अगर आप सिनेमा पसंद करते हैं तो राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों का नाम सुनते ही दिल खुश हो जाता है। ये पुरस्कार भारत सरकार की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ाते हैं और फिल्म निर्माताओं को मान्यता देते हैं। हर साल एक समारोह में कई श्रेणियों में विजेताओं का चयन किया जाता है – बेस्ट फीचर फ़िल्म से लेकर बेस्ट शॉर्ट फ़िल्म तक।
इन पुरस्कारों की शुरुआत 1954 में हुई थी, तब इसे 'दादा साहाब फॉर्मेट' कहा जाता था। समय के साथ ये कई नए वर्ग जोड़ते आए हैं, जैसे कि बेस्ट डाक्यूमेंट्री, बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट और बेस्ट लिपी। इससे नई प्रतिभाएं भी उभर कर सामने आती हैं और इंडस्ट्री में विविधता बढ़ती है।
सबसे लोकप्रिय वर्ग ‘बेस्ट फ़ीचर फ़िल्म’ है, जो पूरे साल की सबसे बेहतरीन कहानी, निर्देशन और प्रोडक्शन को मान्यता देता है। उसके बाद ‘बेस्ट डायरेक्टर’, ‘बेस्ट एंटरप्रेन्योर’ (जैसे कि बेस्ट एक्टर्स) आदि आते हैं। तकनीकी पहलू के लिए ‘बेस्ट सिनेमाटोग्राफी’, ‘बेस्ट एडिटिंग’, और ‘बेस्ट साउंड डिज़ाइन’ भी होते हैं।
हाल ही में ‘फतेह’ जैसी फ़िल्में बेस्ट थ्रिलर या बेस्ट एक्शन श्रेणी में एंट्री कर रही हैं, जिससे दर्शकों को नई जॉनर की सराहना मिलती है। इन वर्गों के कारण छोटे बजट वाली फिल्में भी बड़ी स्क्रीन पर चमक सकती हैं।
2024 में ‘फतेह’ को बेस्ट एक्शन थ्रिलर का पुरस्कार मिला था, जो साइबर क्राइम पर आधारित थी। इस फ़िल्म ने तकनीकी एफ़ेक्ट और सस्पेंस दोनों में नया मानक स्थापित किया। इसी साल ‘लाड़ली बहना योजना’ के तहत बनाए गए डॉक्यूमेंट्री को सामाजिक प्रभाव के लिए सराहा गया।
इसी तरह, महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता पर बनी फ़िल्म ‘लाड़ली बहनां योजना’ को बेस्ट सोशल इम्पैक्ट फिल्म का ख़िताब मिला। इस जीत से कई महिला निर्देशक और प्रोड्यूसर आगे बढ़े हैं।
बच्चों के लिए बनाए गए एनिमेटेड शॉर्ट्स ने भी अपनी जगह बनाई, जैसे ‘सृजा कॉनिडेला’ को बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का सम्मान मिला। इन छोटे-छोटे कामों से बच्चों की कल्पना शक्ति जागती है और भविष्य में बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए मंच तैयार होता है।
इन विजेताओं की कहानियां सिर्फ़ पुरस्कार नहीं, बल्कि प्रेरणा हैं। अगर आप भी फ़िल्म बनाना चाहते हैं तो इन केस स्टडीज़ को पढ़कर अपने काम में नयी तकनीकें और सामाजिक मुद्दे जोड़ सकते हैं। इससे आपकी फ़िल्म का प्रभाव बढ़ता है और दर्शकों के दिलों तक पहुँचती है।
अंत में, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सिर्फ़ एक चमकीला ट्रॉफी नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा को आगे ले जाने वाला मोटर है। हर साल नई कहानियां, नई आवाज़ें और नई तकनीकें इस मंच पर आती हैं। तो आप भी अपने पसंदीदा फ़िल्म या निर्देशक के बारे में टिप्पणी करें और चर्चा में हिस्सा बनें। यह प्लेटफ़ॉर्म आपको अपडेट रखेगा, इसलिए नियमित रूप से हमारे पेज को फॉलो करना न भूलें।
मिथुन चक्रवर्ती को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में वर्ष 2022 के लिए दादा साहेब फाल्के सम्मान से नवाजा गया है। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। मिथुन चक्रवर्ती की चार दशक लंबी करियर में कई यादगार फिल्में शामिल हैं। यह समारोह 30 सितंबर, 2024 को आयोजित हुआ।