भाइयों, अगर आप तेल‑बाजार से जुड़े हैं तो रूस का तेल आपके लिए बहुत मायने रखता है। इस लेख में हम सीधे‑सादा भाषा में बताते हैं कि आज रूसी तेल की कीमतें कितनी हैं, किन कारकों से वो बदल रही हैं और इसका भारत पर क्या असर पड़ रहा है।
अभी (जुलाई‑2025) रूस का बैंटन‑ऑइल लगभग $78‑$80 प्रति बैरल ट्रेड कर रहा है, जबकि ब्रेंट समान समय में $82‑$85 पर है। यह अंतर पिछले साल के मध्य से ही छोटा हो गया है क्योंकि कई देशों ने रूसी तेल पर प्रतिबंध कम किए हैं और नई शिपिंग रूट्स खुल रही हैं।
मुख्य कारणों को देखें तो दो चीज़ें सामने आती हैं – पहला, ओपेक‑प्लस में रूस की हिस्सेदारी बढ़ी है; दूसरा, यूरोपीय देश धीरे‑धीरे वैकल्पिक स्रोत ढूँढ़ रहे हैं और भारत जैसी बड़ी आयातक देशों से समझौते कर रहे हैं। इन दोनों कारकों के कारण रूसी तेल का प्राइस स्टेबल या हल्का घटता दिख रहा है।
भाड़ा, रिफाइनरी लागत और डॉलर्स में उतार‑चढ़ाव से भारत को फायदा या नुकसान दोनों ही हो सकता है। जब रूसी तेल सस्ता होता है तो भारतीय पेट्रोलियम कंपनियां अपनी इम्पोर्ट बिल कम कर सकती हैं, जिससे गैसोलिन के दाम पर दबाव घटता है। लेकिन अगर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा में अस्थिरता बढ़ती है तो रिफाइनरी की लागत फिर भी ऊँची रह जाती है।
भविष्य को देखे तो दो संभावनाएं सबसे ज़्यादा दिख रही हैं – पहला, रूस नई शिपिंग लेन्स (जैसे काले समुंदर‑हिंद महासागर) के जरिए तेल निर्यात बढ़ाएगा; दूसरा, भारत की ऊर्जा नीति में घरेलू उत्पादन और वैकल्पिक इंधन (जैसे बायो‑डिज़ल) को प्रोत्साहन मिलने से रूसी तेल पर निर्भरता धीरे‑धीरे घटेगी।अगर आप एक निवेशक हैं तो इस समय रूसी तेल के फ़्यूचर्स में देख सकते हैं, क्योंकि कीमतें अभी भी थोड़ी अस्थिर हैं और सही टाइमिंग से अच्छा रिटर्न मिल सकता है। अगर आप सामान्य उपभोक्ता हैं तो पेट्रोल की कीमतों पर नजर रखें, क्योंकि सरकारी नीतियां अक्सर अंतर्राष्ट्रीय तेल मूल्यों को प्रतिबिंबित करती हैं।
सारांश में, रूसी तेल अब थोड़ा सस्ता हो रहा है, लेकिन वैश्विक राजनीति और मुद्रा बाजार इसके आगे‑पीछे का कारण बनते रहेंगे। भारत के लिए सबसे बड़ा फायदा तब है जब रिफाइनरी की आयात लागत कम होती है और पेट्रोल‑डिज़ल कीमतें स्थिर रहती हैं। इस दिशा में सरकारी नीतियां और निजी कंपनियों की रणनीति दोनों ही अहम भूमिका निभाएंगी।
आशा है यह जानकारी आपको तेल‑बाजार को समझने में मदद करेगी। अगर आप रोज़ाना अपडेट चाहते हैं तो हमारे पेज को फ़ॉलो करें – नई खबरें, विश्लेषण और टिप्स हर दिन मिलते रहेंगे।
ट्रंप प्रशासन के 25% अतिरिक्त शुल्क के बाद भी भारत की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी ने रूसी कच्चे तेल का आयात जारी रखने की घोषणा की है। रूस भारत की कच्चे तेल की 35-40% जरूरतें पूरी करता है। ये टैरिफ यूक्रेन संकट पर ट्रंप की प्रतिक्रिया के रूप में लगाया गया, लेकिन जानकार इसे अमेरिका-भारत व्यापार तनातनी से भी जोड़ रहे हैं।