अगर आप आयकर रिटर्न फाइल करना चाहते हैं लेकिन ITR-2 के बारे में ज्यादा नहीं जानते, तो आप सही जगह पर आएँ। अधिकांश salaried लोग ITR‑1 इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अगर आपके पास फ़ॉर्म 16 के अलावा कोई अन्य इनकम है, जैसे कि किराया, शेयर, या प्रॉपर्टी से आय, तो ITR‑2 आपका विकल्प बनता है। नीचे हम इसे आसान भाषा में समझेंगे, ताकि आप बिना किसी झंझट के अपना रिटर्न जमा कर सकें।
ITR‑2 वह टैक्स रिटर्न फॉर्म है जिसे वे लोग भरते हैं जिनकी आय में सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी, शेयर ट्रेडिंग, पूँजीगत लाभ आदि शामिल होते हैं। यह फ़ॉर्म salaried लोगों के साथ-साथ freelancers और छोटे व्यवसायों के लिये भी उपयुक्त है, जब तक आप व्यापार या पेशेवर गतिविधियों से आय नहीं कमा रहे हों (वो ITR‑3 या ITR‑4 के तहत आता है)।
फ़ॉर्म का मुख्य उद्देश्य आपकी कुल आय, कटौतियाँ, टैक्स बचत और देनदारी को एक जगह दिखाना है। इससे सरकार को आपके टैक्स की सही गणना करने में मदद मिलती है और आपको रिफ़ंड या अतिरिक्त भुगतान का पता चलता है।
1. जरूरी दस्तावेज़ इकट्ठा करें:
2. पोर्टल पर लॉग‑इन करें: इन्कम टैक्स वेबसाइट (www.incometax.gov.in) खोलें, अपने PAN और पासवर्ड से साइन‑इन हों। यदि दो‑स्तरीय ऑथेंटिकेशन सेट है तो OTP डालना होगा।
3. नया रिटर्न बनाएं: “Prepare and Submit Online Returns” पर क्लिक करें, फॉर्म ड्रॉपडाउन में ‘ITR‑2’ चुनें और ‘Create New Return’ दबाएँ।
4. व्यक्तिगत जानकारी भरें: नाम, पता, PAN, बैंक अकाउंट डिटेल्स सही से लिखें। अगर आपके पास कई बैंक खाते हैं तो सभी को जोड़ें – रिफ़ंड उसी में मिलेगा।
5. आय के सेक्शन भरें:
6. कटौतियाँ और टैक्स बचत: सेक्शन 80C‑80U में लाइफ़ इंश्योरेंस प्रीमियम, PPF, मेडिकल इन्श्युरेंस, ELSS फंड आदि की रसीदें डालें। इससे आपका टैक्सेबल इनकम घटेगा।
7. टैक्स कैलकुलेशन और चेक: सिस्टम आपके एंट्री के आधार पर टैक्स निकालता है। यदि आपको टैक्स बकाया है तो नेट बैंकिंग/UPI से भुगतान करें, अगर रिफ़ंड है तो अकाउंट डिटेल सही रखें।
8. वैधता और सिग्नेचर: “Validate” पर क्लिक करके फॉर्म को डिजिटल साइन करें। फिर ‘Submit’ दबाएँ और e‑Verification (आधार OTP या एआईआरएस ई‑वेरिफ़िकेशन) के साथ पूरा कर लें।
एक बार सब्मिट करने के बाद, आपका रिटर्न 120 दिन में प्रोसेस हो जाएगा। आप “View Returns/Forms” सेक्शन से status देख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर संशोधन भी कर सकते हैं।
भले ही प्रक्रिया पहली नज़र में जटिल लगती है, लेकिन जब आपने ऊपर बताये स्टेप्स को एक‑एक करके किया, तो यह बहुत आसान हो जाता है। याद रखें, समय से पहले रिटर्न फाइल करने से आप जुर्माना और पेनल्टी से बचते हैं, साथ ही जल्दी रिफ़ंड भी मिल जाता है। अगर कभी अटकें, तो इन्कम टैक्स हेल्पलाइन या एक प्रमाणित चार्टर्ड अकाउंटेंट से मदद ले सकते हैं।
अब आप ITR‑2 फ़ॉर्म को आत्मविश्वास के साथ भरने के लिए तैयार हैं। जल्दी शुरू करें और अपने वित्तीय रिकॉर्ड को साफ़ रखें!
यह लेख दो प्रमुख आयकर रिटर्न फॉर्म्स - ITR-1 (सहज) और ITR-2 के बीच तुलना करता है। ITR-1 उन व्यक्तियों के लिए है जिनकी आय वेतन, एक मकान संपत्ति, अन्य स्रोतों और 5,000 रुपये तक की कृषि आय से होती है, जबकि ITR-2 उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) के लिए है जिनकी आय में वेतन, एक से अधिक मकान संपत्ति, पूंजीगत लाभ, विदेशी संपत्ति, और व्यवसाय/व्यवसाय आय शामिल हैं। सही फॉर्म चुनने के महत्त्व पर जोर दिया गया है ताकि करदाताओं को परेशानियों से बचाया जा सके।