तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवन्त रेड्डी और उपमुख्यमंत्री मलु भट्टी विक्रमार्क ने सोमवार, 22 सितंबर को एक बड़े समारोह में सिंगरानी कोलोरियों कंपनी लिमिटेड (SCCL) के कर्मचारियों के लिये ₹819 करोड़ का डसेहरा बोनस घोषित किया। यह बोनस 71,000 से अधिक कर्मचारियों को सीधे लाभ पहुंचाएगा, जिससे इस राज्य के प्रमुख सार्वजनिक उपक्रम की सामाजिक जिम्मेदारी और भी स्पष्ट हो जाती है।
बोनस की विस्तृत शर्तें और वित्तीय पृष्ठभूमि
कुल 41,000 नियमित कर्मचारी प्रत्येक को ₹1,95,610 का बोनस मिल रहा है, जो पिछले साल के ₹1.90 लाख से ₹8,289 अधिक है। अतिरिक्त 30,000 ठेकेदार कर्मचारियों को ₹5,500 आवंटित किया गया। इस वृद्धि का आधार कंपनी के 2024‑25 वित्तीय वर्ष के शुद्ध लाभ के 34% से निर्धारित किया गया है। SCCL ने वित्तीय वर्ष में कुल ₹6,394 करोड़ का लाभ रिपोर्ट किया, जिसमें से ₹4,034 करोड़ को भविष्य के विस्तार और निवेश कार्यों के लिये earmarked किया गया, जबकि शेष ₹2,360 करोड़ में से बोनस के लिये ₹819 करोड़ अलग रखे गए।
इस बोनस की घोषणा के साथ ही मुख्यमंत्री ने दीवाली बोनस की भी बात कही, जिससे साल भर कर्मचारियों के लिये दो महत्वपूर्ण तुहफ़े तय हुए। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि सरकार सिंगरानी कर्मचारियों के लिये राज्य‑केन्द्र के हितों को सुरक्षित रखने के लिये निजीकरण के खिलाफ दृढ़ रुख अपनाएगी।

विस्तार योजनाएँ, नई परियोजनाएँ और यूनियन की मांगें
उपमुख्यमंत्री विक्रमार्क ने SCCL की विस्तार योजनाओं का संक्षिप्त विवरण दिया। कर्नाटक में सोने और तांबे की खनन परियोजनाओं की शुरूआत, ओडिशा में नई कोयला ब्लॉक्स की संभावित खरीद और वार्षिक उत्पादन को 100 मिलियन टन से ऊपर ले जाने के लक्ष्य को रेखांकित किया गया। इस प्रक्रिया में अंतरराष्ट्रीय परामर्शदाता फर्म्स – PricewaterhouseCoopers और KPMG को नियुक्त किया गया है, जो महत्वपूर्ण खनिजों के उत्खनन के लिये रोडमैप तैयार करेंगे।
SCCL के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एन. बालराम ने बताया कि कंपनी ने पहले ही ओडिशा के नैनी ब्लॉक को हासिल कर लिया है और राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद नई कोयला ब्लॉक्स की निलामी के माध्यम से अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होगी। यह कदम न केवल कंपनी की उत्पादन क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि तेलंगाना के कोयला-निर्भर उद्योगों को भी स्थिर कर देगा।
हालांकि, स्थिति पूरी तरह से सरसर नहीं है। तेलंगाना बोग्गु गनी कार्मिक संघ (TBGKS) ने बोनस की गणना पद्धति पर सवाल उठाते हुए, वास्तविक शुद्ध लाभ के 35% हिस्से की माँग की है। उनका तर्क है कि पिछले साल कर्मचारियों को केवल 16.9% बोनस मिला, जबकि कंपनी ने 33% शेयर का वादा किया था। यूनियन का कहना है कि विस्तार लागत को लाभ में से घटाकर कंपनी का वितरणीय लाभ कम कर दिया गया, जिससे कर्मचारियों का वास्तविक हिस्सा आधा हो गया।
सिंगरानी कोलोरियों कंपनी एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें तेलंगाना सरकार के पास 51% और केन्द्र सरकार के पास 49% हिस्सेदारी है। यह उपक्रम राज्य की जनसंपदा में प्रमुख योगदानकर्ता है, न केवल कोयला उत्पादन के माध्यम से, बल्कि लाखों रोजगार के सृजन के कारण भी। अब जब सरकार ने इतना बड़ा बोनस दिया है, तो सवाल यह भी उठता है कि इस रकम का प्रभाव सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और स्थानीय विकास में कैसे दिखेगा।
साथ ही, GST में ₹7,000 करोड़ की कमी का मुद्दा भी मुख्यमंत्री ने उठाया, जिससे केंद्र सरकार से त्वरित मुआवजे की मांग की गई। यह आर्थिक दबाव सरकारी खर्चों और राज्य के विकास कार्यों को कैसे प्रभावित करेगा, इस पर भी निकट भविष्य में चर्चा होगी।
बोर्ड के भीतर चल रहे विस्तार, यूनियन की माँगें और राजकोषीय चुनौतियों का मिश्रण इस समय तेलंगाना के उपक्रम प्रबंधन पर प्रकाश डालता है। SCCL के भविष्य की दिशा, लाभांश वितरण और कर्मचारियों के हक़ों के बीच संतुलन बनाना प्रशासन के लिये सबसे बड़ा परीक्षण बन गया है।