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झांसी अस्पताल की आग का दर्दनाक हादसा: समानता के संकेत गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की त्रासदी से

झांसी अस्पताल की आग का दर्दनाक हादसा: समानता के संकेत गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की त्रासदी से
  • नव॰ 17, 2024
  • Partha Dowara
  • 20 टिप्पणि

झांसी की आग और गोरखपुर की त्रासदी: घटनाओं का भयावह संबंध

उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थिति महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई में लगी आग ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस भीषण दुर्घटना में 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना शुक्रवार रात को हुई, जिसने सभी को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की याद दिला दी, जहां 2017 में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुए त्रासदी में 60 से अधिक बच्चे अपनी जान गंवा बैठे थे। इस तरह की बराबर होती भयावह घटनाएं सुरक्षा व्यवस्थाओं पर प्रश्न खड़े करती हैं।

प्रारंभिक जांचकर्ताओं का मानना है कि झांसी में यह आग लगने की वजह एक बिजली के शॉर्ट सर्किट से हुई थी। नवजात गहन चिकित्सा इकाई में उच्च ऑक्सीजन संकेंद्रण ने आग के तेजी से फैलने में अहम भूमिका निभाई। ऑक्सिजन संकेंद्रण का स्तर इतना अधिक था कि आग के फैलाव को नियंत्रित करने में अस्पताल प्रशासन ने खुद को असहाय पाया। अब यह घटना प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।

समिति की जांच और विद्वेष के बीच संतप्त परिवार

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस भयावह घटना की पूरी जांच के लिए एक चार सदस्यीय समिति गठित की है, जिसका नेतृत्व मेडिकल शिक्षा और प्रशिक्षण के महानिदेशक करेंगे। समिति घटना के कारणों की पहचान करेगी और यह जानने का प्रयास करेगी कि इसमें कहीं कोई लापरवाही तो नहीं थी। घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और उन्हें हर संभव मदद उपलब्ध कराने का निर्देश अधिकारियों को दिया है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए पांच लाख रूपए और घायलों के लिए पचास हजार रूपए की सहायता राशि की घोषणा की है।

पीड़ित परिवारों को मुआवजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मृतकों के निकट संबंधियों के लिए दो लाख रूपए और घायलों के लिए पचास हजार रूपए की सहायता राशि की घोषणा की है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस घटना को मानवाधिकारों का 'गंभीर उल्लंघन' करार देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे घटना के संबंध में विस्तृत जानकारी एक सप्ताह के भीतर मांगी गई है।

इस हृदयविदारक घटना ने समाज में गुस्से और विरोध का माहौल पैदा कर दिया है। मृतकों और जीवित बचे बच्चों के परिवारजन डीएनए परीक्षण द्वारा पहचान की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन पहचान प्रक्रिया में लापरवाही बरत रहा है। अस्पताल ने डीएनए सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है और 16 घायल बच्चों के इलाज के प्रयास जारी हैं। इन बच्चों के जीवन को बचाने के लिए सभी संभव उपाय किए जा रहे हैं।

सुधार की आवश्यकता

यह घटना न केवल झांसी, बल्कि पूरे देश के अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाती है। इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी अगर हम ऐसा सोचे कि यह केवल एक दुर्घटना थी, तो यह एक अत्यधिक असंवेदनशील दृष्टिकोण होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं। इसके लिए सही सुरक्षा योजनाएं और गतिविधियां को बढ़ावा देना होगा जो अस्पतालों की सुरक्षा को मजबूती प्रदान कर सके। यही वह समय है जब हमें अपने सुरक्षा मानकों में सुधार करने की दिशा में गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है।

20 Comments

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    Kiran Meher

    नवंबर 17, 2024 AT 09:59
    ये तो बस एक आग नहीं है ये तो हमारी लापरवाही की आग है जो हर बार बच्चों को निगल जाती है। बीआरडी के बाद फिर ये? हम तो सिर्फ दुख मनाते हैं फिर भूल जाते हैं।
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    Devi Trias

    नवंबर 18, 2024 AT 22:45
    प्रारंभिक जांच के अनुसार, शॉर्ट सर्किट ने ऑक्सीजन सांद्रता के कारण आग को अत्यधिक तीव्रता से फैलाया। इस प्रकार, यह एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि एक संगठनात्मक असफलता है।
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    Tejas Bhosale

    नवंबर 20, 2024 AT 03:13
    ऑक्सीजन एक फ्लेम एक्सेलरेटर है और हमारे अस्पतालों में सेफ्टी प्रोटोकॉल्स नो-कॉन्सेप्ट। ये सिस्टम तो बस डॉक्टरों के लिए बनाए गए हैं न कि बच्चों के लिए।
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    Asish Barman

    नवंबर 21, 2024 AT 02:18
    अब ये सब भी बहुत हुआ यार। किसी ने कभी इस बारे में बात की भी या सिर्फ ट्रेंडिंग पर जाता है फिर भूल जाता है।
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    Abhishek Sarkar

    नवंबर 21, 2024 AT 04:26
    ये सब एक नियोनाजी राजनीति का हिस्सा है। जब तक आप बड़े अस्पतालों में बच्चों को नहीं भेजते तब तक ये घटनाएं दोहराई जाएंगी। ये एक जानबूझकर बनाया गया नियंत्रण तंत्र है जो गरीबों को दबाने के लिए है। आप सब जानते हैं कि ये कौन कर रहा है।
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    Niharika Malhotra

    नवंबर 22, 2024 AT 06:50
    हमें इस त्रासदी को सिर्फ एक दुर्घटना नहीं समझना चाहिए। ये एक संकेत है कि हमारी चिकित्सा व्यवस्था को जड़ से बदलने की जरूरत है। बच्चों की जान नहीं बचाने के लिए नए नियम बनाने होंगे।
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    Baldev Patwari

    नवंबर 23, 2024 AT 03:49
    क्या आपने देखा इन डॉक्टरों का फेसबुक प्रोफाइल? वो तो बाहर वैकेशन पर हैं और यहाँ बच्चे मर रहे हैं। ये सब बस एक बड़ा फ्राड है।
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    harshita kumari

    नवंबर 24, 2024 AT 09:09
    ऑक्सीजन सिलेंडर अमेरिका से आते हैं और उनके लिए एक बड़ा कंट्रैक्ट राजनीतिक दलों के बीच हुआ है। आग नहीं लगी बल्कि एक बेवकूफ निर्णय के कारण बच्चे मरे हैं।
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    SIVA K P

    नवंबर 25, 2024 AT 04:56
    तुम लोगों को याद है जब तुमने भी बच्चे को अस्पताल में छोड़ा था? तब तुम्हारा बच्चा तो ठीक रहा लेकिन यहाँ बच्चे मर गए। क्या तुम्हारा बच्चा अलग था? ये सब तुम्हारी बेवकूफी है।
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    Neelam Khan

    नवंबर 26, 2024 AT 15:27
    हम सब इस बारे में बात कर रहे हैं लेकिन कोई भी नहीं जानता कि अस्पताल में ऑक्सीजन लाइन कैसे चेक करनी है। चलो अब एक ग्रामीण स्वास्थ्य गुरु बनाते हैं जो इसे समझाए।
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    Jitender j Jitender

    नवंबर 27, 2024 AT 11:51
    इंफ्रास्ट्रक्चर फेलियर और ऑपरेशनल लैक दोनों का कॉम्बिनेशन है ये। हमें एक रिस्क-बेस्ड एप्रोच चाहिए जिसमें प्रीवेंशन और रिस्पॉन्स दोनों एक साथ हों।
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    Jitendra Singh

    नवंबर 28, 2024 AT 13:21
    मैंने इस तरह की घटनाओं को देखा है। ये सिर्फ एक आग नहीं है। ये हमारी संस्कृति की अस्थिरता है। जहाँ जीवन की कीमत कम है वहाँ ऐसी घटनाएं होती हैं।
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    VENKATESAN.J VENKAT

    नवंबर 30, 2024 AT 09:06
    ये सब तो बस एक बड़ा बेवकूफी है। हमारे नेता तो बस टीवी पर दिखते हैं। जब बच्चे मरते हैं तो वो जानकारी देते हैं। जब बच्चे जिंदा हैं तो वो भूल जाते हैं।
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    Amiya Ranjan

    नवंबर 30, 2024 AT 13:34
    यहाँ तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता। अस्पताल ने अपनी गलती नहीं मानी। और फिर आप सभी को भी यही बताया जाएगा।
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    vamsi Krishna

    दिसंबर 1, 2024 AT 20:45
    मैंने देखा था ये अस्पताल। उनकी वायलेट लाइट ऑन थी लेकिन ऑक्सीजन नहीं था। ये तो बस एक नियोनाटल नेग्लेक्शन है।
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    Narendra chourasia

    दिसंबर 2, 2024 AT 06:50
    ये आग नहीं, ये एक अपराध है। ये एक नियोनाटल हत्या है। ये बच्चों को नहीं बचाने का अपराध है। ये एक नियमित रूप से होने वाला अपराध है।
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    Mohit Parjapat

    दिसंबर 4, 2024 AT 04:02
    अब ये तो भारत की असली ताकत दिख गई। हमारे बच्चे मर रहे हैं लेकिन हम अभी तक नहीं रोक पाए। ये भारत की शर्म है।
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    vishal kumar

    दिसंबर 5, 2024 AT 14:02
    मानवीय जीवन का संरक्षण एक अनिवार्य नैतिक दायित्व है। यदि इस दायित्व का उल्लंघन होता है, तो यह एक सामाजिक असफलता है।
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    Oviyaa Ilango

    दिसंबर 6, 2024 AT 00:14
    इस घटना के बाद बच्चों के लिए अस्पतालों का डिज़ाइन बदलना चाहिए। ऑक्सीजन और बिजली के सिस्टम को अलग अलग बनाया जाना चाहिए।
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    Kiran Meher

    दिसंबर 7, 2024 AT 18:11
    ये बातें तो हम सब करते हैं लेकिन कोई काम नहीं होता। अगर तुम अस्पताल जाते हो तो देखो कि वहाँ कौन जिम्मेदार है।

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