वित्त - आयकर फ़ॉर्म ITR‑1 व ITR‑2 का सरल गाइड

नमस्ते! अगर आप कर रिटर्न फाइल करने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले सही फ़ॉर्म चुनना ज़रूरी है। अक्सर लोग ITR‑1 और ITR‑2 में उलझ जाते हैं, इसलिए हम यहाँ साफ़-साफ़ बता रहे हैं कि कब कौन सा फ़ॉर्म इस्तेमाल करें।

ITR‑1 किसके लिए?

ITR‑1, जिसे "सहज" फॉर्म भी कहा जाता है, उन लोगों के लिए बनाया गया है जिनकी आय मुख्य रूप से वेतन या पेंशन से आती है। अगर आपके पास एक घर का मकान, बैंक डिपॉज़िट और 5,000 रुपये तक की खेती की आय है तो यह फ़ॉर्म ही आपके लिये सबसे आसान रहेगा। इस फॉर्म में जटिल एसेट्स या व्यापारिक लेन‑देनों को भरने की जरूरत नहीं पड़ती।

ITR‑2 कब उपयोग करें?

जब आपकी आय सिर्फ वेतन तक सीमित नहीं रहती, तो ITR‑2 आपका विकल्प बनता है। इसमें कई घरों का मकान, पूंजीगत लाभ (जैसे शेयर या म्युचुअल फंड), विदेशी संपत्ति और व्यापारिक आय शामिल हो सकती है। यदि आप HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) के तहत फ़ाइल कर रहे हैं तो भी ITR‑2 ही सही रहेगा।

अब बात करते हैं कि दोनों में मुख्य अंतर क्या है। ITR‑1 सिर्फ बेसिक इनकम सोर्सेस को कवर करता है, जबकि ITR‑2 अधिक जटिल आय स्रोतों और एसेट्स को संभालता है। इसलिए फॉर्म चुनते समय अपने सभी निवेश, प्रॉपर्टी और विदेश में रखी संपत्ति की लिस्ट बनाकर देखें।

बहुत से करदाता फ़ॉर्म भरते समय छोटी‑छोटी बातें भूल जाते हैं, जैसे कि कृषि आय का सीमा या HUF के सदस्यता विवरण। ऐसे छोटे-छोटे बिंदुओं को ध्यान में रखने से रिटर्न अस्वीकार होने की संभावना कम हो जाती है।

फ़ॉर्म चुनने के बाद सही दस्तावेज़ तैयार करना आसान बन जाता है। वेतन स्लिप, फ़ॉर्म‑16, बैंक स्टेटमेंट और संपत्ति के कागज़ात को एक जगह रखें। अगर आपके पास कोई पूंजीगत लाभ या विदेशी आय है तो उसके प्रमाणपत्र भी साथ रखिए।

एक आम गलती यह है कि लोग ITR‑1 में सभी एसेट्स भरने की कोशिश करते हैं, जिससे सिस्टम त्रुटि दिखा सकता है। यदि आपको लगता है कि आपका मामला जटिल है, तो तुरंत ITR‑2 पर स्विच कर लें – इससे बाद में संशोधन का काम नहीं पड़ेगा।

फाइलिंग प्रक्रिया को तेज़ बनाने के लिए इन्कम टैक्स पोर्टल पर पहले से एक यूज़र आईडी बनाकर रखें। लॉगिन करके “आइटर्न फॉर्म” सेक्शन में जाएँ और अपने फ़ॉर्म की टेम्प्लेट चुनें। सब्मिट करने से पहले प्रिव्यू देखना न भूलें, ताकि कोई त्रुटि तुरंत पकड़ी जा सके।

अगर आप पहली बार कर रिटर्न भर रहे हैं तो डरने की ज़रूरत नहीं है। पोर्टल पर स्टेप‑बाय‑स्टेप गाइड और FAQs उपलब्ध होते हैं। साथ ही हमारी वेबसाइट ‘वित्त’ कैटेगरी में ऐसे कई लेख हैं जो आपके सवालों का जवाब देंगे।

अंत में एक छोटा टिप: हर साल टैक्स रिटर्न फाइल करने की आदत डालें, चाहे आय कम हो या ज्यादा। इससे न केवल पेनल्टी बचती है बल्कि भविष्य में लोन या वीज़ा प्रोसेसिंग के लिए भी आपका वित्तीय रिकॉर्ड साफ़ रहता है।

तो अब आप समझ गए हैं कि ITR‑1 और ITR‑2 में से कौन सा फ़ॉर्म आपके लिये सही है? अपने इनकम सोर्सेस की जाँच करें, दस्तावेज़ तैयार रखें और टैक्स फाइलिंग को बिना झंझट के पूरा करें। खुश रहें, करों का डर नहीं रहेगा!