टैक्स ऑडिट डेडलाइन में विस्तारित समय: हाई कोर्ट का आदेश और प्रोफेशनल्स की मांग

टैक्स ऑडिट डेडलाइन में विस्तारित समय: हाई कोर्ट का आदेश और प्रोफेशनल्स की मांग

हाई कोर्ट का हालिया आदेश

रजस्थान के जोधपुर हाई कोर्ट की एक विशेष बेंच ने करदाताओं और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि को टैक्स ऑडिट डेडलाइन के रूप में 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दिया है। इस निर्णय को दो न्यायाधीश, जस्टिस पी.एस. भाटी और जस्टिस बिपिन गुप्ता, ने संयुक्त रूप से दिया। उन्होंने कहा कि पोर्टल की तकनीकी खराबी और असंगत समय-सारणी ने अधिकांश करदाताओं को असहाय बना रखा था।

यह आदेश जोधपुर टैक्स बार एसोसिएशन द्वारा दायर सार्वजनिक हित याचिका (PIL) के जवाब में आया। यह याचिका आयकर पोर्टल पर लगातार हो रहे व्यवधानों, सॉफ्टवेयर अपडेट में देरी और उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस की कई खामियों को उजागर करती थी। कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए, अगले सुनवाई का दिन 27 अक्टूबर 2025 तय किया।

पेशेवरों की मांग और चुनौतियाँ

पेशेवरों की मांग और चुनौतियाँ

पूरा भारत में लगभग 40 लाख ऑडिट रिपोर्टें हर साल नियत समय से पहले जमा करनी पड़ती हैं। लेकिन 23 सितम्बर 2025 तक, केवल 4 लाख ही रिपोर्टें सफलतापूर्वक अपलोड हो पाई थीं। शेष 36 लाख रिपोर्टें अभी भी लंबित थीं, जिससे मूल तिथि तक पूरी संख्या जमा करना लगभग असंभव हो गया था।

कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (KSCAA) ने 24 सितम्बर को प्रधानमंत्री कार्यालय को एक विस्तृत पत्र भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे पोर्टल की बार-बार रुकावटें, सर्वर ओवरलोड और फॉर्म भरने में त्रुटियां छोटे व्यवसायों को बड़े जुर्माने और ब्याज की ओर ले जा रही हैं। उसी तरह, जालंधर की चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन ने वित्त मंत्रालय को अनुरोध पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने विस्तारित डेडलाइन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

इन संगठनों ने यह भी कहा कि कई छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) को अब तक अपने निष्पादन के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाई है। इस कारण से उनके पास उचित कर नियोजन करने का समय नहीं बच पाता, जबकि अंत में उन्हें दंड और ब्याज का सामना करना पड़ता है।

तकनीकी चुनौतियों में आयकर ई-फ़ाइलिंग पोर्टल पर बार-बार अद्यतन (utility releases) के विलंब, पंजीकरण प्रक्रिया में गड़बड़ी, और डेटा अपलोड में टूट-फूट शामिल हैं। कई उपयोगकर्ता रिपोर्ट करते हैं कि फॉर्म भरते समय पेज क्रैश हो जाता है, या फिर फाइल अपलोड करने पर सिस्टम टाइम‑आउट हो जाता है। इन समस्याओं ने न केवल समय बर्बाद किया, बल्कि करदाताओं को अनावश्यक तनाव में भी डाल दिया।

वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के अंतर्गत, कंपनी, एकल स्वामित्व, साझेदारी फर्म और अन्य इकाइयों को ऑडिट कराना अनिवार्य है। बड़े फर्म, ट्रस्ट, कंपनियां और व्यापारी विशेष रूप से इस दिशा‑निर्देश के अंतर्गत आते हैं। विस्तारित तिथि के बाद, इन संस्थाओं को अब 31 अक्टूबर तक अपना ऑडिट रिपोर्ट जमा करने का पर्याप्त समय मिलेगा, जिससे वे तकनीकी व्यवधानों से प्रभावित हुए बिना आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकें।

साथ ही, करदाता को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि, आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची और फॉर्मेट की स्पष्ट समझ होना आवश्यक है। अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने ऑडिटर के साथ मिलकर सभी आवश्यक डेटा को पहले से तैयार रखें और पोर्टल की कार्यवाही को लगातार मॉनिटर करें।

6 Comments

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    LOKESH GURUNG

    सितंबर 26, 2025 AT 00:07
    अरे भाई ये तो बहुत बढ़िया बात है! 😍 अब तो ऑडिट वाले भी आराम से काम कर पाएंगे। पोर्टल तो ऐसा लगता है जैसे 2005 का डायलअप इंटरनेट हो! 🤦‍♂️ धन्यवाद हाई कोर्ट!
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    Aila Bandagi

    सितंबर 27, 2025 AT 01:36
    ये तो बहुत अच्छा हुआ! छोटे व्यापारी तो बस डर गए थे, अब थोड़ा सांस ले पाएंगे। जल्दी से अपने डॉक्यूमेंट्स तैयार कर लो, बस! 💪
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    Abhishek gautam

    सितंबर 27, 2025 AT 08:17
    इस निर्णय को देखकर मुझे एक गहरी दर्द भरी सोच आ रही है... क्या हम वास्तव में एक ऐसे राष्ट्र में रह रहे हैं जहाँ एक साधारण डिजिटल पोर्टल की तकनीकी अक्षमता एक न्यायाधीश के आदेश के बिना अस्तित्व नहीं रख सकती? हमने अपने आप को इतना निर्भर बना लिया है कि अब हर छोटी खामी के लिए न्याय की चाहत है। ये तो सिर्फ एक डेडलाइन नहीं, ये हमारी सामाजिक असहनशीलता का प्रतीक है। और फिर भी... मैं इस फैसले की प्रशंसा करता हूँ। क्योंकि न्याय तभी असली होता है जब वह इंसान की व्यथा को समझे।
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    Imran khan

    सितंबर 27, 2025 AT 09:37
    अच्छा हुआ। लेकिन ये तो बस टाइम बढ़ाना है, समस्या नहीं ठीक हो रही। अगले साल भी यही बात होगी अगर पोर्टल को रिफ्रेश नहीं किया गया। मैंने अपने क्लाइंट के लिए 3 बार लॉगिन किया था, हर बार फॉर्म क्रैश हो गया। एक बार तो अपलोड हो गया, लेकिन सिस्टम ने बताया 'अनुमति नहीं'। अब तो मैं पेपर पर भरकर ऑडिटर के पास भेज देता हूँ।
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    Neelam Dadhwal

    सितंबर 27, 2025 AT 19:34
    अरे ये सब बकवास है! जो लोग टैक्स नहीं देते, वो अपने बचाव के लिए पोर्टल को दोष देते हैं। ये लोग तो डेडलाइन से पहले ही अपना काम शुरू करते हैं। अब तो ये लोग भी इस देरी का फायदा उठाएंगे। ये फैसला बस गैरजिम्मेदार लोगों को बचाने का एक बहाना है। अगर तुम नियमों के खिलाफ चलते हो, तो फिर डेडलाइन बढ़ाने से क्या होगा? ये सब नियम तो बस अमीरों के लिए हैं!
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    Sumit singh

    सितंबर 29, 2025 AT 10:53
    बस एक बात कहूँ... ये सब लोग जो डेडलाइन बढ़ाने के लिए आवाज़ उठा रहे हैं, वो सब अपना काम देर से शुरू करते हैं। मैंने अपना ऑडिट 15 सितंबर को पूरा कर लिया था। और फिर भी मुझे पोर्टल पर घंटों बैठना पड़ा। तो अब ये देरी किसके लिए है? वो लोग जिन्होंने अपना काम छोड़ दिया था। ये फैसला न्याय नहीं, बस एक आलसी लोगों का इनाम है। 😒

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