अगर आप भारत-रुस व्यापार या तेल आयात में रुचि रखते हैं, तो हाल ही के बदलाव आपके लिए जरूरी हैं। पिछले कुछ हफ़्तों में ट्रम्प प्रशासन ने रूसी कच्चे तेल पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, फिर भी भारत की बड़ी तेल कंपनियों ने आयात जारी रखा। क्यों? और इससे क्या असर पड़ेगा?
अमेरिका ने यूक्रेन संकट के बाद रूसी तेल को महँगा बनाने की कोशिश में टैरिफ लगाया। यह कदम मूल रूप से अमेरिका‑भारत व्यापार को रोकना नहीं, बल्कि रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाना था। लेकिन भारत की कंपनियों ने बताया कि उनके पास विकल्प बहुत कम हैं – रूसी तेल 35‑40% कच्ची तेल जरूरतें पूरी करता है। इसलिए उन्होंने टैरिफ के बावजूद आयात जारी रखा।
टैरिफ का सीधा असर दो तरफ़ा है। एक ओर, आयात की लागत बढ़ती है और इस वजह से पेट्रोल, डीजल और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में कीमतें ऊपर जा सकती हैं। दूसरी ओर, भारतीय कंपनियां अब वैकल्पिक स्रोत खोज रही हैं – मध्य पूर्व, अफ्रीका या घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
रूस‑भारत व्यापार में तेल के अलावा भी कई चीजें शामिल हैं: गैस पाइपलाइन, एरोस्पेस पार्ट्स और कृषि उत्पाद। टैरिफ से भारत को अब अपनी आपूर्ति श्रृंखला diversify करनी पड़ेगी। कुछ बड़े व्यापारी पहले ही वैकल्पिक सप्लाई पर चर्चा शुरू कर चुके हैं, जिससे भविष्य में रूसी तेल की निर्भरता घट सकती है।
वहीं, रूस भी अपना बाज़ार बचाने के लिए नई रणनीति बना रहा है। उन्होंने यूरोप से दूर रहकर एशिया‑पैसिफिक देशों को बेहतर शर्तें देने का इरादा बताया है। अगर भारत इस दिशा में कदम बढ़ाता है तो दोनों पक्षों के बीच नए समझौते हो सकते हैं, जैसे कि लंबी अवधि के फॉर्वर्ड कॉन्ट्रैक्ट या joint ventures।
साथ ही, भारतीय उपभोक्ता भी इस बदलाव को महसूस करेंगे। अगर टैरिफ से कीमतें ऊपर जाती हैं तो सरकार सस्ते विकल्पों की तलाश में सब्सिडी या कर छूट पर विचार कर सकती है। इससे बाजार में थोड़ी स्थिरता बनी रह सकती है।
सारांश में, रूस की तेल संबंधी खबरें सिर्फ एक टैरिफ नहीं, बल्कि बड़े आर्थिक और रणनीतिक बदलाव का संकेत देती हैं। भारत को अब अपनी ऊर्जा नीति को फिर से देखना पड़ेगा, और व्यापारियों को नई आपूर्ति स्रोत खोजने होंगे। अगर आप इस क्षेत्र के अपडेट चाहते हैं, तो हमारे साथ बने रहें – हम हर नया कदम जल्दी से जल्दी आपके सामने रखेंगे।
भारत और रूस के बीच भारतीय श्रमिकों को रूसी कंपनियों में रोजगार के लिए प्रशिक्षण देने की चर्चाएँ शुरू हुई हैं। दोनों देशों ने 25वीं भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग बैठक में इस पर वार्ता की। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच विमान सेवा विस्तार, व्यापार में वृद्धि और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए भी कई योजनाओं पर बात हुई।