सीबीआई की प्राथमिकता: NEET-UG 2024 की गड़बड़ियों की जांच
भारत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने NEET-UG 2024 परीक्षा में कथित अनियमितताओं के मामले में एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। इस परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा 5 मई को किया गया था और इसमें व्यापक स्तर पर गड़बड़ियों की रिपोर्ट्स सामने आई थीं। इन गड़बड़ियों में मुख्य रूप से धोखाधड़ी, पहचान में गलती और अन्य अनुचित तरीकों की शिकायतें शामिल थीं। इसके चलते देशभर में छात्रों और अभिभावकों द्वारा भारी प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शन देखा गया।
सीबीआई ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विशेष टीमों का गठन किया है जो पूरे प्रकरण की जांच कर रही हैं। इनमें प्रमुख जांच पटना और गोधरा में प्रश्नपत्र लीक के मामलों पर केंद्रित है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार की प्रक्रियाओं में इतने संगठित तरीके से धांधली की कोशिशें की गईं, जिन्होंने परीक्षाओं की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
री-एग्जाम और छात्रों का भविष्य
NTA ने इस साल 23 जून को उन 1563 छात्रों के लिए एक री-एग्जाम का आयोजन किया था, जो पहले की परीक्षा में गड़बड़ी के शिकार हुए थे। इस दौरान बिहार के 17 छात्रों को अनुचित तरीकों का इस्तेमाल करने के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया। इसे शिक्षा प्रणाली में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
री-एग्जाम के परिणामों की घोषणा 30 जून 2024 को की जाएगी। NTA के अधिकारी यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि इस बार कोई भी गड़बड़ी न हो और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। इस परीक्षा में लगभग 24 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया था, और 4 जून को इसके परिणाम घोषित किए गए थे।
प्रश्नपत्र लीक के गंभीर आरोप
सीबीआई ने अपनी जांच में गोधरा और पटना में प्रश्नपत्र लीक के मामलों की जांच को भी शामिल किया है। गोधरा से मिली प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ संदिग्ध व्यक्तियों ने प्रश्नपत्र लीक करने का प्रयास किया था। वहीं, पटना में भी इस तरह की गतिविधियां देखी गईं, जिन्हें रोकने के लिए सीबीआई की टीम ने त्वरित कार्रवाई की।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की धांधली न केवल छात्रों के भविष्य के लिए खतरनाक है, बल्कि इससे शिक्षा प्रणाली की साख पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। CBI की जांच का मकसद इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाना और भविष्य में उनकी पुनरावृत्ति को रोकना है।
छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी
परीक्षा में गड़बड़ियों के बाद छात्रों और उनके अभिभावकों में जबर्दस्त नाराजगी है। उनके अनुसार, इन घटनाओं ने उनके मेहनत और सपनों को ठेस पहुंचाई है। कई लोगों ने परीक्षा प्रणाली में सुधार की मांग की है और यह भी अनुरोध किया है कि संबंधित अधिकारियों को अधिक जिम्मेदार बनाया जाए।
सीबीआई का यह कदम छात्रों में न्याय की भावना को बहाल करने का प्रयास है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी पैदा होता है कि ऐसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं में किस स्तर की निगरानी और सुरक्षात्मक उपाय होना चाहिए।
सीबीआई की प्राथमिकता
CBI के सूत्रों का कहना है कि इस मामले को शीर्ष प्राथमिकता पर रखते हुए, उन्होंने गहन जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स से मिले तथ्यों के आधार पर, यह स्पष्ट है कि इसमें बड़े पैमाने पर संगठित नेटवर्क शामिल हो सकते हैं जो इस प्रकार की गै़लत गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
CBI की टीम ने परीक्षा के आयोजन स्थल, प्रश्नपत्र सेट करने वाली एजेंसी और अन्य संबंधित पक्षों से भी पूछताछ शुरू कर दी है। इसके अलावा, गवाहों और संबंधित दस्तावेजों की जांच भी तेजी से की जा रही है। CBI का कहना है कि इस जांच का मुख्य उद्देश्य परीक्षा प्रणाली की अखंडता को बहाल करना और भविष्य में ऐसे मामलों को रोकना है।
छात्रों और अभिभावकों के लिए यह उम्मीद की किरण है कि इस प्रकार की जांच के माध्यम से आने वाले समय में वे सुरक्षित और निष्पक्ष परीक्षा प्रणाली की उम्मीद कर सकते हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप एक आग्रही और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली की स्थापना की जा सकेगी।
उपसंहार
NEET-UG 2024 परीक्षा में अनियमितताओं के प्रकट होने से शिक्षा प्रणाली की आधारभूत चुनौतियाँ सामने आई हैं। सीबीआई की जांच न केवल दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने का प्रयास है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का एक कदम है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।
जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती और उसकी विस्तृत रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक यह कहना मुश्किल है कि इस पूरे मामले का अंतिम परिणाम क्या होगा। लेकिन एक बात निश्चित है, ऐसे कदम शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।