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कर निरूपण: सही तरीका और नवीनतम अपडेट

जब आप कर निरूपण, आयकर, GST और टैक्स रिटर्न जैसी देनदारियों को सही ढंग से दर्ज करने की प्रक्रिया. इसे कभी‑कभी टैक्स फाइलिंग भी कहा जाता है, तो यह व्यक्तिगत व व्यापारिक दोनों स्तरों पर दंड और अतिरिक्त ब्याज से बचाता है। इस प्रक्रिया में आयकर (वर्षिक आय पर लगने वाला मुख्य कर), टैक्स रिटर्न (दाखिल किया गया कर विवरण) और GST (वस्तु एवं सेवा कर) मुख्य तत्व होते हैं।

कर निरूपण क्यों जरूरी है?

पहला कारण है वित्तीय स्थिरता। जब आप सही समय पर आयकर और GST की गणना करके टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, तो न केवल कानूनी जोखिम कम होते हैं, बल्कि आप छूट और रियायतों का सही उपयोग कर सकते हैं। दूसरा, कर निरूपण आपके निवेश रणनीति को भी आकार देता है – उदाहरण के लिए, सेक्शन 80C के तहत बचत खाते या पेंशन योजना में निवेश करने से टैक्स बचत होती है। तीसरा, डिजिटल फाइलिंग ने सब कुछ तेज़ और पारदर्शी बना दिया है; अब ई‑फाइल पोर्टल पर केवल कुछ मिनटों में सभी दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं।

इसीलिए वित्तीय योजना बनाते समय कर निरूपण को एक मुख्य कदम मानना चाहिए। एक अच्छी योजना में आय के स्रोत, खर्च, बचत और टैक्स बचत विकल्पों का संतुलन होता है, जिससे आप हर साल अधिकतम रिफंड या न्यूनतम देयता हासिल कर सकते हैं। आपके पास अगर कई आय स्रोत हैं – नौकरी, फ्रीलांस, किराये की आय या शेयर मार्केट से लाभ – तो प्रत्येक स्रोत को अलग‑अलग वर्गीकृत कर टैक्स रिटर्न में शामिल करना महत्त्वपूर्ण है।

अब आप इस पेज पर नीचे दिए गए लेखों में देखेंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों – खेल, आर्थिक मूल्य, मौसम, डिजिटल पहल आदि – के साथ कर निरूपण का जुड़ाव है, और कौन‑सी नई नीतियाँ आपके टैक्स बिल को प्रभावित कर रही हैं। इस संग्रह में आपको उपयोगी टिप्स, केस स्टडी और ताज़ा समाचार मिलेंगे, जो आपके कर नियोजन को और भी आसान बनाएँगे।

टैक्स ऑडिट डेडलाइन में विस्तारित समय: हाई कोर्ट का आदेश और प्रोफेशनल्स की मांग
  • सित॰ 24, 2025
  • Partha Dowara
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टैक्स ऑडिट डेडलाइन में विस्तारित समय: हाई कोर्ट का आदेश और प्रोफेशनल्स की मांग

देश भर के टैक्स प्रोफेशनल्स ने आयकर पोर्टल की तकनीकी खामियों को लेकर डेडलाइन बढ़ाने की माँग की। राजस्थान हाई कोर्ट ने 30 सितम्बर से 31 अक्टूबर 2025 तक का विस्तार किया। 40 लाख ऑडिट रिपोर्टों में से केवल 4 लाख ही समय पर जमा हो पाए। कई समानुपातिक संगठनों ने प्रधानमंत्री कार्यालय व वित्त मंत्रालय में भी याचना करी है। इस कदम से करदाताओं को संभावित जुर्माना और ब्याज से बचाव होगा।

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