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टैक्स ऑडिट डेडलाइन में विस्तारित समय: हाई कोर्ट का आदेश और प्रोफेशनल्स की मांग

टैक्स ऑडिट डेडलाइन में विस्तारित समय: हाई कोर्ट का आदेश और प्रोफेशनल्स की मांग
  • सित॰ 24, 2025
  • Partha Dowara
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हाई कोर्ट का हालिया आदेश

रजस्थान के जोधपुर हाई कोर्ट की एक विशेष बेंच ने करदाताओं और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि को टैक्स ऑडिट डेडलाइन के रूप में 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दिया है। इस निर्णय को दो न्यायाधीश, जस्टिस पी.एस. भाटी और जस्टिस बिपिन गुप्ता, ने संयुक्त रूप से दिया। उन्होंने कहा कि पोर्टल की तकनीकी खराबी और असंगत समय-सारणी ने अधिकांश करदाताओं को असहाय बना रखा था।

यह आदेश जोधपुर टैक्स बार एसोसिएशन द्वारा दायर सार्वजनिक हित याचिका (PIL) के जवाब में आया। यह याचिका आयकर पोर्टल पर लगातार हो रहे व्यवधानों, सॉफ्टवेयर अपडेट में देरी और उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस की कई खामियों को उजागर करती थी। कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए, अगले सुनवाई का दिन 27 अक्टूबर 2025 तय किया।

पेशेवरों की मांग और चुनौतियाँ

पेशेवरों की मांग और चुनौतियाँ

पूरा भारत में लगभग 40 लाख ऑडिट रिपोर्टें हर साल नियत समय से पहले जमा करनी पड़ती हैं। लेकिन 23 सितम्बर 2025 तक, केवल 4 लाख ही रिपोर्टें सफलतापूर्वक अपलोड हो पाई थीं। शेष 36 लाख रिपोर्टें अभी भी लंबित थीं, जिससे मूल तिथि तक पूरी संख्या जमा करना लगभग असंभव हो गया था।

कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (KSCAA) ने 24 सितम्बर को प्रधानमंत्री कार्यालय को एक विस्तृत पत्र भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे पोर्टल की बार-बार रुकावटें, सर्वर ओवरलोड और फॉर्म भरने में त्रुटियां छोटे व्यवसायों को बड़े जुर्माने और ब्याज की ओर ले जा रही हैं। उसी तरह, जालंधर की चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन ने वित्त मंत्रालय को अनुरोध पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने विस्तारित डेडलाइन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

इन संगठनों ने यह भी कहा कि कई छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) को अब तक अपने निष्पादन के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाई है। इस कारण से उनके पास उचित कर नियोजन करने का समय नहीं बच पाता, जबकि अंत में उन्हें दंड और ब्याज का सामना करना पड़ता है।

तकनीकी चुनौतियों में आयकर ई-फ़ाइलिंग पोर्टल पर बार-बार अद्यतन (utility releases) के विलंब, पंजीकरण प्रक्रिया में गड़बड़ी, और डेटा अपलोड में टूट-फूट शामिल हैं। कई उपयोगकर्ता रिपोर्ट करते हैं कि फॉर्म भरते समय पेज क्रैश हो जाता है, या फिर फाइल अपलोड करने पर सिस्टम टाइम‑आउट हो जाता है। इन समस्याओं ने न केवल समय बर्बाद किया, बल्कि करदाताओं को अनावश्यक तनाव में भी डाल दिया।

वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के अंतर्गत, कंपनी, एकल स्वामित्व, साझेदारी फर्म और अन्य इकाइयों को ऑडिट कराना अनिवार्य है। बड़े फर्म, ट्रस्ट, कंपनियां और व्यापारी विशेष रूप से इस दिशा‑निर्देश के अंतर्गत आते हैं। विस्तारित तिथि के बाद, इन संस्थाओं को अब 31 अक्टूबर तक अपना ऑडिट रिपोर्ट जमा करने का पर्याप्त समय मिलेगा, जिससे वे तकनीकी व्यवधानों से प्रभावित हुए बिना आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकें।

साथ ही, करदाता को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि, आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची और फॉर्मेट की स्पष्ट समझ होना आवश्यक है। अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने ऑडिटर के साथ मिलकर सभी आवश्यक डेटा को पहले से तैयार रखें और पोर्टल की कार्यवाही को लगातार मॉनिटर करें।

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