अगर आप भारत का नागरिक हैं तो हर साल आयकर, जीएसटी या अन्य करों की नई घोषणा से जुड़ा रहता है। यहाँ हम आपको आसान भाषा में बताते हैं कि इस महीने कौन‑से बदलाव हुए और कैसे आप अपनी टैक्स बचत बढ़ा सकते हैं। पढ़ते रहिए, क्योंकि सही जानकारी से आपका पैसा बच सकता है।
जानेवारी में पेश किया गया बजट 2025 कई टैक्स पहल लेकर आया। सबसे बड़ी बात यह रही कि आयकर स्लैब में थोड़ा बदलाव हुआ जिससे मध्यम वर्ग को थोड़ी राहत मिलेगी। साथ ही, छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न फाइल करने का समय घटा दिया गया है – अब आप दो महीने की बजाय एक महीने में रिटर्न जमा कर सकते हैं।
केंद्र सरकार ने स्टार्ट‑अप्स और इनोवेटर कंपनियों को 5 साल तक टैक्स में छूट देने की योजना भी घोषित की। अगर आपका व्यवसाय नई टेक्नोलॉजी पर काम करता है तो इस सुविधा का फायदा उठाएँ। ये बदलाव न केवल करदाताओं को राहत देते हैं बल्कि निवेश को भी प्रोत्साहित करते हैं।
अब बात करें उन तरीकों की जो आपको हर साल अपने टैक्स में बचत करने में मदद करेंगे। सबसे पहले, सेक्शन 80C का पूरा उपयोग करें – जीवन बीमा, पीएफ और एलआईसी प्रीमियम सब गिनते हैं। अगर आप इनमें से कोई भी नहीं ले रहे तो तुरंत शुरू कर दें, क्योंकि यह 1.5 लाख रुपये तक की छूट देता है।
दूसरा, सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को शामिल करें। परिवार के सभी सदस्यों का बीमा अगर आप ले रहे हैं तो हर साल अतिरिक्त बचत हो सकती है। तीसरा, घर की लोन पर मिलने वाला इंटरेस्ट भी टैक्स रिटर्न में गिनता है – इसका फायदा उठाने के लिए अपने लोन स्टेटमेंट को हमेशा रखें।
अगर आपका व्यापार या फ्रीलांसिंग है तो खर्चे लिखना न भूलें। इंटरनेट बिल, ऑफिस सप्लाई और यात्रा खर्च सभी को दस्तावेज़ीकरण करके दिखाएँ। इससे आपकी टैक्सेबल इन्कम घटेगी और आपको कम कर देना पड़ेगा।
अंत में, टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले एक बार ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें। यह आपको पता देगा कि आप कितना बचा सकते हैं और किन दस्तावेज़ों की जरूरत होगी। याद रखें, सही समय पर फाइलिंग कर देना न केवल पेनल्टी से बचाता है बल्कि रिफंड भी जल्दी आता है।
राष्ट्रीय समाचार में हम हर हफ्ते ऐसे ही टैक्स अपडेट लाते हैं। अगर आप नियमित रूप से पढ़ेंगे तो नई नीति, डेडलाइन या कोई छूट आपके पास से नहीं गुज़र पाएगी। हमारे साथ रहें और अपने पैसे को समझदारी से बचाएं!
यह लेख दो प्रमुख आयकर रिटर्न फॉर्म्स - ITR-1 (सहज) और ITR-2 के बीच तुलना करता है। ITR-1 उन व्यक्तियों के लिए है जिनकी आय वेतन, एक मकान संपत्ति, अन्य स्रोतों और 5,000 रुपये तक की कृषि आय से होती है, जबकि ITR-2 उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) के लिए है जिनकी आय में वेतन, एक से अधिक मकान संपत्ति, पूंजीगत लाभ, विदेशी संपत्ति, और व्यवसाय/व्यवसाय आय शामिल हैं। सही फॉर्म चुनने के महत्त्व पर जोर दिया गया है ताकि करदाताओं को परेशानियों से बचाया जा सके।