हर रोज़ ऑफिस या काम की जगह पर हम सभी कुछ ना कुछ दबाव महसूस करते हैं। कभी ये छोटा सा झटका लगता है, तो कभी पूरी तरह से थकावट में बदल जाता है। अगर आप भी इस स्थिति में फँसे हुए हैं, तो जानिए कि तनाव सिर्फ मन का नहीं बल्कि शरीर का भी असर डालता है और इसे पहचानना पहला कदम है राहत की ओर.
जब दफ़्तर का काम बढ़ जाता है या बॉस से नई उम्मीदें आती हैं, तो अक्सर ये संकेत दिखते हैं: सिर में धुंधला महसूस होना, लगातार थकान, नींद कम आना और छोटी‑छोटी बातों पर चिड़चिड़ा हो जाना। अगर आप इनमें से दो‑तीन चीज़ें रोज़ देख रहे हैं, तो समझ लीजिए कि आपका शरीर तनाव के संकेत दे रहा है.
1. छोटा ब्रेक लें: हर घंटे में 5‑10 मिनट की रुकावट रखें। थोड़ा खिंचाव करें, पानी पीएँ या खिड़की से बाहर देखें। इससे दिमाग को नई ताजगी मिलती है.
2. काम का लोड व्यवस्थित करें: टु‑डू लिस्ट बनाइए और काम को प्राथमिकता के हिसाब से बाँटे। सबसे जरूरी कार्य पहले पूरे करने से दबाव कम रहता है.
3. संचार में स्पष्ट रहें: अगर किसी प्रोजेक्ट की टाइमलाइन या जिम्मेदारी साफ़ नहीं है, तो तुरंत अपने मैनेजर या टीम से बात करें। अस्पष्टता तनाव को बढ़ाती है.
4. शारीरिक एक्टिविटी जोड़ें: लंच के बाद 15‑minute तेज़ चलना, ऑफिस में सीढ़ियाँ उठाना या कुर्सी पर बैठकर पैर स्ट्रेच करना शरीर में एन्डॉर्फिन रिलीज़ करता है जो तनाव को घटाता है.
5. सांस‑प्रश्वास और माइंडफ़ुलनेस: एक मिनट के लिए गहरी साँस ले‑छोड़ें, नाक से अंदर, मुँह से बाहर। इसे दो‑तीन बार दोहराने से दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है और दिमाग शांत रहता है.
इन छोटे‑छोटे कदमों को रोज़ाना अपनाने से काम के माहौल में बड़ा बदलाव आ सकता है. याद रखें, तनाव पर नियंत्रण आपका अधिकार है; आप इसे पहचान कर सही उपाय चुन सकते हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ईवाई इंडिया के एक कर्मचारी एना सेबास्टियन परायिल की मौत पर 'सहने में असमर्थ' टिप्पणी कर विवाद पैदा किया है। विपक्षी कांग्रेस ने उनके बयान को 'शिकार को दोषी ठहराने' के रूप में आलोचना की है। मंत्री ने विश्वविद्यालयों को तनाव प्रबंधन पाठ्यक्रम जोड़ने का आग्रह किया है।