घर का माहौल अगर रोज‑रोज डर या तनाव से भर जाता है, तो अक्सर यह गृह हिंसा की ओर इशारा करता है। यह सिर्फ शारीरिक चोट तक सीमित नहीं रहता; मौखिक अपमान, आर्थिक नियंत्रण, मानसिक दबाव भी इसका हिस्सा होते हैं। कई बार पीड़ित खुद को अकेला समझ लेता है, इसलिए शुरुआती संकेतों को पहचानना बहुत ज़रूरी है।
1. अचानक वजन घटना या नींद न आना – तनाव और डर से शरीर पर असर पड़ता है।
2. बिलों या पैसे का नियंत्रण – साथी आपके खर्चे, बैंक अकाउंट या मोबाइल तक पहुँच नहीं देता।
3. बार‑बार अपमानजनक बातें सुनना – यह शब्दश: मानसिक दुर्व्यवहार है और अक्सर आगे बढ़ता है।
4. घर में चोटों के अजीब बहाने – अगर आपके पास बार‑बार छोटे‑छोटे घाव हैं, लेकिन कोई स्पष्ट कारण नहीं बताता, तो संदेह करें।
5. सामाजिक संपर्क कट जाना - दोस्त या परिवार से मिलना बंद कर देना भी नियंत्रण का हिस्सा हो सकता है।
पहले खुद को सुरक्षित समझें और फिर कार्रवाई करें। अगर आप तुरंत खतरे में हैं, तो पुलिस (100) को कॉल करें या किसी भरोसेमंद रिश्तेदार/दोस्त को बताएं कि आपको मदद चाहिए। घर से बाहर निकलते समय अपना पहचान पत्र, कुछ जरूरी दवाइयाँ और एक छोटा बैग साथ रखें – इससे बाद में आश्रय गृह में रहना आसान रहेगा।
दूसरा कदम है दस्तावेज़ीकरण। हर बार जब कोई शारीरिक या शब्दिक हमला हो, तो फ़ोटो ले लें, मेसेज सहेजें और मेडिकल रिपोर्ट करवाएँ। ये सब भविष्य में कानूनी कार्रवाई के लिए अहम साबित होते हैं।
तीसरा – स्थानीय महिला हेल्पलाइन (181) या राष्ट्रीय हॉटलाइन (1091) पर कॉल करके मदद माँगें। ये नंबर 24×7 चलते हैं और आपको निकटतम आश्रय स्थल, कानूनी सलाह और काउंसलिंग की जानकारी दे सकते हैं।
चौथा – अगर आप आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं, तो सरकारी योजनाओं का उपयोग करें। महिला विकास विभाग के तहत ‘एकतरफा भरण‑पोषण’ या ‘आर्थिक सशक्तिकरण योजना’ आपके लिए फंड प्रदान कर सकती है। इसके अलावा कई NGOs मुफ्त प्रशिक्षण और रोजगार अवसर भी देती हैं।
अंत में, भरोसेमंद समर्थन समूह खोजें। ऑनलाइन फ़ेसबुक या व्हाट्सएप ग्रुपों में ऐसे लोग होते हैं जो समान अनुभव साझा करते हैं और सलाह देते हैं। अकेले रहने से डर कम होता है और समाधान जल्दी मिलता है।
गृह हिंसा का सामना करने में साहस चाहिए, लेकिन याद रखें – आप इस जाल में अकेली नहीं हैं। सही कदम उठाने पर सहायता मिलती है, कानून आपका साथ देता है, और समाज धीरे‑धीरे बदलाव की दिशा में बढ़ रहा है। अगर आप या आपके आस‑पास कोई परेशान है, तो आज ही ऊपर बताए गए उपायों को अपनाएँ और सुरक्षित भविष्य की ओर पहला कदम रखें।
फिल्म 'इट एंड्स विथ अस', जो कोलीन हूवर के बेस्टसेलर नॉवेल पर आधारित है, की मार्केटिंग और उसके वितरण को लेकर कई विवाद उभरे हैं। ब्लेक लाइवली और जस्टिन बाल्डोनी अभिनीत इस फिल्म पर आरोप हैं कि गंभीर विषय को पर्याप्त गहराई से नहीं लिया गया।