जुलाई 2025 में SEBI ने एक बड़ा प्रपोज़ल पेश किया, जिससे BSE और CDSL दोनों की कीमतें लगभग 10% गिर गईं। अगर आप भी ट्रेडिंग करते हैं तो इस बदलाव को नजरअंदाज नहीं कर सकते। चलिए समझते हैं कि ये नियम क्यों आए, किसे सबसे ज्यादा असर पड़ेगा और आगे बाजार में क्या हो सकता है।
SEBI ने डेरिवेटिव्स के ट्रेडिंग पर कई कड़े कदम उठाए। पहले, शॉर्ट सेलिंग को बढ़ावा दिया गया ताकि मार्केट लिक्विडिटी बेहतर हो। साथ ही, वैकल्पिक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्मों पर सीमाएँ लगाई गईं और मार्जिन कॉल को सख्त किया गया। इन बदलावों का मकसद था अस्थिरता कम करना, लेकिन शुरुआती प्रतिक्रिया ने बाजार को हिला दिया।
बाजार में सबसे तेज़ गिरावट BSE और CDSL के शेयरों में देखी गई। दोनों कंपनियों की कीमतें लगभग 10% तक नीचे आईं, जिससे निवेशकों का भरोसा झुका। खासकर उन लोगों ने जो इन स्टॉक्स को अपने पोर्टफोलियो में रखते थे, उन्हें तुरंत नुकसान महसूस हुआ।
एक बड़ी स्टडी से पता चला कि 90% रिटेल ट्रेडर्स इस बदलाव में नुकसान में रहे। कुल मिलाकर, रिटेल सेक्टर ने लगभग ₹1.05 लाख करोड़ का नुक्सान उठाया। यह आंकड़ा बहुत बड़ा है और इसका असर छोटे निवेशकों की भरोसेमंदी पर पड़ रहा है। कई लोग अब सवाल कर रहे हैं कि क्या उन्होंने सही समय पर सही जानकारी पाई या नहीं।
अगर आप रिटेल ट्रेडर हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है: पहला, मार्जिन कॉल को समझें और हमेशा अतिरिक्त पूँजी रखिए ताकि अचानक गिरावट में बचाव हो सके। दूसरा, शॉर्ट सेलिंग जैसी नई रणनीतियों को अपनाने से पहले पूरी रिसर्च करें। तीसरा, अपने पोर्टफ़ोलियो को डाइवर्सिफ़ाई रखें ताकि एक ही सेक्टर की गड़बड़ी पूरे निवेश पर असर न डालें।
भविष्य में SEBI के ये नियम और सख्त हो सकते हैं, खासकर यदि बाजार में फिर से बड़ी अस्थिरता दिखती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि शॉर्ट सेलिंग को और नियंत्रित किया जाएगा और वैकल्पिक प्लेटफ़ॉर्मों पर ट्रेडिंग की सीमा घटाई जाएगी। इस दिशा में अगर आप तैयार रहेंगे तो नुकसान कम कर सकते हैं और अवसरों को पकड़ सकते हैं।
अंत में, यह कहना सही रहेगा कि SEBI का प्रपोज़ल सिर्फ एक नियम नहीं बल्कि पूरे भारतीय शेयर बाजार के लिए एक नया मोड़ है। यदि आप निवेश की दुनिया में बने रहने चाहते हैं तो इन बदलावों को समझना और अपने ट्रेडिंग प्लान को अपडेट करना आवश्यक है। आगे भी हम इस विषय पर अपडेट लाते रहेंगे, इसलिए जुड़े रहें।
SEBI के नए डेरिवेटिव्स नियमों के प्रस्ताव से शेयर बाजार में हलचल मच गई, BSE और CDSL के शेयर 10% तक गिरे। एक स्टडी में सामने आया कि 90% रिटेल ट्रेडर नुकसान में रहे और 2025 में ₹1.05 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। अब मार्केट में विकल्प ट्रेडिंग पर सख्त नियम और शॉर्ट सेलिंग को बढ़ावा देने की बात हो रही है।