जब आप समाचार में क्वाड (Quad) का जिक्र सुनते हैं, तो अक्सर ‘चार देशों की रणनीतिक गठबंधन’ के बारे में बात होती है। भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इस मंच पर मिलकर सुरक्षा, तकनीक और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं। हाल ही में हुए क्वाड समिट ने कई नई पहलों को सामने लाया जो हमारे देश की विदेश नीति को नया दिशा दे रहे हैं।
सबसे पहले, चारों देशों ने ‘इंडो‑पैसिफिक आर्थिक साझेदारी’ पर समझौता किया। इसका मतलब है कि समुद्री सुरक्षा, सप्लाई चेन और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में सहयोग बढ़ेगा। दूसरे, जलवायु बदलाव को रोकने के लिये मिलकर साफ़ ऊर्जा प्रोजेक्ट्स शुरू करने का वादा हुआ। तीसरा बड़ा फैसला था साइबर सुरक्षा पर एक संयुक्त कार्य समूह बनाना ताकि हम सभी को ऑनलाइन खतरों से बचाया जा सके।
हमारे लिये क्वाड समिट दो‑तीन फायदे लाता है। पहला, रक्षा तकनीक में उन्नत सहयोग मिलने से भारतीय सेना को नई टैक्टिकल एंव स्ट्रैटेजिक क्षमताएँ मिलेंगी। दूसरा, अमेरिकी कंपनियों के साथ व्यापार बढ़ेगा जिससे रोजगार और निवेश दोनों में फायदा होगा। तीसरा, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिये अंतर्राष्ट्रीय फंड तक आसान पहुंच मिलेगी, जो हमारे ग्रामीण इलाकों में साफ़ ऊर्जा लाने में मददगार होगी।
समिट के दौरान भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने की बात दोहराई। इसका अर्थ है कि विदेशी कंपनियों को अपने उत्पादन इकाइयाँ यहाँ स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे स्थानीय उद्योग मजबूत होगा और निर्यात में भी वृद्धि होगी।
एक और दिलचस्प पहल थी ‘डिजिटल क्वाड’ जो क्लाउड कंप्यूटिंग, 5G नेटवर्क और AI विकास पर केंद्रित है। इससे हमारे छोटे‑बड़े व्यवसायों को नई तकनीकों का फायदा मिलने की संभावना बढ़ेगी, और युवा पेशेवरों के लिये रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।
समिट में एक बात खास तौर पर उल्लेखनीय थी – ‘सुरक्षा सहयोग’ का नया ढांचा। समुद्री डाकूगिरी, सायबर हमलों और आतंकवाद से लड़ने के लिये चार देशों ने मिलकर जॉइंट एक्सरसाइज़ और इंटेलिजेंस शेयरिंग की योजना बनाई है। इससे हमारे जलक्षेत्र में सुरक्षा बढ़ेगी और व्यापार मार्ग खुलेंगे।
अब सवाल उठता है – ये सभी योजनाएँ वास्तविकता बनेंगी या सिर्फ शब्दों में रह जाएँगी? जवाब सरल है, अगर सरकार इन वादों को सही नीति‑निर्माण और बजट के साथ जोड़ ले तो प्रभावी परिणाम मिल सकते हैं। इस प्रक्रिया में आम जनता की भागीदारी भी जरूरी है, चाहे वह नई तकनीकों का उपयोग हो या पर्यावरण संरक्षण में योगदान।
अंत में, क्वाड समिट सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय मीटिंग नहीं, बल्कि भारत के विकास की दिशा को तय करने वाला मंच बन रहा है। यदि हम इन पहलों को समझकर सही कदम उठाएँ तो आर्थिक वृद्धि, सुरक्षा और स्थिरता सब साथ-साथ मिल सकते हैं। इस कारण हर नागरिक को इन मुद्दों पर नजर रखनी चाहिए और अपनी आवाज़ सुनानी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान वे क्वाड समिट में भाग लेंगे और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के मकसद भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देना है। मोदी ने न्यूयॉर्क में भारतीय प्रवासी को भी संबोधित किया।