जब हम आयकर पोर्टल, भारत सरकार द्वारा संचालित ऑनलाइन मंच है जहाँ हर नागरिक अपना कर विवरण देख, भर और ट्रैक कर सकता है, Income Tax India की बात करते हैं, तो पहले दिमाग में दो चीजें आती हैं – सुविधा और भरोसा। यह प्लेटफ़ॉर्म सिर्फ फॉर्म भरने का जगह नहीं, बल्कि आयकर रिटर्न, वर्ष भर कमाए गए आय की घोषणा और कर गणना का प्रक्रिया और टैक्स छूट, धोखे‑भरे कर बोझ को कम करने के लिए उपलब्ध विभिन्न सेक्शन दोनों को जोड़ता है। सरल भाषा में कहें तो, आयकर पोर्टल वह डिजिटल खाता है जहाँ आपका टैक्स इतिहास, भुगतान इतिहास और मिलने वाली छूटें सब एक जगह मिलती हैं।
पहला सत्य है – आयकर पोर्टल आयकर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा देता है। आप बस लॉग‑इन करें, फॉर्म 16 या 26एएस के डेटा को अपलोड करें और एक क्लिक में रिटर्न सबमिट कर दें। दूसरा सत्य – पोर्टल टैक्स छूट की जानकारी प्रदान करता है, जैसे सेक्शन 80C, 80D, 80G के तहत कौन‑सी निवेश पर कितना बचत हो सकती है। तीसरा, आयकर नियम हर वित्तीय वर्ष में अपडेट होते हैं, और ये अपडेट सीधे पोर्टल की ‘नियम और आदेश’ सेक्शन में दिखते हैं, जिससे आप कभी भी पुराने नियमों पर भरोसा नहीं करते। इन तीनों बिंदुओं से स्पष्ट है कि आयकर पोर्टल, आयकर रिटर्न और टैक्स छूट के बीच घनिष्ठ संबंध रखता है; पोर्टल के बिना रिटर्न भरना या छूट का लाभ उठाना मुश्किल हो जाता है।
अब बात करते हैं कुछ उपयोगी तरीकों की, जो अक्सर समाचार फीड में नहीं मिलते। पहली टिप – ‘प्री‑फिल्ड डेटा’ फिचर का उपयोग करें। पोर्टल आपके पिछले साल के रिटर्न डेटा को पढ़कर नए फॉर्म में स्वतः भर देता है, जिससे गलतियों की संभावनाएँ घटती हैं। दूसरी टिप – ‘ऑन‑लाइन भुगतान’ विकल्प से तुरंत टैक्स जमा करें, चाहे नेट‑बैंकिंग हो या यूपीआई, इससे देर‑से‑भुगतान का जुर्माना नहीं लगता। तीसरी टिप – ‘टैक्स कैल्कुलेटर’ टूल से पहले ही अनुमान लगा लें कि आपको कितना टैक्स देना पड़ेगा, फिर रिटर्न फाइल करने से पहले प्लान बना लें। ये सभी टूल्स इस बात का प्रमाण हैं कि आयकर पोर्टल केवल फॉर्म संग्रह नहीं, बल्कि एक समग्र टैक्स मैनेजमेंट सिस्टम है।
जब हम आयकर नियम के साथ बात करते हैं, तो यह याद रखना जरूरी है कि ये नियम हर वित्तीय वर्ष में बदलते हैं, और अक्सर बजट के बाद बड़ी धड़ाम से आते हैं। हाल ही में, आयकर पोर्टल ने 2025‑26 के लिए नई स्लैब और कटौतियों को अपडेट किया है – 2.5 लाख तक की आय पर 0 % टैक्स, 5 लाख तक 5 % और 10 लाख तक 20 % टैक्स। इसी के साथ 80C की सीमा भी 1.5 लाख तक बढ़ी है, जिससे बचत की संभावनाएँ दोगुनी हो गईं। इन बदलते नियमों को समझने में आयकर पोटल की ‘हेल्प डिस्क्रिप्शन’ और ‘FAQ’ सेक्शन मददगार होते हैं। इसलिए, जब आप पोर्टल खोलते हैं तो पहले ‘नवीनतम अपडेट’ पढ़ें; इससे आपका रिटर्न सही और समय पर filed होगा।
उपरोक्त सब बातें मिलाकर देखा जाए तो आयकर पोर्टल, आयकर रिटर्न, टैक्स छूट और आयकर नियम आपस में जुड़े हुए हैं, और यह सिस्टम कई उपयोगकर्ताओं को टैक्स की जटिलता से बचाता है। आगे आप इस पेज पर मिलने वाले लेखों में विभिन्न कर‑रिपोर्टिंग केस, आय‑कर बचत के वास्तविक उदाहरण, COVID‑19 के बाद के टैक्स रीलिफ़, और साल‑भर के वित्तीय योजना के टिप्स पाएंगे। तो चलिए, इस जानकारी को अपने हाथों में लें और टैक्स को आसान बनाएं।
देश भर के टैक्स प्रोफेशनल्स ने आयकर पोर्टल की तकनीकी खामियों को लेकर डेडलाइन बढ़ाने की माँग की। राजस्थान हाई कोर्ट ने 30 सितम्बर से 31 अक्टूबर 2025 तक का विस्तार किया। 40 लाख ऑडिट रिपोर्टों में से केवल 4 लाख ही समय पर जमा हो पाए। कई समानुपातिक संगठनों ने प्रधानमंत्री कार्यालय व वित्त मंत्रालय में भी याचना करी है। इस कदम से करदाताओं को संभावित जुर्माना और ब्याज से बचाव होगा।