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NEET-UG 2024 विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी चेतावनी के साथ मांगे जवाब

NEET-UG 2024 विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी चेतावनी के साथ मांगे जवाब
  • जून 11, 2024
  • अर्जुन वर्मा
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NEET-UG 2024 परीक्षा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2024 के प्रवेश परीक्षा परिणामों को रद्द करने की याचिका पर केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में पेपर लीक के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि इससे परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से पूछा है कि इस मामले में उचित कार्रवाई क्यों नहीं की गई है और इस संदर्भ में उत्तर दिये जाएं।

पेपर लीक के आरोप और याचिका के प्रमुख बिंदु

याचिकाकर्ताओं, जो कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के हैं, ने दावा किया है कि परीक्षा में कई विसंगतियाँ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ छात्रों को विशेष छूट दी गई है और इसके अलावा अंकों में भी अजीबोगरीब अंतर देखने को मिला है। यह आरोप लगाए गए हैं कि कई छात्रों के अंक सांख्यिकीय दृष्टिकोण से असंभव हैं। इस संदर्भ में परीक्षा की उत्तीर्णता के लिए कोई स्पष्ट और तार्किक कारण नहीं बताया गया है।

याचिका में यह भी बताया गया है कि NTA द्वारा जारी की गई अस्थायी उत्तर कुंजी को 13,000 से अधिक छात्रों ने चुनौती दी थी। चिकित्सा परीक्षाओं में धोखाधड़ी का उल्लेख किया गया है जो छात्रों की आवधिकताओं पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है और मरीजों की जान खतरे में डाल सकती है।

काउंसलिंग पर सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि वह NEET-UG 2024 की काउंसलिंग प्रक्रिया को जारी रहने देगा, लेकिन मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी जिसे एक अन्य समान याचिका के साथ सुना जाएगा। जबकि NTA ने पहले ही 1,600 छात्रों के शिकायतों का विश्लेषण करने के लिए एक उच्च प्रवर्तित समिति बनाई है।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि 5 मई को हुई परीक्षा के अंकों को रद्द किया जाए और पुनः परीक्षा आयोजित की जाए। यह मामला इन दिनों बड़ी ध्यानाकर्षण का केंद्र बन गया है क्योंकि यह केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात नहीं है, बल्कि परीक्षाओं की पवित्रता और विश्वविद्यालय के प्रवेश प्रक्रियाओं की निष्पक्षता भी सवालों के घेरे में है।

परीक्षा की पवित्रता बनाए रखने का मुद्दा

परीक्षा की पवित्रता बनाए रखने का मुद्दा

इस विवाद ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि क्या हमारे शिक्षा तंत्र की परीक्षाएं वास्तव में निष्पक्ष और पवित्र हैं। एक ओर जहां छात्र अपने भविष्य के लिए इन परीक्षाओं पर निर्भर रहते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे आरोप उनकी मेहनत पर अनैतिक प्रभाव डालते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम ने यह स्पष्ट किया है कि परीक्षा प्रणाली की सच्चाई और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए तत्पर कार्रवाइयां जरूरी हैं।

यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चिकित्सा उम्मीदवारों के भविष्य से संबंधित है, जो अंततः समाज की स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पेपर लीक जैसी घटनाएं इस गंभीरता को और बढ़ा देती हैं।

कोर्ट का कड़ा रुख और आगे की कार्रवाई

कोर्ट का कड़ा रुख और आगे की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने NTA और केंद्र से इस संदर्भ में स्पष्ट और सटीक उत्तर की मांग की है। यह केस अब केवल एक परीक्षा विवाद नहीं रहा बल्कि यह हमारे शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता की परख का मामला बन गया है। आगे आने वाले दिनों में कोर्ट के अपहल और कार्रवाईयों पर सबकी नजरें तिकी रहेंगी।

अंततः, यह हमारे समाज के उन मूल्यों की बात करती है जिसके आधार पर हम शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र मानते हैं। यह सुनिश्चित करना कि हम इस प्रणली की पवित्रता को कायम रखते हैं, हमारा सबसे बड़ा दायित्व है।

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