झांसी की आग और गोरखपुर की त्रासदी: घटनाओं का भयावह संबंध
उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थिति महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई में लगी आग ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस भीषण दुर्घटना में 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना शुक्रवार रात को हुई, जिसने सभी को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की याद दिला दी, जहां 2017 में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुए त्रासदी में 60 से अधिक बच्चे अपनी जान गंवा बैठे थे। इस तरह की बराबर होती भयावह घटनाएं सुरक्षा व्यवस्थाओं पर प्रश्न खड़े करती हैं।
प्रारंभिक जांचकर्ताओं का मानना है कि झांसी में यह आग लगने की वजह एक बिजली के शॉर्ट सर्किट से हुई थी। नवजात गहन चिकित्सा इकाई में उच्च ऑक्सीजन संकेंद्रण ने आग के तेजी से फैलने में अहम भूमिका निभाई। ऑक्सिजन संकेंद्रण का स्तर इतना अधिक था कि आग के फैलाव को नियंत्रित करने में अस्पताल प्रशासन ने खुद को असहाय पाया। अब यह घटना प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
समिति की जांच और विद्वेष के बीच संतप्त परिवार
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस भयावह घटना की पूरी जांच के लिए एक चार सदस्यीय समिति गठित की है, जिसका नेतृत्व मेडिकल शिक्षा और प्रशिक्षण के महानिदेशक करेंगे। समिति घटना के कारणों की पहचान करेगी और यह जानने का प्रयास करेगी कि इसमें कहीं कोई लापरवाही तो नहीं थी। घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और उन्हें हर संभव मदद उपलब्ध कराने का निर्देश अधिकारियों को दिया है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए पांच लाख रूपए और घायलों के लिए पचास हजार रूपए की सहायता राशि की घोषणा की है।
पीड़ित परिवारों को मुआवजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मृतकों के निकट संबंधियों के लिए दो लाख रूपए और घायलों के लिए पचास हजार रूपए की सहायता राशि की घोषणा की है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस घटना को मानवाधिकारों का 'गंभीर उल्लंघन' करार देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे घटना के संबंध में विस्तृत जानकारी एक सप्ताह के भीतर मांगी गई है।
इस हृदयविदारक घटना ने समाज में गुस्से और विरोध का माहौल पैदा कर दिया है। मृतकों और जीवित बचे बच्चों के परिवारजन डीएनए परीक्षण द्वारा पहचान की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन पहचान प्रक्रिया में लापरवाही बरत रहा है। अस्पताल ने डीएनए सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है और 16 घायल बच्चों के इलाज के प्रयास जारी हैं। इन बच्चों के जीवन को बचाने के लिए सभी संभव उपाय किए जा रहे हैं।
सुधार की आवश्यकता
यह घटना न केवल झांसी, बल्कि पूरे देश के अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाती है। इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी अगर हम ऐसा सोचे कि यह केवल एक दुर्घटना थी, तो यह एक अत्यधिक असंवेदनशील दृष्टिकोण होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं। इसके लिए सही सुरक्षा योजनाएं और गतिविधियां को बढ़ावा देना होगा जो अस्पतालों की सुरक्षा को मजबूती प्रदान कर सके। यही वह समय है जब हमें अपने सुरक्षा मानकों में सुधार करने की दिशा में गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है।
Kiran Meher
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