थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री
सियासत की दुनिया में नई लेकिन मजबूत विरासत लेकर आने वाली 37 वर्षीय पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड की सबसे युवा और दूसरी महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं। उनके चुनाव ने ना केवल थाईलैंड की राजनीति में एक नया अध्याय खोला है, बल्कि यह दर्शाया है कि युवा नेतृत्व किस प्रकार नए विचार और नवीन इंसाफ को ला सकता है।
शिनावात्रा परिवार की राजनीति में धरोहर
पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाक्सिन शिनावात्रा की सबसे छोटी बेटी हैं, जिन्हें 2006 में एक सैन्य तख्तापलट में सत्ता से बेदखल किया गया था। इसके बाद वह 15 वर्षों के स्व-निर्वासन के बाद देश वापस लौटे। पैटोंगटार्न की चाची यिंगलक शिनावात्रा भी प्रधानमंत्री रह चुकी हैं, जिन्हें भी बाद में सत्ता से बेदखल किया गया।
पैटोंगटार्न की शिक्षा ने भी उन्हें नेतृत्व की यात्रा पर तैयार किया। उन्होंने छुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक और यूनिवर्सिटी ऑफ सरे से अंतरराष्ट्रीय होटल प्रबंधन में मास्टर डिग्री प्राप्त की है।
पेशेवर और व्यावसायिक अनुभव
पैटोंगटार्न का पेशेवर अनुभव उनके परिवार की व्यावसायिक साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापी है, जिसमें रियल एस्टेट, आतिथ्य, और दूरसंचार शामिल हैं। वह Rende Development Co. के होटल व्यवसाय की CEO रह चुकी हैं और SC Asset Corp. में 28.5% हिस्सेदारी की सबसे बड़ी शेयरधारक हैं, जिसकी कुल कीमत करीब 5.2 बिलियन बाथ (152 मिलियन डॉलर) है।
राजनीतिक सफर
राजनीति के क्षेत्र में पैटोंगटार्न की यात्रा 2021 में औपचारिक रूप से शुरू हुई, जब उन्होंने फ्यु थाई पार्टी के नवाचार और समावेशिता समिति की निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया। इसके बाद 2023 के चुनावों में उन्होंने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार के रूप में पार्टी का नेतृत्व किया।
उनकी नीतियां ख़ास तौर पर आर्थिक वृद्धि पर केंद्रित हैं। पैटोंगटार्न ने उच्च जीवन लागत, घरेलू ऋण समस्याओं, और केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के मुद्दों पर विचारधारा रखी है, जिससे आर्थिक प्रगति में होने वाले अवरोध को समाप्त किया जा सके।
परिवार और व्यक्तिगत जीवन
पैटोंगटार्न एक समर्पित पत्नी और मां भी हैं। वह पिडोक सूक्सवस, जो एक व्यावसायिक पायलट हैं, से विवाहित हैं और उनके दो बच्चे हैं।
चुनौतियां और भविष्य के लक्ष्यों की दिशा
अभी बहुमुखी और कठिन राजनैतिक स्थल पर पैटोंगटार्न की यात्रा का आरंभ है। उन्हें न केवल आर्थिक मुद्दों से निपटना होगा, बल्कि शिनावात्रा परिवार और राजतंत्र के वफादारों के बीच ऐतिहासिक संघर्ष का भी सामना करना होगा।
युवा लेकिन दृढ़ निश्चयी, पैटोंगटार्न ने अपने परिवार के विरुद्ध लगातार चल रहे तख्तापलट के चक्र को समाप्त करने का संकल्प लिया है। उन्हें अपने व्यापारिक पदों से इस्तीफा देना होगा और थाई कानूनों के अनुसार शेयर स्वामित्व नियमों का पालन करना होगा।
हालांकि प्रशासनिक अनुभव की कमी है, लेकिन पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने अपनी प्रतिबद्धता और विकासशील विचारों के माध्यम से थाईलैंड को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।