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ट्रम्प के 100% टैरिफ से भारत के फ़ार्मा शेयरों में 4% तक गिरावट

ट्रम्प के 100% टैरिफ से भारत के फ़ार्मा शेयरों में 4% तक गिरावट
  • सित॰ 27, 2025
  • Partha Dowara
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इंडियन फ़ार्मा सेक्टर ने पिछले कुछ घंटों में झटका झेला है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प टैरिफ की घोषणा के बाद, सन फार्मा, नटको, ग्लैंड फार्मा जैसे बड़े दवा निर्माताओं के शेयरों में 4% तक की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट न केवल बाजार के मूड को बुरा करती है, बल्कि भारतीय दवा निर्यात पर भी गहरा असर डाल सकती है।

टैरिफ की विस्तृत जानकारी और प्रभाव

ट्रम्प द्वारा जारी किया गया 100% टैरिफ, ब्रांडेड दवाओं को दो गुना महंगा बना देगा। इसका मतलब है कि US में भारतीय दवाओं की कीमतें अमेरिका की स्थानीय दवाओं के बराबर या उससे भी अधिक हो सकती हैं, जिससे भारतीय कंपनियों को नई कीमत‑निर्धारण रणनीति अपनानी पड़ेगी।

US स्वास्थ्य प्रणाली में भारतीय दवाओं की हिस्सेदारी पहले से ही 10% से अधिक है। अब यह नया शुल्क उनके प्रतिस्पर्धी लाभ को कम कर सकता है, जिससे बाजार में हिस्सेदारी घटने और मुनाफ़े में कटौती का खतरा बढ़ता है।

  • सन फार्मा: शेयर 3.5% गिरा, पिछले महीने की सर्विसिंग से नुकसान के बाद आगे दबाव।
  • नटको: 4% तक गिरावट, निर्यात आदेशों में संभावित देरी को लेकर चिंतित।
  • ग्लैंड फार्मा: 3.8% गिरावट, फॉर्मूलेशन सेक्टर में असुरक्षा बढ़ी।

विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ का असर सिर्फ शेयर कीमतों तक नहीं सीमित रहेगा। कई कंपनियां बड़े क्लिनिकल ट्रायल्स और US में स्थापित उत्पादन यूनिटों को पुनः देख सकती हैं, जिससे निवेश एवं रोजगार दोनों पर असर पड़ेगा।

कंपनी‑और‑रिपोर्टर प्रतिक्रियाएँ

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बड़ी फ़ार्मा कंपनियों ने इस कदम के खिलाफ तेज़ी से आवाज़ उठाई। उन्होंने बताया कि 100% टैरिफ भारत की आर्थिकभूमि को नुकसान पहुंचाएगा और दोन्हों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन को बिगाड़ेगा। भारतीय दवा निर्यात के लिए US बाज़ार का महत्व बताते हुए, उन्होंने कहा कि यह नीति दीर्घकालिक योजना को भी बाधित कर सकती है।

वित्तीय सलाहकारों ने कहा कि छोटे निवेशकों को इस समय सतर्क रहना चाहिए और पोर्टफोलियो में विविधता लाने पर विचार करना चाहिए। कुछ विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि ऐसी अस्थिर स्थितियों में विदेशी मुद्रा जोखिम को कम करने के लिए हेजिंग तकनीकों का उपयोग किया जाए।

साथ ही, उद्योग संघों ने US सरकार से संवाद करने और टैरिफ को कम या हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारतीय दवाओं की गुणवत्ता और लागत‑प्रभावशीलता को देखते हुए, यह कदम निराशाजनक है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ हो सकता है।

अंत में, यह देखना बाकी है कि अगला कदम क्या होगा—क्या टैरिफ को पुनर्विचार किया जाएगा या कंपनियां US बाजार में अपनी रणनीति बदलेंगी। इस बीच, भारतीय फ़ार्मा शेयरों को सतर्कता के साथ देखना जरूरी है, क्योंकि निवेशक भावनाएँ अब भी अत्यधिक अस्थिर हैं।

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