अंशुमन गायकवाड़: एक महान क्रिकेटर और सम्मानीय कोच
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीम इंडिया के कोच अंशुमन गायकवाड़ का 71 वर्ष की आयु में निधन ने क्रिकेट जगत को शोक में डुबो दिया है। मुंबई में जन्मे गायकवाड़ ने भारतीय क्रिकेट में अतुलनीय योगदान दिया। उन्होंने न केवल 55 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि बड़ौदा के लिए 250 से अधिक घरेलू मुकाबलों में भी हिस्सा लिया। खून के कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद उनका निधन हो गया।
अंशुमन गायकवाड़ ने इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी शुरुआत वेस्ट इंडीज के खिलाफ ईडन गार्डन्स में एक टेस्ट मैच से की। उनके करियर की प्रमुख झलकियों में 1987 में खेले गए ओडीआई और 22 वर्षों तक खेले गए 205 फर्स्ट-क्लास मैच शामिल हैं। एक खिलाड़ी के रूप में उनकी प्रतिष्ठा के बाद, उन्होंने कोच की भूमिका में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और भारतीय टीम को 2000 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में रनर-अप बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
खेल में उनके यादगार पल
अंशुमन गायकवाड़ के करियर में कई यादगार पल शामिल हैं। 1998 के शारजाह मैच और 1999 के फिरोजशाह कोटला टेस्ट मैच, जिसमें अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ सभी दस विकेट लिए थे, भारतीय क्रिकेट में उनकी कोचिंग के सुनहरे पल माने जाते हैं। उनके खेलने और कोचिंग के दिनों के कई साथी बहादुरी से उनकी बीमारी के खिलाफ लड़ाई में उनके साथ खड़े रहे।
बीसीसीआई और प्रधान मंत्री की श्रद्धांजलि
अंशुमन गायकवाड़ के इलाज के दौरान बीसीसीआई ने 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी। इसके अलावा, 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के सदस्यों ने भी उनके इलाज की लागत में योगदान दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीसीसीआई के महासचिव जय शाह ने उनके निधन पर गहरी संवेदना प्रकट की और उनके क्रिकेट में योगदान को सराहा।
गायकवाड़ की बहादुरी ने उन्हें हमेशा के लिए क्रिकेट जगत में एक विशेष स्थान दिया है। उनकी कड़ी मेहनत, खिलाड़ियों की देखभाल और सहनशीलता ने उन्हें एक आदर्श कोच बनाया।
पुरानी यादें और उनकी प्रेरणा
अंशुमन गायकवाड़ की यादें और उनके द्वारा दिए गए योगदानों को भारतीय क्रिकेट कभी नहीं भूल पाएगा। खिलाड़ियों और फैंस के दिलों में उनकी यादें सदा जीवित रहेंगी। उन्होंने न केवल एक खिलाड़ी के रूप में बल्कि एक कोच के रूप में भी खेल को नई दिशा दी। उनकी बातों में हमेशा एक प्रेरणा रही, जो खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित करती थी।
उनकी इस महान यात्रा का अंत निश्चित रूप से दुखद है, लेकिन उनकी विरासत अगले कई पीढ़ियों तक जीवित रहेगी। उनके द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड और कोचिंग के अद्वितीय तरीके हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे किसी भी कठिनाई का सामना बहादुरी और धैर्य के साथ किया जा सकता है।