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मौसम पूर्वानुमान 4 सितंबर 2025: कई राज्यों में भारी बारिश अलर्ट, गुजरात में 6–7 सितंबर को 21 सेमी+ की संभावना

मौसम पूर्वानुमान 4 सितंबर 2025: कई राज्यों में भारी बारिश अलर्ट, गुजरात में 6–7 सितंबर को 21 सेमी+ की संभावना
  • सित॰ 5, 2025
  • Partha Dowara
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गुजरात अगले 48–72 घंटों में तेज बारिश के सबसे बड़े दौर के लिए तैयार रहे। आईएमडी की ताजा ब्रीफिंग बताती है कि 6–7 सितंबर को कुछ जगहों पर 21 सेमी या उससे ज्यादा बारिश का इवेंट बन सकता है—यानी स्कूल-कॉलेज, ट्रैफिक और बुनियादी ढांचे पर सीधा असर। देश के कई हिस्सों में मानसून एक्टिव मोड में है, जबकि उत्तर-पश्चिमी इलाकों में अगले हफ्ते के बीच बारिश कम हो सकती है। यह सिर्फ रोज़मर्रा नहीं, सप्ताह की रणनीति बदलने वाला मौसम पूर्वानुमान है।

आगामी एक सप्ताह: कहाँ कितनी बारिश?

गुजरात और दक्षिण राजस्थान: उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश पर बना लो-प्रेशर सिस्टम अब सक्रिय है और सप्ताह के मध्य तक दक्षिण राजस्थान और उत्तरी गुजरात की ओर मजबूत होकर ‘वेल-मार्क्ड’ लो-प्रेशर में तब्दील होने की संभावना है। आईएमडी के अनुसार 6–7 सितंबर को सौराष्ट्र-कच्छ और उत्तर गुजरात बेल्ट—जामनगर, जामनगर ग्रामीण, कच्छ, बनासकांठा, पाटन, मोरबी, राजकोट—में बहुत भारी बारिश की स्थिति बन सकती है। अहमदाबाद–गांधीनगर सहित शहरी इलाकों में भी तेज बौछारें और कुछ घंटों के हाई-इंटेंसिटी स्पेल संभव हैं। डिप्रेशन में बदलने की संभावना कम बताई गई है, लेकिन बारिश की तीव्रता पर इसका असर सीमित ही रहेगा।

पूर्व और मध्य भारत: बिहार और झारखंड में छिटपुट से लेकर अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश के दौर बनेंगे। पूर्वी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और विदर्भ में भी सिस्टम की ट्रैकिंग के साथ स्पेल-आधारित बारिश बढ़ेगी। गंगा के प्लेन्स—सीवान, छपरा, पटना, भागलपुर—और झारखंड के रांची, जमशेदपुर, धनबाद बेल्ट में दोपहर-बाद की तेज बौछारें और रात में लंबी बारिश संभव हैं।

पूर्वोत्तर: असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर में भारी बारिश के हालात बने रहेंगे। पहाड़ी ढलानों पर लैंडस्लाइड का रिस्क बढ़ेगा, खासकर गुवाहाटी–शिलांग कॉरिडोर और अरुणाचल के फूडहिल्स में।

पूर्वी तट और बंगाल की खाड़ी: पहली सप्ताह के अंत में पश्चिम बंगाल और आसपास एक ऊपरी चक्रवाती परिसंचरण बनने का संकेत है (लगभग 8 सितंबर के आसपास)। इसके बाद 13 सितंबर के करीब उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में नया लो-प्रेशर बनने की संभावना जताई गई है, जो ओडिशा–गंगीय पश्चिम बंगाल–बांग्लादेश क्षेत्र में बारिश को फिर से तेज करेगा।

दक्षिणी प्रायद्वीप: तमिलनाडु में दूसरे सप्ताह में भारी बारिश की संभावनाएं बढ़ेंगी। उत्तरी तमिलनाडु और आंध्र के दक्षिणी तटीय हिस्सों में दोपहर के बाद गरज-चमक के साथ तेज बौछारें हो सकती हैं। केरल और कर्नाटक के तटीय इलाकों में भी मानसूनी फीड अच्छी बनी रहने के आसार हैं, जिससे लगातार मध्यम से भारी बारिश का पैटर्न दिख सकता है।

उत्तर-पश्चिम भारत: 11–17 सितंबर के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी यूपी और पश्चिमी राजस्थान के बड़े हिस्सों में बारिश सामान्य से कम रहने की संभावना है। हालांकि इससे पहले दक्षिण-पश्चिम राजस्थान, उदयपुर–चित्तौड़–जालोर–जैसलमेर बेल्ट पर मौजूदा सिस्टम का असर दिखेगा।

जनजीवन, खेती और यात्रा पर असर

जनजीवन, खेती और यात्रा पर असर

शहरी बाढ़ का खतरा: गुजरात के अहमदाबाद, राजकोट, जामनगर, सूरत और कच्छ के कुछ हिस्सों में जलभराव, अंडरपास में पानी, लोकल ट्रांसपोर्ट में देरी—ये सब 6–7 सितंबर को बड़े पैमाने पर देखने को मिल सकता है। सोसाइटी बेसमेंट, लो-लाइन एरिया और पुराने ड्रेनेज नेटवर्क पर खास दबाव रहेगा। रात से सुबह के बीच उच्च-तीव्रता वाले स्पेल सबसे ज्यादा दिक्कत दे सकते हैं।

नदी-नाले और बांध: साबरमती, माही, नर्मदा और ताप्ती की सहायक नदियों के कैचमेंट में जलस्तर बढ़ने के संकेत हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा बांधों के डिस्चार्ज पर नजर रखी जा सकती है; लो-लेवल ब्रिज और कच्चे घाटों से बचना समझदारी होगी। बिहार–झारखंड में गंगा उप-घाटी, दामोदर और सुवर्णरेखा की सहायक नदियों में राइज/फॉल तेज हो सकता है।

खेती पर असर: सौराष्ट्र–कच्छ में कपास और मूंगफली (ग्राउंडनट) के खेतों में जलभराव से रूट-रॉट का खतरा रहता है, इसलिए फील्ड ड्रेनेज खोलें, खेत की मेड पर छोटे कट बनाएं, और स्प्रे शेड्यूल भारी बारिश के बाद ही प्लान करें। मध्य भारत में सोयाबीन और धान (कुरई/रोपाई क्षेत्रों) के लिए 24–48 घंटे का सतत जलभराव नुकसान कर सकता है—कम ऊँचाई के हिस्सों में पानी निकालना जरूरी। बिहार–झारखंड के धान की नर्सरी और ट्रांसप्लांटेड फील्ड में टॉप-ड्रेसिंग उर्वरक भारी बारिश से ठीक पहले टालें, नहीं तो लीक-लॉस होगा।

यात्रा और सुरक्षा: पूर्वोत्तर की पहाड़ियों और पश्चिमी घाट में भूस्खलन-प्रोन ढलानों से दूरी रखें। हाईवे पर वाटर-लॉगिंग के दौरान हाइड्रोप्लानिंग का जोखिम बढ़ता है—रात की लंबी यात्रा टालें। शहरों में स्मार्ट ड्रेनेज के बावजूद बॉटल-नेक्स होते हैं; वैकल्पिक रूट पहले से तय रखें।

तटीय और समुद्री स्थिति: उत्तर-पूर्व अरब सागर और पोरबंदर–कच्छ किनारे के पास हवा तेज हो सकती है। मछुआरे स्थानीय प्रशासन/बंदरगाह चेतावनियों पर ही समुद्र में जाएं। ऊंची लहरों और स्वेल के दौरान छोटे बोट अनावश्यक यात्रा न करें।

बिजली–संचार: तेज हवा और बिजली गिरने की घटनाओं में पेड़ और पुराने होर्डिंग गिरने का खतरा रहता है। खुले मैदान, धातु शेड और पानी के स्रोतों से दूर रहें। मोबाइल चार्जर, पावर बैंक और जरूरी दवाएं ड्राई बैग में रखें—शहरी बाढ़ में यही सबसे पहले काम आते हैं।

क्या बदल रहा है सिस्टम-वाइज? उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश पर सक्रिय लो-प्रेशर उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है और दक्षिण राजस्थान–उत्तरी गुजरात पर सप्ताह के बीच असर शिखर पर ले जाएगा। इसके साथ मानूसनी द्रोणिका (ट्रफ) गुजरात से बंगाल की खाड़ी तक सक्रिय रहेगी, जो पूर्व–मध्य भारत और पूर्वोत्तर को निरंतर नमी सप्लाई करती है। 8 सितंबर के आसपास पश्चिम बंगाल-आसपास ऊपरी चक्रवात और 13 सितंबर के करीब उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में नया लो-प्रेशर, दूसरे सप्ताह में पूर्वी तट की बारिश फिर तेज कर देंगे।

किस-किस पर खास नजर रखें

  • गुजरात: सौराष्ट्र–कच्छ, उत्तर गुजरात (6–7 सितंबर को बहुत भारी बारिश की संभावना)
  • राजस्थान: दक्षिण-पश्चिमी जिले—उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, जालोर
  • पूर्वी इंडिया: बिहार—सीवान, सारण, पटना, भागलपुर; झारखंड—रांची, पूर्व सिंहभूम, धनबाद
  • पूर्वोत्तर: असम–मेघालय की पहाड़ियाँ, अरुणाचल के फूटहिल्स—लैंडस्लाइड/फ्लैश फ्लड का जोखिम
  • दक्षिण प्रायद्वीप: तमिलनाडु—दूसरे सप्ताह में भारी बारिश के स्पेल संभव; केरल–कर्नाटक तटीय पट्टी पर लगातार बौछारें

तुरंत काम की एडवाइजरी

  • 6–7 सितंबर को गुजरात में गैर-जरूरी यात्रा टालें; कार पार्किंग बेसमेंट की बजाय ऊँचे स्थान पर करें।
  • लो-लाइंग क्षेत्रों में सैंडबैग/अस्थायी बैरिकेड तैयार रखें; सोसाइटी ड्रेनेज ग्रिल की सफाई कर लें।
  • किसान जलनिकासी पर फोकस रखें; फफूंदनाशी स्प्रे भारी बारिश थमने के 24–48 घंटे बाद करें।
  • लाइटनिंग सेफ्टी: गरज सुनाई दे तो खुले मैदान, पेड़ों और बिजली के खंभों से दूरी बनाएं।
  • स्कूल–कॉलेज मैनेजमेंट वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट और अर्ली डिस्पर्सल प्लान तैयार रखें।
  • स्थानीय प्रशासन/आईएमडी के कलर कोडेड अलर्ट (येलो/ऑरेंज/रेड) पर नजर रखें और उसी अनुसार निर्णय लें।

ध्यान रहे, 11–17 सितंबर के बीच उत्तर-पश्चिम भारत (दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम यूपी) में बारिश सामान्य से कम रह सकती है। इसका मतलब यह नहीं कि बारिश बंद होगी—बस लंबी सूखी खिड़की और छोटे-छोटे स्पेल मिलेंगे। दूसरी ओर, पूर्व, पूर्वोत्तर, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में दूसरे सप्ताह में भी सामान्य से ऊपर बारिश का पैटर्न जारी रह सकता है।

यह पूरी स्थिति तेजी से बदल सकती है। अगर आप प्रभावित जिलों में हैं, तो रोजाना सुबह–शाम आईएमडी के अपडेट देखें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों को प्राथमिकता दें। सुरक्षित रहें, और अपनी योजना मौसम के साथ लचीली रखें—इस हफ्ते यही सबसे समझदारी भरा कदम है।

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