जब आप ट्रैफ़िक जाम, रास्ते में गाड़ियों का अचानक ठहराव और लंबी कतार बनना. Also known as ट्रैफ़िक भीड़ से मिलते‑जुलते हैं तो सोचिए कि रोज़मर्रा की यात्रा कितनी कठिन हो जाती है। इस जाम में शहरी योजना, सड़क नेटवर्क, सार्वजनिक परिवहन और भूमि‑उपयोग की समग्र डिजाइन की कमी बड़ी भूमिका निभाती है। साथ ही, बड़े प्रदर्शन आंदोलन, जनता की सड़क बंदी करके की जाने वाली बड़ी गड़बड़ी अक्सर अचानक ट्रैफ़िक का बोझ बढ़ा देती हैं। मौसम भी पीछे नहीं रहता; बारिश, अधिक वर्षा से जलभराव और फिसलन के कारण वाहनों का धीमा चलना अक्सर जाम को लंबा कर देती है। इन सभी तत्वों को समझना जरूरी है क्योंकि ट्रैफ़िक जाम सिर्फ एक असुविधा नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याएं भी लाता है।
पहला कारण है शहर में बढ़ती गाड़ियों की संख्या और अपर्याप्त सड़कों का बुनियादी ढांचा। जब काम‑काज का समय आने पर कई लोग एक ही मार्ग से गुजरते हैं, तो प्रवाह रुक जाता है। दूसरा बड़ा कारण है अचानक होने वाले मराठा आरक्षण आंदोलन, मुंबई में अनिश्चितकालीन अनशन और सड़क ब्लॉक्स जैसी घटनाएं। ये प्रदर्शन सिर्फ कुछ घंटे नहीं, कई बार पूरे दिन की भीड़ को रोकते हैं, जिससे रोज़मर्रा की यात्रा में दहलीजें टूट जाती हैं। तीसरा कारण है मौसमी बदलाव; हल्की बारिश से सड़कों पर जलभराव बनता है, और तेज़ बाढ़ से पूरी लेन बंद हो जाती है। कई बार एक्सप्रेसवे पर निर्माण कार्य, पुल मरम्मत या नई इमारतों की नींव भी ट्रैफ़िक को बाधित करती है। इन सभी कारकों का आपसी असर "ट्रैफ़िक जाम" को एक जटिल समस्या बनाता है, जहाँ एक छोटा‑सा इवेंट भी पूरे शहर की गतिशीलता को खलिश कर सकता है।
जब जाम बढ़ता है तो प्रभाव भी बढ़ते हैं। हर दिन के औसत नुकसान लाखों रुपये के रूप में अनुमानित किया जाता है—इंधन की बर्बादी, उत्पादन का ठहराव और डिलिवरी में देरी। आपातकालीन सेवाएँ जैसे एम्बुलेंस या फायर ब्रीगर भी ट्रैफ़िक में फंस कर जीवन‑रक्षा में बाधा बनते हैं। लोगों को मानसिक तनाव, थकान और समय की हानि झेलनी पड़ती है, जिससे कार्य‑जीवन संतुलन बिगड़ता है। इन नुकसानों को कम करने के लिए कई शहर अब स्मार्ट ट्रैफ़िक सिस्टम, रियल‑टाइम डेटा, AI‑आधारित सिग्नल कंट्रोल और मोबाइल अप्लिकेशन लागू कर रहे हैं। जब सेंसर ट्रैफ़िक फ्लो को निगरानी करते हैं और सिग्नल टाइमिंग को स्वचालित रूप से समायोजित करते हैं, तो जाम कम हो सकता है। इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन को सुधारना, साइकिल लेन बनाना और कारपूलिंग को प्रोत्साहित करना भी दीर्घकालिक समाधान में मदद करता है। ये उपाय न केवल जाम को घटाते हैं, बल्कि पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम करते हैं।
भविष्य की दिशा में देखते हुए, तकनीक और नीति दोनों को मिलाकर ही ट्रैफ़िक जाम को नियंत्रित किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित पूर्वानुमान मॉडल शहर को आगामी पीक टाइम्स की चेतावनी दे सकते हैं, जिससे प्रबंधन पहले से तैयारी कर सके। इलेक्ट्रिक वाहन और राइड‑शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म ट्रैफ़िक के पैटर्न को बदल रहे हैं—कम कारें, ज्यादा साझा मोड। साथ ही, सड़कों की डिज़ाइन में “ट्रांसिट‑ऑरिएंटेड डेवलपमेंट” (TOD) को अपनाने से लोग सार्वजनिक परिवहन के करीब रहेंगे, जिससे निजी गाड़ी की जरूरत घटेगी। इन सभी रणनीतियों को अपनाने में स्थानीय सरकार, नागरिक और व्यवसायी सभी को मिलकर काम करना होगा। जब हम इन समाधान को समझेंगे और लागू करेंगे, तो टोकरी भर जाम का बोझ हल्का हो सकता है और यात्रा का अनुभव फिर से सहज बन सकता है। नीचे आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न खबरें इस व्यापक तस्वीर को दर्शाती हैं और कौन‑से कदम अभी उठाने के लिये सबसे जरूरी हैं।
30 सितंबर को दिल्ली‑एनसीआर में भारी बारिश ने गर्मी से राहत दी, पर ट्रैफ़िक जाम और उड़ानों में देरी का प्रकोप पैदा हुआ; IMD ने अगले दो दिन तक बारी‑बारी बारिश की भविष्यवाणी की।