जब बात डिमर्जर, एक कंपनी का कुछ भाग अलग‑अलग इकाइयों में बदलना. विच्छेदन की होती है, तो यह प्रक्रिया अक्सर व्यवसायिक रणनीति, वित्तीय दबाव या नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनाई जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य पूँजी संरचना को सुधारा जाना, संसाधनों की दक्षता बढ़ाना या शेयरधारकों को मूल्य प्रदान करना है।
डिमर्जर अक्सर विलय, दो या अधिक कंपनियों का एक इकाई में मिलना या अधिग्रहण, एक कंपनी द्वारा दूसरी कंपनी के शेयर या संपत्तियों की खरीद के साथ मिलकर चलती है। जबकि विलय में दोनों पक्ष बराबर होते हैं, अधिग्रहण में एक पक्ष प्रमुख भूमिका निभाता है। डिमर्जर इन दोनों प्रक्रियाओं के बीच एक पुल की तरह काम करता है, जहाँ बड़ी कंपनी अपने कुछ हिस्सों को हटाकर नई, स्वतंत्र इकाइयों में बदल देती है।
क़ानूनी तौर पर डिमर्जर को कॉरपोरेट गवर्नेंस, कंपनी की नीति, नियंत्रण और जवाबदेही के नियम के दायरे में माना जाता है। भारतीय संदर्भ में कंपनी एक्ट 2013, SEBI के सिक्योरिटीज़ रेगुलेशन, बाजार में पारदर्शिता और निवेशक संरक्षण सुनिश्चित करने वाले नियम लागू होते हैं। इन नियमों का पालन न करने पर डिमर्जर प्रक्रिया में बाधा आ सकती है या दंड लग सकता है, इसलिए बोर्ड, शेयरधारकों और नियामक अधिकारियों की साफ़ मंजूरी जरूरी है।
वास्तविक दुनिया में डिमर्जर के कई उदाहरण मिले हैं—जैसे बड़े समूह अपने कम लाभकारी युनिट को अलग करके नई कंपनी बनाते हैं। इससे स्टॉक की कीमतें अक्सर अस्थायी रूप से बढ़ती हैं, क्योंकि निवेशकों को नई इकाई की संभावनाएँ स्पष्ट नजर आती हैं। साथ ही, कर्मचारियों के लिए पुनर्नियोजन या निकासी पैकेज भी जुड़ते हैं, जो सामाजिक पहलुओं को सीधे प्रभावित करता है। इन सभी प्रभावों को समझने के लिए वित्तीय विवरण, बाजार प्रतिक्रिया और नियामक औकात को एक साथ देखना आवश्यक है।
डिमर्जर को समझना आपके निवेश या प्रबंधन निर्णयों को आसान बना सकता है। नीचे आप देखेंगे कि हाल ही में कौन‑सी कंपनियों ने डिमर्जर के कदम उठाए, उनके कारण क्या रहे और आगे क्या संभावनाएँ दिख रही हैं। इन खबरों को पढ़कर आप अपने करियर या पोर्टफोलियो के लिए सही रणनीति बना सकते हैं। अब चलिए, ताज़ा डिमर्जर समाचारों की लिस्ट पर नज़र डालते हैं।
डिजिटल economy के उदय के साथ, फिनटेक और ई‑कॉमर्स कंपनियाँ भी डिमर्जर को रणनीतिक टूल के रूप में देख रही हैं। क्लाउड‑आधारित सेवाओं को अलग करके वे अपने मुख्य व्यवसाय को तेज़ी से स्केल कर सकते हैं, जबकि नई इकाई को न्यूनतम नियामक बोझ के साथ चलाया जा सकता है। यह trend आने वाले वर्षों में और तेज़ी से बढ़ेगा, क्योंकि कंपनियों को तेज़ी से बदलते बाजार में टिके रहने के लिए संरचनात्मक लचीलापन चाहिए।
टाटा मोटर्स ने 1 अक्टूबर 2025 को डिमर्जर लागू किया, शेयरधारकों को 1:1 TMLCV शेयर मिलने से स्टॉक में 5% उछाल आया; पीबी बालाजी को Jaguar Land Rover के CEO बनाया गया।