क्या आप जानते हैं कि भारत में तलाक के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं? हाल ही में सृजा कोनीडेला की दूसरी शादी के बाद तलाक की खबरें सुनने को मिलीं। उनकी पहली शादी 2014 में तलाक पर खत्म हुई, दूसरी 2022 में। ये सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि आम लोगों की भी है। आजकल तलाक लेना अब अस्वीकार्य नहीं, बल्कि एक स्वीकार्य विकल्प बन गया है।
पहले लोग शादी करने के बाद अगर कुछ गलत लगता, तो चुपचाप सह लेते थे। अब नहीं! आज के युवा विवाह को ज्यादा सोच-समझकर करते हैं। महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिली है, और वे अपने जीवन में खुश रहना चाहती हैं। इसलिए, तलाक लेना एक स्वीकार्य विकल्प बन गया है। समाज की नजर भी बदली है। अब तलाक लेने वाले लोगों को आमतौर पर नकारात्मक नहीं देखा जाता।
तलाक के कानून भी आसान हो गए हैं। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक की प्रक्रिया सरल हो गई है। अब लोगों को लंबे कानूनी लड़ाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। साथ ही, समाज ने तलाक को एक नए आरंभ के रूप में स्वीकार कर लिया है। लोग अब समझते हैं कि तलाक लेना एक नया आरंभ है, न कि अंत।
तलाक के मामलों में अब बच्चों का ध्यान भी ज्यादा रखा जाता है। तलाक के बाद भी दोनों माता-पिता के बीच संबंध अच्छे रहते हैं, जिससे बच्चों को नुकसान नहीं होता। तलाक अब एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत निर्णय है। क्या आपको लगता है कि तलाक की दर बढ़ने से विवाह का मूल्य कम हो रहा है? या फिर यह एक स्वस्थ विकल्प है? आपकी राय क्या है?
धनश्री वर्मा के परिवार ने उनके और युजवेंद्र चहल के बीच 60 करोड़ रुपये के गुजारा भत्ता की माँग को गलत बताया है। शादी के बाद 18 महीने के अंदर अलग होने के बाद उन्होंने कोर्ट में काउंसलिंग सत्र में भाग लिया। परिवार ने मीडिया से गलत सूचना न फैलाने की अपील की।