अगर आप क्रिकेट देखते‑देखते थक गए हों, तो एक बार बुमराह की डिलीवरी देखिए। सिर्फ दो-तीन ओवर में ही वह मैच का रिदम बदल देता है। इस लेख में हम उसके शुरुआती दिनों से लेकर आज तक के बदलावों को आसान भाषा में समझेंगे, ताकि आप भी उसकी शैली को पहचान सकें और खुद की क्रिकेट चर्चा में थोड़ा ‘बुमराह‑फैक्टर’ जोड़ सकें।
जसप्रीत का जन्म ६ अगस्त १९९७ को अहमदाबाद में हुआ था, पर बचपन से ही वह मुंबई के मैदानों में घूमा करता था। स्कूल की टीम में तेज़ बॉलिंग करके जल्दी ही स्काउट्स ने उसकी आँखें पकड़ीं। २०१५ में उन्होंने भारत अंडर‑19 का हिस्सा बनकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम रखा और सिर्फ दो साल बाद ही मुख्य टीम में शामिल हुए। शुरुआती दौर में उनका रॉ-स्पीड १४० किमी/घंटा से ऊपर था, लेकिन सच्ची बात यह है कि उन्होंने गति के साथ कंट्रोल भी सीख लिया – यही बात उन्हें बाकी फास्ट बॉलरों से अलग बनाती है।
आज बुमराह को T20 का ‘डेडली’ कहा जाता है। वह अक्सर पावरप्ले के पहले ओवरों में या मैच के आखिरी दो ओवरों में खेलता है, जहाँ हर रन की कीमत सोने जैसी होती है। उसकी डिलीवरी में स्लाइडिंग स्लीपर और टॉप‑एंड‑बॉल दोनों होते हैं, जिससे बल्लेबाज को पढ़ना मुश्किल हो जाता है। हालिया IPL सीज़न में वह ५ मैचों में १२ विकेट लेकर टीम को जीत दिलाने में मददगार रहा। अगर आप खुद भी बॉलर बनना चाहते हैं तो बुमराह की दो बातें याद रखिए – रन‑कॉर्नर पर फोकस और रन आउट करने के लिए ‘फ्लिक’ मोशन।
बुमराह की फिटनेस भी उसकी सफलता में बड़ी भूमिका निभाती है। वह हर दिन ६० मिनट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, ४५ मिनट कार्डियो और विशेष रूप से कंधे‑पैर की लचीलापन पर काम करता है। यही कारण है कि चोटों के बावजूद वह लगातार फॉर्म में रहता है। अगर आप घर पर वर्कआउट करना चाहते हैं तो बुमराह के रूटीन को कॉपी कर सकते हैं – हल्का जंप रोप, प्लैंक और साइड लेग रेज़ आपके बॉलिंग स्टैमिना को बढ़ाएंगे।
बुमराह की तकनीक में एक खास बात है ‘ड्रॉप‑ऑफ़’ ग्रिप। यह ग्रिप गेंद को हवा में थोड़ी देर तक रोकती है, जिससे बैट्समैन को रिद्म का अनुमान नहीं लगता। इसे सीखने के लिए आपको सिर्फ़ थ्रोइंग मशीन पर १०० से अधिक बॉल्स फेंकनी होगी और हर बार ग्रिप को थोड़ा‑थोड़ा बदलना होगा जब तक आप सही ‘फील’ न पा लें। इस छोटे‑से ट्रिक ने कई बड़े बल्लेबाज़ों को चौंका दिया है, इसलिए इसे आज़माने में कोई नुकसान नहीं।
एक बात और जो बुमराह से सीखने लायक है – वह मैच के दबाव में भी शांत रहता है। चाहे तेज़ी से चलती पिच हो या बड़े टार्गेट को चेज कर रहे हों, वह हमेशा “मैं सिर्फ़ अपनी डिलीवरी पर फोकस करता हूँ” कहता है। यह माइंडसेट नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आप भी जब कोई कठिन स्थिति का सामना करें तो अपने लक्ष्य (डिलीवरी) पर ही दिमाग लगाएँ, बाकी सब पीछे छूट जाएगा।
समाप्ति में यही कहा जा सकता है कि बुमराह सिर्फ़ एक तेज़ गेंदबाज़ नहीं, बल्कि क्रिकेट की समझ वाले रणनीतिक खिलाड़ी भी हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है – मेहनत, अनुशासन और सही तकनीक से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अगली बार जब आप मैच देखें, तो ध्यान दें कैसे बुमराह दो-तीन ओवर में ही खेल को बदल देता है, और शायद आप भी उसके टिप्स अपनाकर खुद की क्रिकेट दुनिया में चमक पाएँगे।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पांचवे टेस्ट के पहले दिन का समापन जसप्रीत बुमराह और ऑस्ट्रेलियाई युवा बल्लेबाज सैम कॉन्स्टास के बीच गरमागरम बहस के साथ हुआ। यह घटना तब हुई जब बुमराह उस्मान ख्वाजा के गेंद का सामना करने के लिए तैयार होने का इंतजार कर रहे थे। कॉन्स्टास की टिप्पणी ने बुमराह को नाराज़ कर दिया, जिसके बाद दोनों के बीच गरमागरम वाद-विवाद हुआ।
पूर्व भारतीय बल्लेबाज संजय मंजीरेकर ने जसप्रीत बुमराह की तारीफ करते हुए कहा कि इस स्टार तेज गेंदबाज में कोई कमजोरी नहीं है। यह प्रशंसा बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में बुमराह के शानदार प्रदर्शन के बाद आई है। मंजीरेकर के मुताबिक, बुमराह का असाधारण कौशल और विविधता उन्हें किसी भी बल्लेबाजी लाइनअप के लिए चुनौतीपूर्ण बनाता है।