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ट्रम्प टैरिफ क्या है? आसान शब्दों में जवाब

जब भी आप दुकान में कोई आयातित प्रोडक्ट देखते हैं, उसके पीछे अक्सर टैक्स या ड्यूटी होती है। ट्रम्प टैरिफ वही नया कर है जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ देशों और सामान पर लगाया था। उनका मकसद घरेलू कंपनियों को बचाना और विदेशी वस्तुओं की कीमत बढ़ाकर भारतीय उत्पादों को पसंदीदा बनाना था। इस नीति से भारत में भी कई चीज़ें असर डाल रही हैं, चाहे वो इलेक्ट्रॉनिक्स हों या कृषि उपकरण।

कौन-कौन सी चीज़ें टैरिफ में शामिल हुईं?

ट्रम्प प्रशासन ने सबसे पहले स्टील, एल्यूमीनियम और सिरेमिक जैसे भारी उद्योग वाले सामानों पर 25% से 30% तक की ड्यूटी लगाई। फिर इलेक्ट्रॉनिक घटक, मोबाइल फोन और कुछ कृषि यंत्र भी इस सूची में आए। इसका मतलब है कि भारतीय आयातकों को अब इन वस्तुओं के लिए अधिक पैसा खर्च करना पड़ेगा, जबकि स्थानीय उत्पाद सस्ते दिखेंगे। छोटे व्यापारी अक्सर इन बदलावों से सीधे जूझते हैं क्योंकि उनके मार्जिन कम होते हैं।

भारत पर क्या असर पड़ रहा है?

पहले तो कई बड़े कंपनियों ने टैरिफ के कारण अपने सप्लाई चेन को बदल दिया, यानी अब वे चीन या अन्य देशों की बजाय घरेलू आपूर्तिकर्ता से सामग्री खरीद रहे हैं। इससे कुछ क्षेत्रों में नई नौकरियां भी पैदा हुईं। लेकिन छोटे आयातक और रिटेलर महँगी कीमतों का सामना कर रहे हैं, जिससे उपभोक्ता को भी अधिक भुगतान करना पड़ रहा है। खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतें बढ़ी हैं, और कई लोग अब पुराने मॉडल खरीदना पसंद करते हैं।

सरकार ने इस समस्या के जवाब में कुछ रियायतें दीं, जैसे कि कुछ आवश्यक वस्तुओं पर टैरिफ कम करना या वैकल्पिक सप्लायर्स को प्रोत्साहन देना। फिर भी अधिकांश व्यापारियों के लिए यह नई लागत का बोझ बना हुआ है और उन्हें अपनी कीमतों को पुनः व्यवस्थित करने की जरूरत पड़ रही है।

अगर आप खुद एक उपभोक्ता हैं, तो इस बदलाव को समझकर खरीदारी कर सकते हैं—जैसे कि स्थानीय ब्रांड चुनना या ऑफ-सीजन में सामान लेना। व्यापारियों के लिए योजना बनाना जरूरी है: वैकल्पिक स्रोत ढूँढें, लागत बचाने वाले उपाय अपनाएँ और ग्राहकों को सही जानकारी दें। इससे टैरिफ का असर कम किया जा सकता है और बाजार की स्थिरता बनी रहेगी।

रूसी तेल पर ट्रंप का 25% टैरिफ भी नहीं रोक पाया भारत, सबसे बड़ी तेल कंपनी ने दिखाई हिम्मत
  • अग॰ 15, 2025
  • Partha Dowara
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रूसी तेल पर ट्रंप का 25% टैरिफ भी नहीं रोक पाया भारत, सबसे बड़ी तेल कंपनी ने दिखाई हिम्मत

ट्रंप प्रशासन के 25% अतिरिक्त शुल्क के बाद भी भारत की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी ने रूसी कच्चे तेल का आयात जारी रखने की घोषणा की है। रूस भारत की कच्चे तेल की 35-40% जरूरतें पूरी करता है। ये टैरिफ यूक्रेन संकट पर ट्रंप की प्रतिक्रिया के रूप में लगाया गया, लेकिन जानकार इसे अमेरिका-भारत व्यापार तनातनी से भी जोड़ रहे हैं।

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