हर साल छात्र परीक्षा के दिन को लेकर बेचैन रहते हैं। कभी तारीख बदल जाती है, कभी सेंट्रल काउंसिल की नीति में उलझन होती है। ऐसे में ‘परीक्षा गड़बड़ी’ शब्द हमारे बीच आम हो गया है। आप भी इस झंझट से जूझ रहे हैं? चलिए समझते हैं क्यों ऐसा होता है और इसे कैसे ठीक किया जाए।
पहला कारण है प्रशासनिक देरी। कई बार परीक्षा शेड्यूल बनाते समय सरकारी विभागों में तालमेल नहीं रहता, जिससे तारीखें लगातार बदलती हैं। दूसरा है नियम‑परिवर्तन का अचानक लागू होना, जैसे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने NEET‑PG को एक शिफ्ट में रखने का फैसला किया। ऐसी खबरें छात्रों के मन में अनिश्चितता पैदा कर देती हैं। तीसरा कारण तकनीकी समस्या है; ऑनलाइन एंट्री फ़ॉर्म या रिज़ल्ट पोर्टल पर बग आने से भी बड़ी दिक्कत होती है। इन सबका असर सीधे छात्र की तैयारी और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
पहला कदम है सही सूचना स्रोत चुनना। आधिकारिक वेबसाइट, सरकारी नोटिफ़िकेशन या भरोसेमंद समाचार पोर्टल से ही अपडेट लेनी चाहिए। दोबारा जांच करने की आदत डालें; एक बार में कई स्रोतों से पुष्टि करें। दूसरा, समय‑प्रबंधन पर ध्यान दें। अगर तारीख बदलती है तो अपने रिवीज़न प्लान को लचीला रखें – कुछ दिन पहले आराम का बफर जोड़ें जिससे बदलाव आसानी से संभाल सकें। तीसरा, तनाव कम करने के लिए छोटे ब्रेक और हल्की एक्सरसाइज अपनाएँ; इससे दिमाग साफ रहता है और पढ़ाई में फोकस बना रहता है। अंत में, साथी या ट्यूशन क्लासेज़ में मिलकर पढ़ना मददगार हो सकता है – समूह चर्चा से अक्सर नई समझ आती है और डर कम होता है।
समझ गया न कि परीक्षा गड़बड़ी केवल बाहरी कारणों की वजह से नहीं, बल्कि हमारी तैयारी में लचीलापन न रहने से भी होती है? अगर आप इन सुझावों को अपनाएँ तो परीक्षा के तनाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं। याद रखें, हर गड़बड़ी का एक हल होता है; बस सही तरीका खोजने की जरूरत है।
सीबीआई ने NEET-UG 2024 परीक्षा में कथित अनियमितताओं के संबंध में एफआईआर दर्ज की है। मई 5 को सम्पन्न इस परीक्षा में धोखाधड़ी, पहचान की गलतियों और गलत तरीकों की रिपोर्ट्स सामने आई थीं, जिससे प्रदर्शन और मार्किंग स्कीम पर सवाल उठे थे। री-एग्जाम जून 23 को आयोजित किया गया, जिसमें 17 बिहार छात्रों को गड़बड़ी के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था।