अचानक आए भीषण मौसम परिवर्तन ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भारी तबाही मचाई है, जिसमें मुख्य रूप से लखीमपुर खीरी और बहराइच जिले प्रभावित हुए हैं। इन जिलों में ओलावृष्टि के कारण फसलों का काफी बड़ा हिस्सा खराब हो गया है। लखीमपुर खीरी में दूधिया ओले गिरने के कारण बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बाधित हो गई, जिससे करीबन 300 गांवों में अंधेरा छा गया।
बहराइच में हुई भारी ओलावृष्टि के चलते सड़कें सफेद चादर में ढक गईं, जिससे यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हुई। फसलों पर ओलों की मार से किसानों को भारी नुकसान झेलने को मजबूर होना पड़ा है। लोगों का कहना है कि इस मौसमीय प्रक्रिया में पच्छिमी और पूर्वी हवाओं के टकराव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तीव्र हवाओं और जान-माल का नुकसान
प्राकृतिक प्रकोप के दौरान, आगरा में तेज हवाएं 48 किमी/घंटा और प्रयागराज एवं गोरखपुर में 43 किमी/घंटा की रफ्तार पर चलीं। इन तेज हवाओं और आंधी-तूफान के कारण 22 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिसमें ज्यादातर मौतें बिजली गिरने और संरचनात्मक ढहने के चलते हुई। सबसे ज्यादा नुकसान सिधौली और बहराइच में हुआ है।
यह मौसम परिवर्तन किसानों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण रहा, क्योंकि खरीफ फसल कटाई के समय इस प्रकार के बदलाव ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया। खासकर गेहूं की फसल पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है।

सरकारी प्रयास और चेतावनी
मौसम की इस आपदा से हुए नुकसान का जल्द निवारण करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत फसल नुकसान सर्वेक्षण के आदेश दिए हैं। उन्होंने जिला अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर प्रभावित किसानों को मदद पहुंचाने के निर्देश दिए हैं, ताकि उन्हें जल्द से जल्द मुआवजा मिल सके।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार, अगले तीन दिनों तक आंधी-तूफान और बारिश का खतरा बना रहेगा, जिससे तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना रहेगा।