भारत हर साल करोड़ों डॉलर कच्चा तेल इंपोर्ट करता है. इस आयात पर वैश्विक कीमत, मौसमी मांग और सरकार की नीति सीधे असर डालती हैं. अगर आप जानना चाहते हैं कि आज के बाजार में तेल आयात कैसे तय हो रहा है, तो पढ़िए नीचे.
पिछले पाँच सालों में भारत ने कुल मिलाकर 4.5 करोड़ टन कच्चा तेल खरीदा है. अधिकांश आयात मध्य पूर्व और अफ्रीका से आता है, क्योंकि वहाँ की कीमतें तुलनात्मक रूप से कम रहती हैं. सरकार ने "इंडिया स्टोरेज फण्ड" जैसी योजनाएँ बनायीं ताकि जब अंतरराष्ट्रीय कीमतें घटें तो देश को बचत मिल सके.
आयात पर नज़र रखने वाले ट्रेडर अक्सर ऑपेन इंटरेस्ट और फॉरवर्ड प्राइसिंग देखते हैं. अगर आप निवेश या व्यवसाय में तेल से जुड़े हैं, तो इन संकेतकों को देखना फायदेमंद रहता है.
जब ओपेक देशों ने उत्पादन घटाया, तब पेट्रोलियम की कीमतें अचानक बढ़ गईं. इस कारण भारत को अतिरिक्त टैक्स लेकर या ड्यूटी कम करके खुद को संतुलित करना पड़ा. 2024 के बजट में सरकार ने "ईंधन कर सुधार" का प्रावधान रखा, जिससे उपभोक्ता को थोड़ी राहत मिली.
इसी बीच रिफायनरी की क्षमता भी बढ़ रही है. नई रिफायनरी और अपग्रेडेड यूनिट्स से आयातित तेल का अधिक प्रोसेसिंग हो रहा है, जिससे डिस्टिलेट उत्पादों (पेट्रोल, डीजल) की उपलब्धता सुधरती है.
अगर आप रोज़मर्रा में ईंधन कीमतों के उतार-चढ़ाव को लेकर चिंतित हैं तो याद रखें: आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत जैसे सौर और बायोफ्यूल में निवेश बढ़ाया है. ये कदम दीर्घकालिक स्थिरता की ओर इशारा करते हैं.
सारांश में, तेल आयात का हर पहलू – अंतरराष्ट्रीय बाजार, घरेलू नीतियां, रिफाइनरी क्षमता – आपस में जुड़ा हुआ है. जब एक बदलाव होता है, तो दूसरा तुरंत असर दिखाता है. इसलिए अपडेटेड समाचार और सरकारी बयानों पर नजर रखना जरूरी है.
आगे के लेखों में हम देखेंगे कि कैसे भारतीय कंपनियां मूल्य स्थिरता के लिए हेजिंग रणनीति अपनाती हैं और किस तरह से नई तकनीकें आयात लागत को कम कर रही हैं. जुड़े रहें, क्योंकि तेल आयात की हर छोटी‑छोटी जानकारी आपके खर्च पर बड़ा असर डाल सकती है.
ट्रंप प्रशासन के 25% अतिरिक्त शुल्क के बाद भी भारत की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी ने रूसी कच्चे तेल का आयात जारी रखने की घोषणा की है। रूस भारत की कच्चे तेल की 35-40% जरूरतें पूरी करता है। ये टैरिफ यूक्रेन संकट पर ट्रंप की प्रतिक्रिया के रूप में लगाया गया, लेकिन जानकार इसे अमेरिका-भारत व्यापार तनातनी से भी जोड़ रहे हैं।