आपने सुना होगा कि अब कुछ टेस्ट मैचों में सफ़ेद गेंद की जगह गुलाबी‑सफेद पिंक बॉल इस्तेमाल होती है। इसे ‘पिंक बॉल टेस्ट’ कहा जाता है। इस बदलाव का मुख्य कारण दिन और रात दोनों समय खेल को एक साथ चलाना आसान बनाना था, ताकि दर्शकों को पूरे ओवर के दौरान स्पष्ट दृश्य मिल सके।
सफ़ेद गेंद को शाम‑डिन में इस्तेमाल करने पर रोशनी में देखना मुश्किल हो जाता है। पिंक बॉल को विशेष रूप से इस समस्या के हल के लिए बनाया गया – इसमें चमकदार रंग और थोड़ी मोटी लेयर होती है जो सुई की गति को थोड़ा बदलती है, जिससे बॉल रात में भी स्पष्ट दिखे। इससे फील्डर और बैट्समैन दोनों को समान परिस्थितियों में खेलना आसान हो जाता है।
पहली बार 2005 में ऑस्ट्रेलिया‑इंग्लैंड टेस्ट में पिंक बॉल का प्रयोग हुआ, लेकिन इसे लगातार अपनाना तब तक नहीं हुआ जब तक 2010 के बाद कई देशों ने इसे नियमित किया। आज भारत, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े क्रिकेटिंग नations इस फॉर्मेट को अपना रहे हैं।
भारतीय टीम ने पिंक बॉल टेस्ट में कई यादगार जीत दर्ज की है। 2016 में भारत‑ऑस्ट्रेलिया सिरीज़ के पहले टेस्ट में मुंबई में पिंक बॉल से खेलते हुए भारत ने शानदार जर्सी पहनकर जीत हासिल की, जिससे दर्शकों का उत्साह दोगुना हो गया। इसी तरह 2022 में दिल्ली में खेले गए ‘डेज़ी क्रीडा’ मैच में भारतीय बॉलर ने दो टॉप ऑर्डर को आउट कर टीम को जीत दिलाई।
इन जीतों के पीछे कई कारण हैं – भारत की तेज़ पिच, बेहतरीन फील्डिंग और पिंक बॉल पर बल्लेबाज़ी करने का नया अनुभव। खिलाड़ी अक्सर कहते हैं कि पिंक बॉल से गति थोड़ी धीमी लगती है, जिससे बैट्समैन को शॉट खेलने में थोड़ा समय मिलता है, लेकिन साथ ही गेंद की स्विंग भी बढ़ जाती है।
अगर आप अगले पिंक बॉल टेस्ट देखना चाहते हैं तो सबसे पहले टाइम टेबल चेक कर लें – ये मैच आमतौर पर दो‑तीन दिन पहले शुरू होते हैं और शाम 4 बजे से रात के 10 बजे तक चलते हैं। टिकट ऑनलाइन या स्टेडियम काउंटर दोनों से मिलते हैं, लेकिन जल्दी बुकिंग करना बेहतर रहता है क्योंकि इन मैचों की मांग अधिक होती है।
खेल देखते समय कुछ बातें याद रखें: पिंक बॉल को तेज़ लाइट में देखना आसान नहीं होता, इसलिए स्क्रीन पर रे‑डार या हाई‑डेटा सेटिंग वाले मोड से देखें। साथ ही फील्डर की पॉज़िशनिंग भी महत्वपूर्ण है – वे अक्सर रेनबो शॉट्स के लिए तैयार रहते हैं क्योंकि बॉल की मूवमेंट बढ़ी होती है।
पिंक बॉल टेस्ट का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड (ICC) ने इसे ‘डेज़ी क्रीडा’ कहा है, जिससे इस फॉर्मेट को नई पहचान मिली है और दर्शकों का रुचि भी बढ़ी है। अगर आप एक सामान्य टेस्ट से थक चुके हैं तो पिंक बॉल वाला मैच ज़रूर देखिए – रंगीन माहौल और तेज़ रफ्तार दोनों मिलेंगे।
संक्षेप में, पिंक बॉल टेस्ट न सिर्फ तकनीकी बदलाव है बल्कि दर्शकों को रोमांचित करने का नया तरीका भी है। भारत की टीम ने इस फॉर्मेट में कई यादगार जीतें हासिल की हैं, और आगे भी ऐसी ही उत्साहित मैचों की संभावना बनी हुई है। तो अगली बार जब कोई पिंक बॉल वाला टेस्ट हो, तो अपनी जगह बुक करें और क्रिकेट के इस नए रंग को महसूस करें।
भारत और प्रधानमंत्री XI का पिंक बॉल अभ्यास मैच पहले दिन बारिश के कारण स्थगित हो गया। यह मुकाबला महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत को गुलाबी गेंद से खेलने की तैयारी का मौका मिलेगा। कप्तान रोहित शर्मा और शुभमन गिल की टीम में वापसी हुई है। बारिश के चलते खिलाड़ियों को अपनी रणनीति में बदलाव करने पर विचार करना होगा।