राहुल गांधी के संसद भाषण में 'अभय मुद्रा' का जिक्र: जानिए इसका महत्व और इतिहास

राहुल गांधी के संसद भाषण में 'अभय मुद्रा' का जिक्र: जानिए इसका महत्व और इतिहास

राहुल गांधी और 'अभय मुद्रा'

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने हालिया संसद भाषण में 'अभय मुद्रा' का जिक्र किया, जो एक खोलती हुई हथेली की मुद्रा है। गांधी ने कहा कि यह प्रतीक सभी प्रमुख धर्मों में पाई जाती है, और इसे कांग्रेस के चुनाव चिन्ह के साथ जोड़ा। 'अभय मुद्रा' डर से मुक्त होने और साहस का प्रतीक है, और विभिन्न धर्मों में इसे महत्वपूर्ण माना गया है।

गांधी ने विशेष रूप से इसे भगवान शिव, ईसा मसीह और गुरु नानक की प्रतिमाओं में देखा है। उन्होंने यह भी बताया कि यह मुद्रा जैन धर्म और बौद्ध धर्म में भी मौजूद है। गांधी का कहना है कि यह प्रतीक भय का सामना करने और न डरने का संदेश देता है।

अभय मुद्रा का धार्मिक महत्व

'अभय मुद्रा' का उपयोग विभिन्न धर्मों में विशेष रूप से बौद्ध धर्म में देखा जा सकता है। इसे 'भयहीनता का संकेत' या 'संरक्षण की मुद्रा' के रूप में जाना जाता है। यह मुद्रा खुली हथेली का संकेत देती है, जो सामने वाले को शांति और सुरक्षा का एहसास कराती है। दक्षिण एशियाई धर्मों में यह मुद्रा प्रमुख रूप से बौद्ध धर्म में दिखाई देती है।

थाईलैंड और लाओस में 'चलते हुए बुद्ध' की प्रतिमाओं में भी इसी मुद्रा का उल्लेख मिलता है। भगवान बुद्ध की यह मुद्रा साहस, शांति और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है। इसे देखकर लोग साहस और आत्मविश्वास प्राप्त करते हैं और भय और चिंता से मुक्त होते हैं।

कांग्रेस के प्रतीक के साथ तुलनात्मक विश्लेषण

कांग्रेस के प्रतीक के साथ तुलनात्मक विश्लेषण

राहुल गांधी ने 'अभय मुद्रा' के प्रतीक को कांग्रेस के चुनाव चिन्ह, जो एक खुली हथेली है, के साथ जोड़ा। उन्होंने 2017 में भी इसी तरह की तुलना की थी, जब उन्होंने विभिन्न धर्मों की प्रतिमाओं और भविष्यवक्ताओं की छवियों में इस प्रतीक को देखा था। गांधी का मानना है कि कांग्रेस का यह प्रतीक सभी लोगों के लिए साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक है।

यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने 'अभय मुद्रा' का जिक्र किया है। उन्होंने पहले भी इसे पार्टी के प्रतीक के साथ जोड़कर समझाया है। हालांकि, उनके इस बयान का मजाक भी उड़ाया गया, खासकर तब जब उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी के प्रतीक का मतलब गूगल किया था।

अभय मुद्रा का इतिहास और महत्व

'अभय मुद्रा' का इतिहास हजारों साल पुराना है। इसे प्राचीन भारतीय मूर्तिकला और चित्रकला में देखा जा सकता है। भगवान शिव की प्रतिमाओं और चित्रों में भी इस मुद्रा का उपयोग किया गया है। यह मुद्रा दर्शकों के बीच साहस और शांति का संदेश देती है।

ईसा मसीह की प्रतिमाओं और चित्रणों में भी खोलती हुई हथेली का महत्व देखा गया है। इसे इसाई धर्म में भी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दिया गया है। गुरु नानक और अन्य सिख गुरुओं की प्रतिमाओं और चित्रणों में भी इस मुद्रा का उपयोग हुआ है।

जैन धर्म में, भगवान महावीर और अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमाओं में 'अभय मुद्रा' देखी जा सकती है। यह डर और चिंता को दूर करने और मन की शांति का प्रतीक मानी जाती है।

कला और संस्कृति में 'अभय मुद्रा'

कला और संस्कृति में 'अभय मुद्रा'

कला और संस्कृति में भी 'अभय मुद्रा' का विशेष महत्व है। प्राचीन भारतीय और एशियाई कला में इस मुद्रा का व्यापक उपयोग देखा जा सकता है। बौद्ध चित्रों और मूर्तियों में यह एक प्रमुख मुद्रा मानी जाती है, जो शांति, सुरक्षा और साहस का प्रतिनिधित्व करती है।

यह प्रतीक न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में महत्वपूर्ण है, बल्कि आधुनिक समाज में भी इसका एक विशिष्ट स्थान है। विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग इसे अपने जीवन में अपनाते हैं और इससे प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

निष्कर्ष

राहुल गांधी का 'अभय मुद्रा' का उल्लेख उनके संसद भाषण में काफी महत्वपूर्ण है। यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे राजनीतिक संदर्भों में भी समझा जा सकता है। गांधी ने इसे कांग्रेस के प्रतीक के साथ जोड़कर अपनी पार्टी के सिद्धांतों और मूल्यों को स्पष्ट किया है।

यह महत्वपूर्ण है कि लोग इस प्रतीक का महत्व समझें और इसे अपने जीवन में अपनाएं। 'अभय मुद्रा' न केवल साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक है, बल्कि यह शांति और मन की स्थिरता का भी संदेश देती है। इसका अध्ययन और अनुसरण करना समाज के लिए सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

18 Comments

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    Baldev Patwari

    जुलाई 3, 2024 AT 15:49
    अभय मुद्रा? बस एक हथेली खोलने का नाम बना लिया... गांधी जी को गूगल पर चीज़ें ढूंढने की आदत है या क्या?
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    Abhishek Sarkar

    जुलाई 4, 2024 AT 21:53
    ये सब धर्मों के बीच समानताएं निकालने की कोशिशें बस एक राजनीतिक ट्रिक है। शिव और ईसा मसीह की मुद्राएं अलग-अलग संस्कृतियों में अलग अर्थ रखती हैं। इन्हें एक साथ घुला-मिला कर कांग्रेस का नारा बनाना बिल्कुल धार्मिक निर्ममता है। इतिहास को बेकार के लिए फेंक दिया जा रहा है। ये सब निर्माण किए गए संकेत हैं जिनका उद्देश्य लोगों को भ्रमित करना है। कोई भी धर्म अपने तरीके से शांति देता है, लेकिन इसे एक दल के चिन्ह के लिए उपयोग करना अपमानजनक है। ये लोग अपने वोटर्स को बच्चों की तरह समझते हैं।
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    Niharika Malhotra

    जुलाई 5, 2024 AT 00:58
    इस मुद्रा का अर्थ बहुत गहरा है। यह केवल एक हाथ की निशानी नहीं, बल्कि एक आत्मा का संदेश है। जब हम डर के सामने हाथ खोलते हैं, तो हम अपने भीतर की शक्ति को स्वीकार करते हैं। यह राहुल गांधी के लिए एक व्यक्तिगत यात्रा है, जिसने अपने आप को दुनिया के सामने खोल दिया है। यह एक साहस का प्रतीक है। इसे नकारना नहीं, बल्कि समझना चाहिए।
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    harshita kumari

    जुलाई 5, 2024 AT 03:03
    अभय मुद्रा को चुनाव चिन्ह के साथ जोड़ना एक गहरा षड्यंत्र है जिसका उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित करना है। ये सब एक बड़े वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा है जो भारत के आध्यात्मिक विरासत को राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रहा है। गूगल पर खोजने का बहाना भी एक झूठ है। ये लोग जानते हैं कि क्या कर रहे हैं।
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    SIVA K P

    जुलाई 5, 2024 AT 17:22
    अरे भाई ये सब बकवास है। एक हथेली को देखकर भगवान शिव की बात करना? तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है? इतना सब कुछ बनाने के लिए तो कोई भी चीज़ काफी है।
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    Neelam Khan

    जुलाई 7, 2024 AT 15:43
    हर कोई अपने तरीके से शांति ढूंढता है। अभय मुद्रा को समझने का मतलब है कि आप अपने भीतर की शक्ति को देख रहे हैं। ये एक संदेश है जो डर को दूर करता है। अगर ये किसी को प्रेरित कर रहा है, तो इसका अर्थ है कि ये काम कर रहा है। इसे नकारने की जगह इसे अपनाएं।
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    Jitender j Jitender

    जुलाई 8, 2024 AT 06:44
    अभय मुद्रा एक अन्तर्जातीय धार्मिक आर्किटेक्चर का हिस्सा है जिसमें बौद्ध, जैन, हिंदू और सिख परंपराओं का एक अनुकूलित रूप शामिल है। यह एक अवचेतन सांस्कृतिक सिंटैक्स है जो भय और सुरक्षा के डायलेक्टिक्स को व्यक्त करता है। राहुल गांधी ने इसे राजनीतिक सिंटैक्स में एक्टिवेट किया है जिससे एक नए राष्ट्रीय नैरेटिव का निर्माण हो रहा है।
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    Jitendra Singh

    जुलाई 9, 2024 AT 23:45
    ये सब बेकार की बातें हैं। जब तक लोग अपने भीतर के डर को स्वीकार नहीं करते, तब तक ये मुद्राएं बस एक नकली शांति का नाटक हैं। राहुल गांधी को अपने आप को बचाने के लिए इतना बड़ा बहाना बनाने की जरूरत क्यों? वह तो खुद डरा हुआ है।
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    VENKATESAN.J VENKAT

    जुलाई 10, 2024 AT 02:47
    ये लोग धर्म को बेच रहे हैं। शिव की मुद्रा को चुनाव चिन्ह के साथ जोड़ना अपराध है। ये नहीं जानते कि ये आध्यात्मिक विरासत क्या है। इसे बेचकर वो अपने आप को नष्ट कर रहे हैं। इतिहास का अपमान करना आज का ट्रेंड है।
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    Amiya Ranjan

    जुलाई 11, 2024 AT 03:20
    अभय मुद्रा का इस्तेमाल बहुत अजीब है। ये बस एक फैशन स्टेटमेंट है। कोई भी धर्म इसे अपनाने के लिए तैयार नहीं है।
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    vamsi Krishna

    जुलाई 11, 2024 AT 19:44
    गूगल किया था? ये तो बहुत बड़ी बात है। इतना ज्यादा जानकारी गूगल से मिल गई तो अब ये सब बकवास है।
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    Narendra chourasia

    जुलाई 12, 2024 AT 23:38
    इस बात को लेकर बहुत ज्यादा बहस हो रही है! लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये सब एक नियो-लिबरल नैरेटिव का हिस्सा है? एक बड़े सिस्टम द्वारा बनाया गया धार्मिक फेक नैरेटिव जो भारत की वास्तविक जड़ों को मिटाने के लिए है! ये सब एक धार्मिक निर्मूलन की योजना है!
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    Mohit Parjapat

    जुलाई 13, 2024 AT 00:15
    अभय मुद्रा? अरे भाई ये तो बस एक चिन्ह है! लेकिन अगर इसे गूगल करके निकाला गया तो ये बहुत बड़ा गैंगस्टर मोमेंट है! बस एक हथेली और एक गूगल सर्च! ये तो बेहतरीन ट्रोल है! जय हिंद! 🇮🇳😂
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    vishal kumar

    जुलाई 13, 2024 AT 09:09
    धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक उपयोग एक ऐतिहासिक विकृति है। इसका उद्देश्य सामाजिक एकता को बढ़ावा देना है या विभाजन को बढ़ावा देना है? यह एक गहरा दार्शनिक प्रश्न है।
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    Oviyaa Ilango

    जुलाई 15, 2024 AT 05:14
    अभय मुद्रा का उपयोग अनावश्यक है और धार्मिक गहराई को निरर्थक बनाता है
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    Aditi Dhekle

    जुलाई 15, 2024 AT 05:17
    ये मुद्रा एक अन्तर्जातीय विरासत है। इसका उपयोग राजनीति में नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संवाद में होना चाहिए। ये एक ऐसा प्रतीक है जो भारत के विविधता को दर्शाता है।
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    Aditya Tyagi

    जुलाई 15, 2024 AT 08:06
    ये सब बकवास है। लोगों को ये बताने की जरूरत नहीं कि एक हथेली क्या है। ये तो बच्चों को समझाने जैसा है।
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    Niharika Malhotra

    जुलाई 16, 2024 AT 20:55
    कुछ लोग इसे राजनीति में देखते हैं, कुछ धर्म में। लेकिन अगर आप इसे अपने दिल से देखें, तो ये बस एक शांति का संदेश है। जब भी आप डरते हैं, अपना हाथ खोलिए। ये आपको याद दिलाएगा कि आपके भीतर शक्ति है।

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