संविधान दिवस – क्या है और क्यों मनाते हैं?

हर साल 26 नवंबर को भारत में संविधान दिवस मनाया जाता है। इस दिन 1949 में हमारा मूलभूत कानून अपनाया गया था, लेकिन इसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता केवल 2015 से मिली। जब आप इस तारीख के बारे में सुनते हैं तो अक्सर सवाल आता है – आखिर क्यों?

सरल शब्दों में समझें: संविधान वह दस्तावेज़ है जो देश की बुनियादी नियम‑कानून तय करता है, जैसे किसी खेल के नियम। यह हमें बताता है कि सरकार क्या कर सकती है और क्या नहीं, तथा हमारे अधिकार कैसे सुरक्षित हैं। इसलिए इस दिन को याद करके हम अपनी लोकतांत्रिक जड़ें मजबूत करते हैं।

इस साल के प्रमुख कार्यक्रम कौन से?

2025 में संविधान दिवस के मौके पर कई खास आयोजन हुए। नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के बाग में एक बड़ा समारोह रखा गया जहाँ स्कूल‑कॉलेज की टीमों ने मंच सजाया और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। साथ ही, प्रधानमंत्री ने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से लाइव टॉक किया जिसमें युवा वर्ग को संविधान पढ़ने का महत्व बताया गया।

राज्य स्तर पर भी कई कार्यक्रम हुए – महाराष्ट्र में ‘संविधान मेला’ लगा जहाँ विभिन्न भाषाओं में संविधान की प्रवचन और क्विज़ आयोजित किए गए। कुछ शहरों ने जनता को मुफ्त में कॉपी‑पेस्ट करने योग्य डिजिटल संस्करण प्रदान किया, जिससे लोग आसानी से पढ़ सकें।

आपके अधिकार कैसे बचते हैं?

संविधान के मुख्य भाग, ‘मूलभूत अधिकार’, हर नागरिक को समानता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और न्याय तक पहुँच देते हैं। अगर आप किसी भी सरकारी निर्णय से असहमत हों तो इन अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं – बस एक लिखित शिकायत या कोर्ट में याचिका दायर करके।

अक्सर लोग यह नहीं जानते कि कई छोटे‑छोटे फैसले हमारे रोज़मर्रा के जीवन को प्रभावित करते हैं, जैसे शॉपिंग मॉल में एसी की सही सेटिंग या सार्वजनिक स्थल पर सुलभता। इन सब का आधार भी संविधान है। इसलिए जब आप इस दिन समाचार पढ़ें तो देखें कि कौन‑से नए नियम लागू हुए हैं और उनका आपके अधिकारों पर क्या असर पड़ेगा।

संविधान दिवस सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र की बुनियाद हमारे हाथ में है। हर साल इस अवसर को मनाकर हम अपने नागरिक कर्तव्य को फिर से समझते हैं और आने वाली पीढ़ी को भी यह सिखाते हैं कि अधिकारों की रक्षा कैसे करनी चाहिए।