NEET-PG 2025 एक शिफ्ट: सुप्रीम कोर्ट ने मानी छात्रों की मांग
NEET-PG देने वाले लाखों छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला राहत लेकर आया है। कोर्ट ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) को आदेश दिया है कि 2025 की मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET-PG पूरे देश में एक ही शिफ्ट में हो। कोर्ट ने दो शिफ्ट की व्यवस्था को खारिज करते हुए साफ कहा- अगर छात्र अलग-अलग शिफ्ट में पेपर देंगे तो उनके अधिकारों का हनन होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा- परीक्षा की पारदर्शिता और समानता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आर्टिकल 14 (समानता का अधिकार) और 21 (जीवन का अधिकार) की बात करते हुए कोर्ट ने बताया कि कई शिफ्ट्स में परीक्षा लेने की व्यवस्था छात्रों में 'कृत्रिम अंतर' पैदा करती है, क्योंकि हर बार पेपर का स्तर और कठिनाई अलग हो सकता है।
परीक्षा की तारीख बदली नहीं गई है—NEET-PG 2025 अब भी 15 जून को ही होगी और नतीजे 15 जुलाई तक घोषित करना जरूरी है। कोर्ट ने NBE से कहा है कि कच्चे अंक, सभी सवालों के सही जवाब (आंसर की), और इस्तेमाल किए गए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले को तुरंत सार्वजनिक करना होगा, ताकि छात्रों को रिजल्ट में किसी तरह की अनियमितता महसूस न हो।
पारदर्शिता पर फोकस, प्रशासनिक बहाने खारिज
इस फैसले के पीछे याचिकाकर्ता अदिति की ओर से डाली गई याचिका थी, जिसमें कहा गया था कि दो शिफ्ट की व्यवस्था छात्रों को बराबर मौका नहीं देती। कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा और उज्जल भुयान की बेंच ने NBE से कड़े सवाल किए— 'अगर परीक्षा एक बार में हो सकती है तो पहले से तैयारी क्यों नहीं थी?' कोर्ट ने एडमिनिस्ट्रेटिव वजहों को छात्रों की समानता पर भारी नहीं होने दिया।
NBE को अब परीक्षा एक साथ कराने के लिए लगभग 900 नए सेंटर खोजने होंगे, यानी लॉजिस्टिक्स के हिसाब से उन्हें अब कम वक्त में बड़ी चुनौती सुलझानी पड़ेगी। लेकिन छात्रों की नज़र में यह जरूरी है, क्योंकि बार-बार छात्रों की शिकायत रहती थी कि नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला असल में बराबर अवसर नहीं देता और दो शिफ्ट के पेपर अलग होने से मेहनत का सही आंकलन नहीं हो पाता।
- परीक्षा एक ही दिन, एक ही समय पर होगी
- हर छात्र को एक जैसा पेपर और वातावरण मिलेगा
- पूरा रिजल्ट और आंसर की सार्वजनिक होगी—कुछ छिपेगा नहीं
- NBE को नए सेंटर जोड़ने होंगे, ताकि सभी छात्रों को जगह दी जा सके
- छात्रों की बराबरी और मेडिकल शिक्षा में पारदर्शिता पर अब अदालत की नजर है
छात्र संगठनों, पैरंट्स और शिक्षा जगत ने इसका स्वागत किया है। सभी का कहना है कि अब मेडिकल एडमिशन के इस सबसे अहम इम्तिहान में किसी छात्र के साथ भेदभाव नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आगे भी दूसरे एग्जाम बोर्ड्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक बड़ा उदाहरण बनेगा।