal
अगस्त 10, 2025 AT 16:25अरे ये सब बकवास है! जब तक लड़कियों को घर पर रखा जाएगा, जब तक उनकी शिक्षा पर खर्च नहीं किया जाएगा, तब तक ये 1250 रुपये का झूठा खुशी का इलाज है। ये बोनस तो बस चुनावी नाटक है - जब तक लड़कियों को अपने घर में आज़ादी नहीं मिलेगी, तब तक ये सब एक नाटक है।
Sumit singh
अगस्त 10, 2025 AT 23:48ये सब बहुत अच्छा लग रहा है 😏 लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इन पैसों का इस्तेमाल किस तरह हो रहा है? क्या कोई आंकड़ा है कि इनमें से कितने पैसे असल में खाने-पीने में जा रहे हैं? या फिर बस नए फोन और जेवर खरीदने में?
fathima muskan
अगस्त 12, 2025 AT 04:00अरे ये सब एक बड़ा धोखा है। जब तक सरकार बैंकों के नाम से लोगों का डेटा चुराती है, तब तक ये योजना एक बड़ा डिजिटल निगरानी प्रोग्राम है। 250 रुपये का बोनस? हाँ, बिल्कुल - जिससे तुम्हारा हर खर्च ट्रैक हो रहा है। अगले चरण में वो तुम्हें बताएंगे कि तुम्हें क्या खाना चाहिए। 😏
Devi Trias
अगस्त 13, 2025 AT 08:50योजना के तहत आवेदन करने वाली महिलाओं के लिए आवश्यक दस्तावेजों की सूची बहुत स्पष्ट है। हालाँकि, ग्रामीण क्षेत्रों में आधार कार्ड और आय प्रमाण पत्र प्राप्त करने में अभी भी बड़ी बाधाएँ हैं। इसलिए, सरकार को अतिरिक्त सहायता के लिए स्थानीय पंचायतों के साथ साझेदारी करनी चाहिए।
Kiran Meher
अगस्त 13, 2025 AT 14:26भाई ये योजना तो जानवरों के लिए भी अच्छी है 😍 मेरी बहन अब बच्चों के लिए दूध खरीद रही है और खुद के लिए बैग भी खरीद रही है - बस एक बार बाहर निकली और फिर घर लौट आई। ये बदलाव देखकर लगता है जैसे दुनिया बदल रही है।
Tejas Bhosale
अगस्त 13, 2025 AT 17:42ये DBT इकोसिस्टम ने लेंडिंग लायरार्की को डिसर्प्शन कर दिया। जब ट्रांसफर डायरेक्ट होता है, तो ब्यूरोक्रेसी का लूटपाट खत्म हो जाता है। ये एक नए डिजिटल फेमिनिस्ट रेवोल्यूशन का शुभारंभ है।
Asish Barman
अगस्त 14, 2025 AT 02:44हाँ बस इतना ही? अगर ये इतना बढ़िया है तो फिर उत्तर प्रदेश या बिहार में ये योजना क्यों नहीं चल रही? ये सब बस मध्य प्रदेश के लिए एक बड़ा प्रचार है। असली जरूरत तो बेसिक शिक्षा और स्वास्थ्य है।
Abhishek Sarkar
अगस्त 15, 2025 AT 18:57इन पैसों का इस्तेमाल किसके द्वारा हो रहा है? क्या कोई जांच हुई है कि ये रकम असली महिलाओं को ही पहुँच रही है? मैंने सुना है कि कुछ घरों में ये पैसे पति के नाम से ले लिए जाते हैं। ये सब एक बड़ा धोखा है - सरकार बस अपनी तस्वीर बना रही है।
Niharika Malhotra
अगस्त 17, 2025 AT 10:05ये योजना एक शांत और शक्तिशाली बदलाव है। जब एक महिला अपने खाते में पैसा देखती है, तो उसका दिमाग बदल जाता है। वो सोचने लगती है - मैं भी कुछ कर सकती हूँ। ये बदलाव न सिर्फ आर्थिक है, बल्कि आत्मा का भी बदलाव है।
Baldev Patwari
अगस्त 17, 2025 AT 19:53अरे ये तो बस एक बड़ा बकवास है। जब तक लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाएगा, तब तक ये 1250 रुपये का बेकार का ट्रिक है। और ये बोनस? बस रक्षाबंधन के लिए एक झूठी खुशी। असली चीज़ तो शिक्षा है, न कि रुपये।
harshita kumari
अगस्त 18, 2025 AT 23:51सरकार ये बोनस दे रही है ताकि लोग भूल जाएँ कि वो लड़कियों के लिए शिक्षा नहीं दे रही। ये सब एक डिजिटल गुलामी का हिस्सा है - तुम्हें थोड़ा पैसा दिया जा रहा है ताकि तुम अपने घर में बैठे रहो और बाहर निकलने की कोशिश न करो।
SIVA K P
अगस्त 19, 2025 AT 03:27तुम लोग ये सब बकवास पढ़ रहे हो? ये योजना तो बस एक निशान है जो सरकार बना रही है कि वो कुछ कर रही है। असल में तो लड़कियों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं मिलती। ये पैसे तो बस बुराई का ढकना है।
Neelam Khan
अगस्त 19, 2025 AT 19:54मैं एक गाँव की लड़की हूँ और मैंने इस योजना के जरिए अपनी पहली बाइक खरीदी। अब मैं अपने बच्चों को स्कूल ले जाती हूँ। ये पैसे नहीं, ये आज़ादी है। तुम्हारी नज़र में ये बस रुपये हैं, पर हमारे लिए ये ज़िंदगी है।
Jitender j Jitender
अगस्त 20, 2025 AT 22:53ये योजना एक डिजिटल फेमिनिस्ट इकोसिस्टम का हिस्सा है - जहाँ बैंकिंग और ट्रांसफर सिस्टम ने एक नई आर्थिक इकोलॉजी बनाई है। ये न केवल गरीबी को कम कर रहा है, बल्कि एक नए आत्म-निर्भर नागरिक का निर्माण कर रहा है।
Jitendra Singh
अगस्त 21, 2025 AT 00:19ये योजना तो बस एक नए तरीके से लोगों को नियंत्रित करने का तरीका है। जब तुम एक महिला को पैसा देते हो, तो तुम उसकी आज़ादी नहीं, बल्कि उसकी निर्भरता बढ़ा रहे हो। वो अब सिर्फ इस रकम के लिए जी रही है - और ये बदतर है जब वो इसे अपना अधिकार समझने लगे।
VENKATESAN.J VENKAT
अगस्त 22, 2025 AT 13:19मैंने इस योजना को देखा है - और ये बस एक राजनीतिक गेम है। जब तक लड़कियों को शादी के बाद घर छोड़ने की अनुमति नहीं मिलेगी, तब तक ये योजना बस एक झूठी खुशी का दावा है। और रक्षाबंधन का बोनस? बस एक बड़ा धोखा - जिसे लोग अपनी बहनों के नाम पर बेच रहे हैं।