हमें अक्सर सुनने को मिलता है कि अस्पताल में भी आग लग सकती है, लेकिन अधिकांश लोग इसे दूर की बात समझते हैं। सच तो यही है कि इलाज के दौरान लाइट, इलेक्ट्रिक उपकरण और गैस सिलिंडर सब जगह होते हैं – अगर सावधानी न बरती जाए तो छोटी सी चूक बड़ी दुर्घटना बन सकती है। इसलिए इस पेज पर हम अस्पताल आग से जुड़ी ताज़ा ख़बरें, कारणों की आसान समझ और बचाव के ठोस कदम बताएँगे जिससे आप या आपका कोई प्रियजन सुरक्षित रह सके।
सबसे आम कारण है इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट। पुराने वायर्स, ओवरलोडेड सॉकेट या खराब उपकरण तुरंत स्पार्क पैदा कर सकते हैं। दूसरा बड़ा जोखिम गैस सिलिंडर है – ऑक्सीजन या नाइट्रोजन सिलिंडर अगर सही ढंग से नहीं रखे जाएँ तो किसी छोटी सी झटक से विस्फोट हो सकता है। तीसरा कारण है रसोई में तेल की आग, खासकर बड़े अस्पतालों के कैंटीन में जहाँ तले‑तले वाले भोजन बनते हैं। इन तीन मुख्य कारणों को समझने से आप शुरुआती चेतावनी पहचान सकते हैं और तुरंत कार्रवाई कर सकते हैं।
1. शांत रहें और अलार्म बजाएँ: सबसे पहले अस्पताल का फायर अलार्म या आपातकालीन कॉल बटन दबाकर पूरे इमारत को चेतावनी दें। 2. बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएँ: एंबुलेन्स, व्हीलचेयर या कोई भी सहारा लेकर उन्हें निकास की ओर ले जाना चाहिए। 3. आग बुझाने का साधन चुनें: अगर आग छोटी है तो तुरंत फ़ायर एक्सटिंगुशर (CO₂ या ड्राय पाउडर) से बुझाएँ, लेकिन तेल की आग पर पानी न डालें – यह और फैल सकता है। 4. बच्चे और मरीजों को बाहर निकालें: एग्जिट साइन के दिशा में चलें, लिफ्ट का उपयोग नहीं करें; सीढ़ियों से नीचे उतरना सुरक्षित रहता है। 5. रिपोर्ट दें और मदद की प्रतीक्षा करें: आग बुझने के बाद तुरंत अस्पताल प्रबंधन को सूचना दें, ताकि जाँच और पुनर्स्थापना जल्दी हो सके।
इन सरल कदमों को याद रखकर आप खुद भी बच सकते हैं और दूसरों की मदद कर सकते हैं। अगर आपके पास छोटे बच्चों या बुजुर्गों वाले मरीज हैं तो यह जानकारी विशेष रूप से ज़रूरी है – एक छोटी सी चूक जान‑माल का नुकसान कर सकती है।
अस्पताल में सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कुछ आसान उपाय भी अपनाए जा सकते हैं। पहली बात, सभी इलेक्ट्रिकल उपकरणों की नियमित जाँच करवाएँ और ओवरलोडिंग से बचें। दूसरी, गैस सिलिंडर को हमेशा अच्छी वेंटिलेशन वाले कमरे में रखें और उनके पास फायर एक्सटिंगुशर रख दें। तीसरी टिप यह है कि रसोई में तेल के तापमान को 180°C से अधिक न करें, इससे स्पार्क कम होते हैं। इन छोटे‑छोटे बदलावों से बड़ी दुर्घटना रोकी जा सकती है।
अस्पताल आग की खबरें अक्सर राष्ट्रीय समाचार बनती हैं क्योंकि यहाँ रोगी कई बार असहाय होते हैं। हाल ही में एक बड़े शहर के सरकारी अस्पताल में लाइट शॉर्ट सर्किट कारण आग लगी थी, जिसमें 10 से ज्यादा लोग घायल हुए लेकिन कोई मौत नहीं हुई। इस घटना ने हमें बताया कि सही आपातकालीन ट्रेनिंग और नियमित निरीक्षण कितना महत्वपूर्ण है। यदि आप अस्पताल स्टाफ या विज़िटर हैं तो इन प्रशिक्षणों में हिस्सा लें – यह सिर्फ आपका काम नहीं बल्कि हर रोगी की सुरक्षा भी है।
अंत में, याद रखें कि आग कोई बड़ी बात नहीं अगर हम सब मिलकर सावधानी बरतें और सही जानकारी रखे। इस पेज को बुकमार्क करें, ताकि अगली बार जब आप अस्पताल जाएँ तो इन टिप्स तुरंत काम आएँ। सुरक्षित रहें, अपने प्रियजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और जागरूकता फैलाएँ।
उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में नवजात गहन चिकित्सा इकाई में लगी भीषण आग ने 10 नवजात शिशुओं की जान ले ली। इस घटना की तुलना 2017 के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की त्रासदी से की जा रही है, जहां ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो गई थी। राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए एक समिति गठित की है और पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की गई है।